राजकुमार भारद्वाज
राजकुमार भारद्वाज
भूमिका - नरक जीते देवसर
Posted on 12 Jan, 2017 04:36 PMपौराणिक ग्रंथों में प्राकृतिक सन्तुलन पर बहुत चिन्तन-मंथन हुआ है। मत्स्य पुराण में तालाबों, कुओं और बावड़ियों के महत्त्व पर कहा गया है
दश कूप समा वापी, दशवापी समोह्नद्रः।
दशह्नद समः पुत्रों, दशपुत्रो समो द्रमुः।
![नरक जीते देवसर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/31272457914_6f19d9a5e4_z_3.jpg?itok=zPDyvbjM)
जिब जमीन की कीमत माँ-बाप तै घणी होगी तो किसे तालाब, किसे कुएँ
Posted on 08 Dec, 2016 04:11 PMइलाके के सबसे बड़े और पूरे गाँव की प्यास बुझाने वाले दो दर्जन कुओं में से अब एक भी नहीं ह
अरै किसा कुलदे, निरा कूड़दे सै भाई
Posted on 08 Dec, 2016 04:03 PMकुलदे आज अपना अस्तित्व लगभग खो चुका है। कहने को बच्चे के जन्
नहीं बेरा कड़ै सै फुलुआला तालाब
Posted on 08 Dec, 2016 03:56 PM12 एकड़ का तालाब अब आधा रह गया है। इसके एक बड़े हिस्से का बिज
और रोक दिये वर्षाजल के सारे रास्ते
Posted on 08 Dec, 2016 03:46 PMतालाब के कलात्मक सौन्दर्य का कोई मुकाबला नहीं है। इसके निर्मा
और दम तोड़ दिया जानकीदास तालाब ने
Posted on 08 Dec, 2016 03:22 PMतालाब की संरचना और इसके रख-रखाव के इन्तजाम देखने पर लगता है कि यह कई सौ साल पुराना स्थापत
सदानीरा के साथ टूट गया पनघट का जमघट
Posted on 02 Dec, 2016 03:52 PMपुराना समाज पानी की ताकत और शुद्धता को समझता था तभी तो धोबिय
लोग बागां की आंख्यां का पाणी भी उतर गया
Posted on 02 Dec, 2016 03:37 PMअढ़ाई दशक पहले तक वजीराबाद इलाके के उन गाँवों में से था जहाँ
ओ बाब्बू कीत्तै ब्याह दे, पाऊँगी रामाणी की पाल पै
Posted on 02 Dec, 2016 12:01 PMजंगल के रास्ते से आने वाले पानी से तालाब हमेशा लबालब रहता था।
देवीसर - आस्था को मुँह चिढ़ाता गन्दगी का तालाब
Posted on 02 Dec, 2016 11:55 AMतालाब तकरीबन दो एकड़ में फैला है। इसके दो तरफ घाट जैसी व्यवस्थाएँ की गई हैं। यह तालाब कित