जनसत्ता टीम
जैव शौचालयों के लिए रेलवे लगाएगा बैक्टीरिया उत्पादन संयंत्र
Posted on 28 Sep, 2012 02:33 PMकपूरथला, रेलगाड़ियों में जैव शौचालय बनाने के लिए रेलवे कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी में जीवाणु उत्पादन संयंत्र लगाने जा रहा है। इस संयत्र से उत्पादित जीवाणुओं का इस्तेमाल जैव शौचालयों में किया जाएगा। इस परियोजना से जुड़े रेलवे कोच फैक्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम जैव शौचालय में इस्तेमाल होने वाले एनरोबिक बैक्टीरिया (हवा के अभाव में पनपने वाले बैक्टीरिया) के उत्पादन के लिए यहां संयंत्र लगाखेत खलिहानों में सूखे के संकेत ने देश भर में बढ़ाई चिंता
Posted on 27 Sep, 2012 12:58 PMखेत खलिहानों में सूखे के संकेत किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरों के रूप में दिखने लगे हैं। देश के उत्तरी, पश्चिमी हिस्सों व कर्नाटक सूखे जैसे हालात की आहट सुन रहा है और किसान व पशुपालक संकट में आने लगे हैं। अनेक भागों में पेयजल का संकट खड़ा हो रहा है जबकि फल, सब्जी, दाल व चीनी के दाम बढ़ने लगे हैं। चारे की कमी ने पशुपालकों की दिक्कते बढ़ा दी हैं। देश भर से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब, हरियाणातालाब बचाने के लिए मप्र में बनेगा कानूनः शिवराज
Posted on 17 Sep, 2012 10:40 AM जो शहर अपने पानी और उसके निकास के बारे में नहीं सोचता वह अपने नदियनर्मदा घाटी में मिले करोड़ों साल पुरानी नदी के निशान
Posted on 17 Sep, 2012 10:35 AMइंदौर, 29 जुलाई (भाषा)। जबर्दस्त भौगोलिक हलचलों की गवाह रही मध्य प्रदेश स्थित नर्मदा घाटी में खोजकर्ताओं के समूह ने एक प्राचीन नदी के वजूद के निशान ढूंढ निकालने का दावा किया है। खोजकर्ताओं के मुताबिक यह विलुप्त नदी कम से कम 6.5 करोड़ साल पुरानी है।पौधारोपण से गंगा को बचाने की योजना
Posted on 27 Aug, 2012 11:49 AMविभिन्न शोधों से पता चला है कि देश में कई पौधों की प्रजातियां ऐसी हैं जो केवल गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर ही पनपती हैं। ऐसे पौधे खासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आसानी से पाए जाते हैं। गांवों में गंदे पानी को इकट्ठा किया जाएगा। उसके बाद उसमें उन पौधों का रोपण कर दिया जाएगा। पौधे गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर उसे प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद करेंगे।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गायत्री मंत्र के माध्यम से भारतीय संस्कृति और विज्ञान को प्रसारित करने में जुटी संस्था ‘शांति कुंज’ ने अब पूरे देश में पौधारोपण के माध्यम से गंगा प्रदूषण को कम करने की नायाब योजना शुरू की है। शांतिकुंज में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने बताया कि इस योजना के तहत हजारों की संख्या में स्वयंसेवकों के माध्यम से ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो गंगा प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित होते हैं।अर्थव्यवस्था भी खतरे में पड़ जाएगी गंगा की तबाही से
Posted on 13 Jul, 2012 11:22 AMनदी को बचाने के लिए गंगा सेवा मिशन की पहल, गोष्ठी कल से
एक तरफ सरकारी एजेंसियां गंगा नदी में न्यूनतम पारिस्थितिकीय प्रवाह की बात करती हैं, तो दूसरी तरफ कुछ राजनीतिकों और पूंजीपतियों के समूह जल और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों की हत्या की योजनाएं बनाते नजर आते हैं। हम गंगा को नुकसान पहुंचा कर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बड़ी संख्या में विदेशी सिर्फ गंगा को देखने आते हैं। इसलिए हम पर्यटन व्यवसाय का भी नुकसान कर रहे हैं। गंगा एक नदी नहीं, बल्कि समूची संस्कृति और विरासत है। इससे हिंदू ही नहीं मुसलमानों की भी आस्थाएं जुड़ी हैं।
‘गंगा सेवा मिशन’ का मानना है कि हम गंगा को नुकसान पहुंचा कर अपनी समृद्ध संस्कृति को ही नष्ट नहीं कर रहे, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। मिशन ने गुरुवार को यह दावा भी किया कि उत्तराखंड में बने टिहरी बांध का उद्देश्य आज तक पूरा नहीं हुआ है। खासतौर से बिजली उत्पादन का जो लक्ष्य रखा गया था, वह हासिल नहीं हो पाया। इसलिए पूर्ववर्ती परियोजनाओं की समीक्षा होनी चाहिए।