अरुण तिवारी
अरुण तिवारी
आखिरी नहीं यह विध्वंस
Posted on 27 Jun, 2013 11:23 AM“कहते हैं कभी तहजीबे बसती थीं नदियों के किनारे,आज नदियां तहजीब का पहला शिकार हैं।’’
यह विनाश कुछ कहता है
Posted on 21 Jun, 2013 12:07 PMउत्तराखंड में बाढ़ से बढ़ती बर्बादी की हकीकत यह है कि जगह-जगह सुरंगों व झीलों में बांधने की हो रही नापाक क
बरसे जल, सहेजो जन
Posted on 17 Jun, 2013 03:01 PM इतिहास यह है कि जिनके पास नकद एक धेला नहीं था, हमारे ऐसे पुरखों ने भी बारिश के बाद देवउठनी एकादशी परयदि समुद्र न होते तो...
Posted on 13 Jun, 2013 10:10 AM समुद्रों के खारेपन की चर्चा के बगैर समुद्र का महत्व अधूरा रहेगा। यह सच है कि यदि समुद्र में पानी कम हो जाए, तो यही खारापन बढ़कर आसपास की इलाकों की ज़मीन बंजर बना दे; ऐसे इलाकों का भूजल पीने-पकाने लायक न बचे; लेकिन सच भी है कि समुद्री खारेपन का महत्व, इस नुकसान तुलना में कहीं ज्यादा फायदे की बात है। गर्म हवाएं हल्की होती हैं और ठंडी हवाएं भारी; कारण कि गर्म हवा का घनत्व कम होता है और ठंडी हवा का ज्यादा। यह बात हम सब जानते हैं। यही बात पानी के साथ है। जब समुद्र का पानी गर्म होकर ऊपर उठता है, तो उस स्थान विशेष के समुद्री जल की लवणता और आसपास के इलाके की लवणता में फर्क हो जाता है। इस अंतर के कारण ही समुद्र से उठे जल को गति मिलती है। नदियां न होती, तो सभ्यताएं न होती। बारिश न होती, तो मीठा पानी न होता। पोखर-झीलें न होती, तो भूजल के भंडार न होते। भूजल के भंडार न होते, तो हम बेपानी मरते। पानी के इन तमाम स्रोतों से हमारी जिंदगी का सरोकार बहुत गहरा है। यह हम सब जानते हैं; लेकिन यदि समुद्र न होते, तो क्या होता? इस प्रश्न का उत्तर तलाशें, तो हमें सहज ही पता चल जायेगा कि धरती के 70 प्रतिशत भूभाग पर फैली 97 प्रतिशत विशाल समुद्री जलराशि का हमारे लिए क्या मायने है? समुद्र के खारेपन का धरती पर फैले अनगिनत रंगों से क्या रिश्ता है? समुद्री पानी के ठंडा या गर्म होने हमें क्या फर्क पड़ता है? महासागरों में मौजूद 10 लाख से अधिक विविध जैव प्रजातियों का हमारी जिंदगी में क्या महत्व है? दरअसल,किसी न किसी बहाने इन प्रश्नों के जवाब महासागर खुद बताते हैं हर बरस। आइये, जानें !सच यह है कि यदि समुद्र में इतनी विशाल जलराशि न होती, तो वैश्विक तापमान में वृद्धि की वर्तमान चुनौती अब तक हमारा गला सुखा चुकी होती। यदि महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही न होता। यदि समुद्र का पानी खारा न होता, तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते और ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे।
कोयला ढोर
Posted on 11 Jun, 2013 12:48 PMएकदिन मेरे गांवपाकुड में भी आया विकास
साथ लाया एक लंबी
काली-सर्पीली सड़क खास
जो बांट गई पानी
पाट गई पोखर
लील गई खेत
बना गई हमें कामचोर।
फिर आये कतार दर कतार
ट्रक ही ट्रक
सिखा गए बेईमानी
बना गए
कोयला ढोर।
अब हर रोज रहता है
मुझे इनका इंतजार
मैं इन्हें रोक लूट लेता हूं
थोड़ा थोड़ा कोयला
अब तो छोड़ भी दो तंबाकू यारो
Posted on 11 Jun, 2013 12:20 PM तंबाकू उत्पादन के पक्ष में तर्क देने वाले कह सकते हैं कि तंबाकू उद्योग भारतीय आर्थिकी में हर वर्ष कईजैव विविधता संरक्षण मंत्र : जीओ और जीने दो
Posted on 23 May, 2013 10:06 AMअंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई) पर विशेष
एक संसद नदी की
Posted on 21 May, 2013 10:30 AM‘अरवरी संसद’ एक ऐसी मिसाल है, जो कुशासन के इस दौर में भी सुशासन की उम्मीद जगाती है। अकाल में भी सजल बने रहना इस