The 2024 heatwave in India highlights the urgent need for a just transition in climate adaptation, emphasising inclusive and resilient strategies to protect vulnerable communities and mitigate the social and economic impacts of extreme weather events.
केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को प्रारम्भ किया। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने अर्थात अमृतकाल में प्रस्तुत इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होना था। प्रश्न यह है कि क्या वह लक्ष्य पूर्ण हुआ जिसके दृष्टिगत अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ। जानिए उसके बारे में और अधिक -
With its rising innovation and technology culture and its reputation as a global growth engine, India has the ability to assist the Global South's circular transition.
Pastoralism is not just an economic activity for the Maldharis residing in the Banni grasslands, but a way of life in which pastoralists, livestock, land and culture are inseparable parts of a dynamic ecosystem.
यह जो सीमेंट की सड़कें बनाने और गलियों में भी सीमेंट से ही समतलीकरण की सोच है‚ यह जल संरक्षण में बाधक है। सीमेंट की सड़कों और सीमेंट की गलियों की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पाता। स्पष्ट शब्दों में कहें तो मुंबई बारिश का काफी पानी बर्बाद कर देता है। आज मुंबई में जल संकट पैदा हो गया है‚ निवासियों को पिलाने के लिए १५ दिन का भी पानी नहीं बचा है। बीएमसी को पानी की राशनिंग करनी पड़ती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है।
Kritsnam where engineering meets hydrology, founded by K. Sri Harsha focuses on developing accurate, easy to install, tamper-proof, and weather-proof smart water metering solutions to deal with the growing water crisis in India.
गंदे पानी के शुद्धिकरण, समुद्री जल का खारापन कम करने और वर्षा जल के अधिकतम संग्रह के साथ सिंगापुर ने पानी से जुड़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने का एक ऐसा मॉडल तैयार किया, जो एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के साथ सामाजिक बदलाव की एक बड़ी मिसाल है
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चलाया गया एक अतिक्रमण विरोधी अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उनके बुलडोजर की बहुत चर्चा रही है। लेकिन इस बार लखनऊ में जब बुलडोजर चलाया गया तो इसके पीछे उद्देश्य सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराना या किसी अपराधी को उसके किए का सबक सिखाना मात्र नहीं था। इसके पीछे जो कारण था वह बहुत ही पवित्र और पर्यावरण हितैषी था।
मानसून की पहली बारिश में दिल्ली डूब गई‚ झेल नहीं पाई तेज बारिश। जगह–जगह जलभराव हुआ। टनल‚ अंडरपास‚ पुल–पुलिया‚ सड़कें सभी पानी से लबालब भर गईं। पीडब्ल्यूडी‚ दिल्ली जल बोर्ड‚ नगर निगम‚ एनडीएमसी ऐसे महकमे हैं जिन पर जलभराव से निपटने की सामूहिक जिम्मेदारियां रहती हैं। लेकिन ये सभी आपस में ही भिड़े पड़े हैं। एक–दूसरे पर नाकामियों के दोष मढ़े जा रहे हैं। इनकी इन हरकतों की मार बेकसूर दिल्लीवासी झेल रहे हैं। यह समस्या आखिर‚ क्यों साल–दर–साल नासूर बनती रही है। चुनावों में तो सभी दल इन समस्याओं से निपटने का दम भरते हैं‚ लेकिन चुनाव बीतने के बाद निल बटे सन्नाटा। इस विकट समस्या पर प्रकाश डालने के लिए डॉ. रमेश ठाकुर ने एमसीडी के प्लानिंग पूर्व चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्रा से जानना चाहा कि आखिर‚ इस समस्या के कारण और निवारण हैं क्याॽ पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से.
This article argues for the need to explore an alternative model of decentralised treatment and non-pipe mode of water supply to overcome the issues of water quality in cities in India.
नागरिकों को परेशानी की एक बड़़ी वजह भाजपा और आप के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान भी है। दिल्ली नगर निगम में डे़ढ़ साल से स्टैंडिंग कमेटी ही नहीं बनी है‚ जोनल कमेटियां भी नहीं बनाई गई हैं। इनके बिना नगर निगम में कैसे काम हो रहा होगा समझ में आ जाता है। दिल्ली में गंदी राजनीति चल रही है‚ उपराज्यपाल भी सिर्फ बयान देते हैं। भाजपा नगर निगम की सत्ता हथियाना चाहती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है।
बारिश होती है तो देश के बड़े–बड़े शहर त्राहिमाम कर उठते हैं। जलभराव से शहरों की सड़कें ताल–तलैया बन जाती हैं। आखिर‚ क्यों हो रही है यह समस्याॽ पानी के संवर्धन और निकास पर क्या किया जाएॽ दीपिंदर कपूर‚ डायरेक्टर‚ वाटर प्रोग्राम‚ सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट‚ दिल्ली से अनिरुद्ध गौड़‚ वरिष्ठ पत्रकार ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंशः
वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। वनों के प्रकार और प्रबंधन पद्धतियाँ जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं, जैसे अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अंतःस्यंदन और अपवाह. वनीय-जलविज्ञान वन और जल के संबंध को समझने में मदद करता है। वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान वन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद करेगा। उपयोगिता और महत्व के बारे में जानिए
भारत के पश्चिमी घाट एक अनोखी पारिस्थितिकीय विविधता का संग्रहण है। यहां गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी महत्वपूर्ण नदियां उद्गमित होती हैं, और यह वन्यजीवों और पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। इसके बावजूद, वनस्पतियों की कटाई, खनन और अतिक्रमण के कारण इसकी पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है। जानिए इसके सौंदर्य के बारे में
भारत में भूजल स्तर लगातार तेजी से गिर रहा है, उत्तर भारत में यह आंकड़ा और भयानक हो जाता है। आईआईटी की रिपोर्ट में इस पर भयानक आंकड़े सामने आए हैं। चिंताजनक बात यह है कि भूजल की बर्बादी बड़े पैमाने पर हुई है। पिछले 20 साल में उत्तर भारत ने लगभग 450 घन किमी की मूल्यवान भूजल संपदा को नष्ट कर दिया है। पूरी रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसे जानने के लिए पढ़ें।
मैंने अपनी किताब ‘स्टेट ऑफ द कैपिटलः क्रिएटिंग अ ट्रूली स्मार्ट सिटी' में इस बात की विस्तार से चर्चा की है कि राजधानी में बेहतर नगर नियोजन कैसे किया जा सकता है। इसमें मेरे दिल्ली नगर निगम में आयुक्त के रूप में चार साल (2008 से 2012) के दौरान हुए अनुभव से निकले समाधानों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसमें अनियंत्रित निर्माण की भी चर्चा है और इस बात का भी उल्लेख है कि अतिक्रमण की वजह से दिल्ली की सड़कें छोटी हो गई हैं। इस किताब में मैंने दिल्ली को सुंदर और व्यवस्थित शहर बनाने के लिए स्वच्छता और जलभराव समेत कई अन्य विषयों पर भी प्रकाश डाला है। यह आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है।