जाहिद खान

जाहिद खान
एक कदम आगे दो कदम पीछे
Posted on 04 Aug, 2011 12:19 PM

कानकुन जलवायु सम्मेलन

 

पर्यावरण सहित हो विकास
Posted on 30 Jul, 2011 10:27 AM

हमारे मुल्क में लंबे समय से नीतिगत निर्णयों के समय विकास के नाम पर पर्यावरण संरक्षण के तकाजे की बलि दी जाती रही है। आर्थिक वृद्धि के नाम पर पर्यावरण को जमकर नुकसान पहुंचाया गया। इसी का नतीजा है कि हालिया सालों में पर्यावरण संबंधी विवाद खूब उभरकर आए। इस पर विराम लगाने के लिए आखिरकार, हमारी सरकार संजीदा हुई है। औद्योगिक और खनन परियोजनाओं में पर्यावरण संबंधी विवादों पर लगाम लगाने के लिए जल्द ही एक

अपने पर्यावरण को समझें
एंडोसल्फान पर पाबंदी से राहत
Posted on 07 May, 2011 10:07 AM

एक अनुमान के मुताबिक भारत में यदि एंडोसल्फान पर पाबंदी लगी तो इस उद्योग को हर साल 279 से 450 कर

गंगा को बचाने की नई मुहिम
Posted on 05 May, 2011 10:04 AM

आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने हाल में गंगा की सफाई के लिए सात हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी परियोजना पर मुहर लगा दी है।तीव्र औद्योगिकरण, शहरीकरण और प्रदूषण से अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही गंगा को बचाने के लिए अब तक की यह सबसे बड़ी परियोजना होगी। गंगा को साफ करने की पिछली परियोजनाओं की कामयाबी और नाकामयाबियों से सबक लेते हुए इस परियोजना को बनाया गया है जिसके तहत पर्यावरणीय नियमों का कड़ाई से प

अब पानी में सुपरबग का हल्ला
Posted on 13 Apr, 2011 05:45 PM

भारत में बढ़ती स्वास्थ पर्यटन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए पश्चिमी मुल्क और वहां की स

जान पर बना यमुना का प्रदूषण
Posted on 07 Mar, 2011 09:45 AM

हमारे मुल्क में नदियों के अंदर बढ़ते प्रदूषण पर आए दिन चर्चा होती रहती है।प्रदूषण रोकने के लिए गोया बरसों से कई बड़ी परियोजनाएँ भी चल रही हैं। लेकिन नतीजे देखें तो वही “ढाक के तीन पात” प्रदूषण से हालात इतने भयावह हो गए हैं कि पेयजल तक का संकट गहरा गया है। राजधानी दिल्ली के 55 फीसद लोगों की जीवन-दायिनी, उनकी प्यास बुझाने वाली- यमुना के पानी में जहरीले रसायनों की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि उसे साफ कर पीने योग्य बनाना तक दुष्कर हो गया है।

बीते एक महीने में दिल्ली में दूसरी बार ऐसे हालात के चलते पेयजल शोधन संयंत्रों को रोक देना पड़ा। चंद्राबल और वजीराबाद के जलशोधन केंद्रों की सभी इकाइयों को महज इसलिए बंद करना पड़ा कि पानी में अमोनिया की मात्रा .002 से बढ़ते-बढ़ते 13 हो गई, जिससे पानी जहरीला हो गया।

पर्यावरण संरक्षण की जरूरी पहल
Posted on 27 Oct, 2010 08:51 AM

पर्यावरण सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी विवादों के यथासमय निस्तारण के लिए आखिरकार देश में अलग से पर्यावरण अदालत की स्थापना हो ही गई।

पर्यावरण और वन राज्यमंत्री जयराम रमेश द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के गठन के औपचारिक ऐलान के साथ ही हम दुनिया के उन चुनिंदा मुल्कों में शामिल हो गये हैं, जहां पर्यावरण संबंधी मामलों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर न्यायाधिकरण होते हैं। न्यायाधिकरण का मुख्यालय राजधानी दिल्ली होगा। शुरू में देश में अलग-अलग चार स्थानों पर इसकी पीठ कायम होंगी। मामलों के आधार पर भविष्य में इनकी संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि किसी को यदि लगता है कि पर्यावरण और वन मंत्रालय के नियम, नीतियां या उसकी ओर से किया गया कार्यान्वयन मनमाना, अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण है, तो वह बेझिझक न्यायाधिकरण में इंसाफ की गुहार लगा सकता है।

भोपाल गैस त्रासदी के कचरे की चुनौती
Posted on 03 Dec, 2014 12:12 PM
उपयुक्त भस्मक नहीं होने की वजह से ही कचरे के निपटान में देरी हो रही
भोपाल गैस त्रासदी
मनरेगा बदलने का मन
Posted on 22 Oct, 2014 06:14 PM
यह बात सही है कि मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है,
हरित न्यायाधिकरण का फैसला अमल करेगा कौन
Posted on 06 Aug, 2014 05:20 PM
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में देश की किसी भी नदी में बिना किसी लाइसेंस या पर्यावरणीय मंजूरी के रेत खनन पर रोक लगा दी है। अपने आदेश में उसने देश के सभी राज्यों के खनन अधिकारियों और पुलिस से इसे सख्ती से लागू करने को कहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी की जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी भी नदी से रेत निकालने के लिए पहले इज
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