Posted on 16 Jul, 2011 04:33 PMउत्तर खास तौर से सब्जियों, फलों तथा अनाजों की कटाई के समय कीटनाशी रसायनों का प्रयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। सब्जियों की तुड़ाई के एक सप्ताह पहले प्रयोग बन्द कर देना चाहिए।
Posted on 16 Jul, 2011 04:32 PMउत्तर जी हॉं, बुन्देलखण्ड क्षेत्र में वर्षा जल संचयन एवं सिचाई की विशिष्ठ परियोजना संचालित है, जिसके अन्तर्गत स्पिंकलर सिंचाई प्रणाली एवं ड्रिप सिचांई प्रणाली पर विशेष अनुदान अनुमन्य है। योजनान्तर्गत लघु एवं सीमान्त तथा अनुसूचित जाति के कृषकों को शतप्रतिशत तथा अन्य कृषकों को 75 प्रतिशत अनुदान अनुमन्य है।
Posted on 16 Jul, 2011 04:31 PMउत्तर खेत समतल रखें तथा विभिन्न प्रकार की भूमि में ढाल की प्रतिशतता सुनिश्चित करें जैसे दोमट मिट्टी में 0.2 से 0.4 प्रतिशत तक का ही ढाल रखें।
Posted on 16 Jul, 2011 04:30 PMउत्तर फसलों की क्रान्तिक अवस्था पर ही सिंचाई करे जैसे गेहूँ में 22 दिन पर सिंचाई आवश्यक है। यदि दो सिंचाई उपलब्ध है तो पहली सिंचाई 22 दिन पर तथा दूसरी सिंचाई फूल आने पर करें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध है तो कल्ले आते समय सिंचाई करें।
Posted on 16 Jul, 2011 04:28 PMउत्तर सिंचाई की व्यवस्था न होने पर वर्षा आधारित खेती जिसमें मुख्य रूप से मोटे अनाज की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। वर्तमान में औषधियुक्त पौधों की खेती भी प्रचलित हो रही है।
Posted on 16 Jul, 2011 04:24 PMउत्तर सिंचाई की स्प्रिंकलर विधि एवं ड्रिप विधि को अपनायें इसमें कम खर्च आता है तथा सतही विधि में नाली तथा कुलाबे की सफाई पर ध्यान रखें।
Posted on 16 Jul, 2011 04:23 PMउत्तर मुख्य रूप से प्रदेश में सतही विधि, भूमिगत विधि, स्प्रिंकलर विधि एवं थोड़े से क्षेत्रफल में ड्रिप विधि से सिंचाई की जाती है।