Kesar Singh

दक्षिण बिहार की जीवनदायिनी 'पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली' की समीक्षा (भाग 2)
भारतीय सभ्यता में मानवीय हस्तक्षेप द्वारा वर्षा जल संग्रहण और प्रबन्धन का गहन इतिहास रहा है। भारत के विभित्र इलाकों में मौजूद पारम्परिक जल प्रबन्धन प्रणालियाँ आज भी उतनी ही कारगर साबित हो सकती हैं जितनी पूर्व में थी। समय की कसौटी पर खरी उतरी और पारिस्थितिकी एवं स्थानीय संस्कृति के अनुरूप विकसित हुई पारम्परिक जल प्रबन्धन प्रणालियों ने लोगों की घरेलू और सिंचाई जरूरतों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पूरा किया है। एकीकृत मानव अनुभव ने पारम्परिक प्रणालियों को कालांतर में विकसित किया है जो उनकी सबसे बड़ी खासियत व ताकत है। Kesar Singh posted 5 months 1 week ago
पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
प्राकृतिक उपहारों में से एक है पहाड़ी नौले-धारे (Springs) जो पहाड़ों में रहने वाले लोगों की कई सालों से जलापूर्ति करते आये हैं। वास्तव में देखा जाए तो नौले व धारे पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति और संस्कारों का दर्पण भी हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मानें तो वे इन्हें जल मंदिर के रूप में पूजते हैं। Kesar Singh posted 5 months 1 week ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
अंटार्कटिका में घट रही है बर्फ
1986 में अंटार्कटिका से टूटकर अलग हुआ जो हिमखंड स्थिर बना हुआ था।  वह अब 37 साल बाद समुद्री सतह पर बहने लगा है।  उपग्रह से लिए चित्रों से पता चला है कि करीब एक लाख करोड़ टन वजनी यह हिमखंड अब तेज हवाओं और जल धाराओं के चलते अंटार्कटिका के प्रायद्वीप के उत्तरी सिरे की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। Kesar Singh posted 5 months 1 week ago
अंटार्कटिका से हिमखंड कट रहे हैं
भारतीय लोक संस्कृति और साहित्य में जल की महिमा
भारतीय धर्म, संस्कृति और साहित्य में जल को अमृत तुल्य और जीवनदाता माना गया है। एक ओर जहां जल को प्रदूषित न करने की बात कही गई है, वहीं दूसरी ओर उसका संरक्षण यानी अपव्यय न करने की बात कही गई है। सभी धर्मों में इसकी महत्ता को समझाया गया है। Kesar Singh posted 5 months 1 week ago
लोक साहित्य में जल
मिलकर भविष्य संवारें
दुनिया का बदलता मौसम समय के गहराते संकट को हमारे परिभाषित कर रहा है- और यह काम जितनी गति से हो रहा है, उसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी।  लेकिन इस वैश्विक संकट के सामने हम उतने असहाय नहीं हैं जितना हम समझ रहे हैं।  मौसम का यह संकट-काल भले ही आज हमें हारी हुई स्पर्धा लग रहा हो, पर हम यह मुकाबला जीत सकते हैं।  Kesar Singh posted 5 months 1 week ago
बेहतर धरती के भविष्य के लिए
संयुक्त राष्ट्रसंघ के जलशांति वर्ष-2024 के अवसर पर एक अपील
मानवीय जीवन में जब जल का तीर्थपन था, तब मानवीय मन में जल-सुरक्षा, शांति और सम्मान भी था।  जल के बाजारू दुरुपयोग और दुर्व्यवहारों ने बहुत कुछ बदल दिया है।  इसीलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने न्यूयॉर्क के दूसरे विश्व सम्मेलन में 2024 को जलशांति वर्ष घोषित कर दिया है।  Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
संयुक्त राष्ट्रसंघ का जलशांति वर्ष-2024
बढ़ते समुद्री स्तर से पनामा द्वीप खाली करने की तैयारी
गार्दी सुगडुब द्वीप से लगभग 300 परिवारों को द्वीप छोड़कर के कहीं सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया है, इस द्वीप पर रहने वाले गुना समुदाय की जीविका समुद्र और पर्यटन पर निर्भर है। जानिए वजह क्या है Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
बालाघाट जिले की पांढरवानी में तालाब जोड़ो योजना ने बढ़ा दिया जलस्तर
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की पांढरवानी पंचायत ने छह तालाबों को जोड़कर वर्षा जल संचयन किया है। जिससे गर्मी के मौसम में भी तालाब पूर्ण रूप से भरे हुए हैं और आसपास के कुओं व हैंडपंपों में पानी का स्तर 15 से 20 फीट तक है। जानिए पूरी कहानी Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
गर्म होते महासागर, ऑक्सीजन की कमी और अम्लीकरण : महासागरों में 10 गुना बढ़ेंगे 'Hot Days'
एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम? Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
गर्म होते महासागर
पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संकट
पी.विविर के अनुसार, "प्राकृतिक या मान-जनित कारणों से जल की गुणवत्ता में इस प्रकार के परिवर्तनों को प्रदूषण कहा जाता है, जो आहार, मानव एवं जानवरों के स्वास्थ्य, कृषि, मत्सत्य व्यवसाय, आमोद-प्रमोद के लिये अनुपयुक्त या खतरनाक होते है।" Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संकट
पर्यावरण प्रदूषण के पीछे तत्विक शक्तियों की खोज
प्रदूषण का मुख्य कारण हैं वे तत्व जो हम प्राकृतिक रूप से प्रदान करते हैं, जिन्हें हम अपने योगदानों से परिवर्तित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, उद्योगों और वाहनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषण का मुख्य कारण बन गए हैं। इन तत्वों के बढ़ते स्तरों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होता है, इसे समझने के लिए हमें उनके प्रभाव की अध्ययनी की आवश्यकता होती है। Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
पर्यावरण प्रदूषण के पीछे तत्विक शक्तियां
पर्यावरण प्रदूषण : एक वैश्विक चुनौती
पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वातावरण में अचानक आने वाले परिवर्तनों से पूरे विश्व में अफरा-तफरी मच सकती है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों डा० रेडाल व पीटर स्क्वार्ट्ज़ ने आगाह किया था कि इन बदलावों पर तत्काल प्रभाव से विचार नहीं किया गया तो विश्व के देशों के बीच पेयजल और बिजली की कमी से संघर्षों एवं युद्धों का सिलसिला भी प्रारम्भ हो सकता है। A Pentagon report says that sudden changes in the environment can cause chaos in the entire world. The lead authors of the report, Dr. Redal and Peter Schwartz, had warned that if these changes are not considered with immediate effect, then the lack of drinking water and electricity could lead to conflicts and wars among the countries of the world. Kesar Singh posted 5 months 2 weeks ago
पर्यावरण प्रदूषण : एक वैश्विक चुनौती
स्थान विशेष तथा प्रवाह की दिशा के अनुसार नदियों के जल का गुण
देश विशेष के अनुसार ताम्रवर्ण की मिट्टी में उत्पन्न जल वातादि दोषों को उत्पन्न करने वाला है, धूसर मिट्टी में उत्पन्न जल जड़ताकारक, दुष्पच तथा अनेक दोषों को उत्पन्न करता है। पहाड़ के ऊपर से उत्पन्न जल वातनाशक स्वच्छ, पथ्य, हल्का तथा स्वादिष्ट है और श्याम (काली) वर्ण की मिट्टी से उत्पन्न जल श्रेष्ठ है तथा त्रिदोष शामक एवं सभी प्रकार के रोगों को नाश करने वाला है। Kesar Singh posted 5 months 3 weeks ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 1)
भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है। Kesar Singh posted 5 months 3 weeks ago
चेकडैम
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) | Methods and techniques of ground water recharging approved by Central Ground Water Board
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) में हम आगे की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है। Kesar Singh posted 5 months 3 weeks ago
मॉडर्न रिचार्ज कुआं
वातावरणीय प्रदूषण एवं प्रजनन स्वास्थ्य
यह लेख आईसीएमआर के अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान के वैज्ञानिक 'जी' एवं प्रभारी निदेशक डॉ सुनील कुमार द्वारा "वातावरणीय प्रदूषण, जीवन शैली एवं प्रजनन स्वास्थ्य शीर्षक से उनकी पुस्तक में प्रकाशित आलेख पर आधारित है। This article is based on an article published by Dr. Sunil Kumar, Scientist 'G' and Director-in-charge, National Institute of Occupational Health, Ahmedabad, ICMR, in his book titled "Environmental Pollution, Lifestyle and Reproductive Health." Kesar Singh posted 5 months 3 weeks ago
Environmental pollution and reproductive health
बेंगलुरु का गला सूखा, दुबई में बाढ़ : सबक क्या है
वर्तमान में जिस प्रकार झीलों का शहर बेंगलूरू जल बिना तड़प रहा है, तो दूसरी ओर रेगिस्तान में स्थित दुबई और ओमान जल की अधिकता से डूबते दिखे, उससे स्पष्ट है कि प्रकृति में जल तत्व का संतुलन बिगड़ रहा है। Kesar Singh posted 5 months 4 weeks ago
जलसंकट का दौर
यूसर्क द्वारा विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय 'वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी' कार्यशाला प्रारंभ 
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) द्वारा स्कूल के विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय "वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी" कार्यशाला का आरंभ किया। भागीदारी के लिए आप भवतोष शर्मा को संपर्क कर सकते हैं। Kesar Singh posted 5 months 4 weeks ago
यूसर्क में दो दिवसीय "वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी" कार्यशाला
जल जीवन मिशन का सुफल : करोड़ों घरों में नल से स्वच्छ जल
भारत आज जल क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश और व्यापक लक्ष्यों के लिहाज से सबसे अहम है जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी है कि जल जीवन मिशन का विजन लोगों तक पानी पहुंचाने का तो है ही, साथ ही यह विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा माध्यम है। यह ग्राम-संचालित और नारी शक्ति-संचालित है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जन भागीदारी है। Kesar Singh posted 5 months 4 weeks ago
जल जीवन मिशन में बड़ी मात्रा में ढांचागत निर्माण हुए हैं
तीन जलनायक : शिक्षक एमसी कांडपाल, जगत सिंह जंगली और बृजमोहन शर्मा
उत्तराखंड में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है, जिससे गर्मियों में राजधानी देहरादून सहित अन्य शहरों में पीने के पानी की कमी से लोग परेशान हैं। कुछ लोग इस समस्या से इतने चिंतित हैं कि उन्होंने पानी के संरक्षण के लिए एक नहीं, तीन दशक से काम कर रहे हैं। Kesar Singh posted 6 months ago
50 साल पहले उत्तराखंड की नदियां कैसी थीं
×