Posted on 15 Feb, 2014 10:31 AMप्रदेश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध एवं सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अन्तर्गत कई पेयजल योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं का लाभ जनसामान्य तक पहुंचाना, असुरक्षित पेयजल के दुष्प्रभाव, पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन में ग्राम पंचायतों की भागीदारी, पेयजल स्रोतों का रख-रखाव, पेयजल स्रोतों में जैविक एवं रासायनिक अशुद्धियों का परीक्षण, उनक
Posted on 18 Jul, 2011 09:46 AMउत्तर खाली खेत से 5-6 जगहों से नमूना लेकर, उसको अच्छी तरह से मिलाकर आधा किग्रा मिट्टी का नमूना आप अपने जनपद के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।
Posted on 18 Jul, 2011 09:45 AMउत्तर क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, आलमबाग, निकटतम सहकारी समिति और किसी अच्छे बीज विक्रेता के पास मिल जायेगी। साथ ही इफको किसान सेवा केन्द्रों से सम्पर्क कर सकते हैं।
Posted on 18 Jul, 2011 09:44 AMउत्तर पहली सिंचाई बोने के 20 से 25 दिन बाद आवश्यक है। फूल निकलते समय तथा दाना भरते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
Posted on 18 Jul, 2011 09:42 AMउत्तर हरी खाद हेतु बीज की मात्रा 45-50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। इसी प्रकार ढैंचा बीज उत्पादन हेतु 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्र्याप्त होता है। ऊसर भूमि में बीज की मात्रा बढ़ाकर सवा गुना कर लें।
Posted on 16 Jul, 2011 04:35 PMउत्तर रोटावेटर द्वारा एक ही बार में खेत की तैयारी अच्छी प्रकार हो जाती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अन्तर्गत 50 प्रतिशत अथवा रू. 30,000.00 जो भी कम हो तथा मैक्रोमोड योजना में मूल्य का 40 प्रतिशत अथवा रू0 20,000.00 में से जो भी कम हो ।