कुमार कृष्णन
वाराणसी में बनेगी गंगा पर निर्णायक रणनीति
Posted on 07 Apr, 2015 04:06 PMतारीख : 10-11-12 अप्रैल 2015स्थान : सर्वसेवा संघ, राजघाट,वाराणसी
हिमालय के सवाल पर नहीं है गम्भीर सरकार
Posted on 07 Apr, 2015 03:24 PMहिमालय तथा खुद को बचाने की चुनौती दक्षिण एशिया व दुनिया के लिये है। हिमालय के लोगों को अपने जीवनयापन की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने लिये जल, जंगल, ज़मीन पर स्थानीय समुदायों को अधिकार पाने के संघर्ष करने पड़ रहे हैं। हिमालय सदियों से मैदानों, नदियों तथा सम्पन्न मानव समाजों का निर्माणकर्ता और उनका रक्षक रहा है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 प्रतिशत क्षेत्र में फैले हिमालयी क्षेत्र को
झारखण्ड में गंगा को बनाएँगे प्रदूषण मुक्त
Posted on 03 Apr, 2015 11:47 AMमुख्यमन्त्री श्री रघुवर दास ने गंगा एक्शन प्लान पर नई दिल्ली में आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह झारखण्ड के लिए सौभाग्य का विषय है कि यहाँ के साहेबगंज के राजमहल से होकर गंगा गुजरती है, और गंगा को स्वच्छ बनाने में झारखण्ड को भी मौका मिला है यह मात्र सफाई का विषय नहीं है।
जल संस्कृति जीवन का मूलाधार
Posted on 24 Mar, 2015 10:54 AMविश्व जल दिवस पर विशेष'अगली शताब्दी के युद्ध पानी के कारण होंगे।' यह घोषणा विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष इस्माइल सेराबेल्डिन ने 1995 में ही की थी। पानी का संकट भारत, इजराइल, चीन, बोलिविया,कनाडा, मेक्सिको, घाना और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के मीडिया की सुर्खियाँ बन रही हैं। दुनिया में 1993 से हर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
नदियों, जलस्रोतों को बचाना नैतिक जिम्मेवारी
Posted on 18 Mar, 2015 12:23 PMमुख्यमन्त्री ने किया हरमू नदी के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण कार्य का शिलान्यास
भागलपुर : गंगा आस्था के साथ आजीविका का सवाल
Posted on 13 Mar, 2015 02:59 PMभागलपुर में गंगा का पाट जितना ज्यादा चौड़ा है, उसके हिसाब से न यहाझारखण्ड विधानसभा में उठा फ्लोराइड, आर्सेनिक का मामला
Posted on 10 Mar, 2015 11:02 AMमन्त्री ने कबूल किया कि अधिक मात्रा में है फलोराइड और आर्सेनिकशोक नदी कोसी के इलाके में जलप्रबन्धन
Posted on 03 Mar, 2015 01:35 PMसुपौल जिला के ग्रामीणों और ग्राम्यशील द्वारा 200 एकड़ प्रत्यक्ष जल जमाव क्षेत्र एवं अप्रत्यक्ष 1
आस्था और विकास की एक त्रासद कहानी ' दर दर गंगे'
Posted on 03 Mar, 2015 11:52 AMभारतीय संस्कृति में नदी माँ है। नदियों के साथ हम अपनी माँ जैसा ही व्यवहार तो करते थे। बचपन में माँ दूध पिलाकर पोषण करती है। वैसे ही नदी भी जल पिलाकर जीवनभर पोषण करती थी। आज सब भूल गए हैं कि पीने का पानी नदी से आता है। इस अज्ञान ने नदी से दूर कर दिया है। 21वीं सदी के दूसरे दशक में नदियों को पूर्णत: प्रदूषित कर दिया है। उद्योगों ने नदियों को मैला ढोनेवाली मालगाड़ी बना दिया है। अब पानी पीकर या स्
प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए आन्दोलन
Posted on 22 Feb, 2015 10:20 AMअन्ना ने दिखाई भूमि अधिकार चेतावनी यात्रा को हरी झण्डी और कहा देश के किसान जल, जंगल और जमीन के मालिक सरकार इस किसान विरोधी अध्यादेश को वापस ले : पी.वी. राजगोपालसरदार सरोवर का पानी किसानों को न दे कोका कोला को दे रही है सरकार : मेधा पाटेकर
आंदोलन की भाषा समझती है सरकार : राजेन्द्र सिंह