जलवायु संकट अपने चरम होता जा रहा है। छोटे-छोटे द्वीप खाली करने पड़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्री स्तर से अबकी पनामा द्वीप वासियों को द्वीप खाली करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण पनामा के छोटे-छोटे द्वीपों को खाली करने की तैयारी चल रही है। गदी सुगडुब द्वीप से लगभग 300 परिवारों को द्वीप छोड़कर के कहीं सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा गया है, इस द्वीप पर रहने वाले गुना समुदाय की जीविका समुद्र और पर्यटन पर निर्भर है।
गुना समुदाय के लोग अपनी मर्जी से नहीं बल्कि मजबूरी में द्वीप खाली करने जा रहे हैं। भारतीय समुद्री स्तर के खतरे को देखते हुए आबादी को जबरन दूसरी जगह जाना पड़ रहा है। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार 2050 तक बड़े समुद्री स्तर के कारण पनामा करीब दो फीसदी से ज्यादा तटीय इलाकों से हाथ धो बैठेगा।
गार्डी सुगडब की व्यथा कथा
पनामा का जलवायु परिवर्तन से सही में पाला पड़ गया है। पनामा जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता का सामना कर रहा है। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार , देश के कैरिबियन सागर में बसे खूबसूरत द्वीप गार्डी सुगडब पर, लगभग 300 गुना परिवार एक दिल दहला देने वाली स्थितियों का सामना कर रहे है। अपने पैतृक घर को छोड़ दें या बढ़ते समुद्री जल स्तर में समा जाएँ। यह एक ऐतिहासिक क्षण है - लैटिन अमेरिकी राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे द्वीप समुदाय को खाली करने वाला पहला देश बनने जा रहा है। गार्डी सुगदुब गुना याला क्षेत्र के द्वीपसमूह में लगभग 50 बसे हुए द्वीपों में से एक है। इसकी लंबाई लगभग 400 गज और चौड़ाई 150 गज है।
पीढ़ियों से लगातार बढ़ते जल स्तर के कारण गुना के मूल निवासियों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खारे पानी के घुसपैठ से मीठे पानी के भंडार में जहर घुल रहा है और बार-बार आने वाली बाढ़ से द्वीप की नींव ही खत्म हो रही है ।
वैज्ञानिक और सरकारी अधिकारी एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं। गार्डी सुगदुब तो बस हिमशैल का सिरा है। आने वाले दशकों में पनामा के प्रशांत और कैरिबियन तटों पर लगभग 63 समुदायों को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। समुद्र का बढ़ता स्तर उनके अस्तित्व को मिटाने की धमकी देता है, जिससे जीवंत तटीय समुदाय डूबी हुई यादों में बदल जाते हैं। गार्दी सुगदुब को खाली करना सिर्फ़ सामान समेटने से कहीं ज़्यादा है। यह एक सांस्कृतिक उथल-पुथल है, उस ज़मीन से जबरन अलग हो जाना जिसने पीढ़ियों से गुना लोगों का पालन-पोषण किया है।
समस्या का अध्ययन
एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार, जिसे पनामा के पर्यावरण मंत्रालय के जलवायु परिवर्तन विभाग और पनामा तथा स्पेन के विश्वविद्यालयों के सहयोग से किया गया है, यह प्रक्षेपित किया गया है कि 2050 तक पनामा को समुद्री स्तर की वृद्धि के चलते अपने तटीय क्षेत्रों का लगभग 2.01% हिस्सा खोना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन निदेशक, लिगिया कास्त्रो के अनुसार, इस परिवर्तन के कारण पनामा में लगभग 38,000 लोगों को विस्थापित करना पड़ सकता है, जिसके लिए अनुमानित रूप से 1.2 बिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है, जो कि अल्पकालिक और मध्यकालिक अवधि में समुद्री स्तर की वृद्धि से निपटने के लिए आवश्यक होगा।
दस्तावेज क्या कहते हैं
डैनियल सुमन, मियामी विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता, गार्डी सुगडब के 1,200 से अधिक निवासियों के संघर्षों को रिकॉर्ड कर रहे हैं, जो निचले द्वीप पर बढ़ती आबादी की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और मुख्य भूमि पर अपने स्थानांतरण की योजना बना रहे हैं, जिससे वे विश्व के नवीनतम जलवायु शरणार्थी बन जाएंगे। मियामी विश्वविद्यालय के रोसेनस्टील स्कूल ऑफ मरीन, एटमॉस्फेरिक एंड अर्थ साइंस में पर्यावरण विज्ञान और नीति के प्रोफेसर, डैनियल सुमन ने गार्डी सुगडब की चुनौतियों के बारे में कहा, “यह जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभावों का एक उदाहरण है।” “मौसमी भारी बारिश, समुद्र के स्तर में वृद्धि, और उष्णकटिबंधीय तूफानों के कारण आने वाली तेज़ हवाएँ इस द्वीप पर जीवन को दुष्कर बना रही हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ एक प्रमुख समस्या है, जिससे समुद्री जल घरों और सड़कों में प्रवेश कर जाता है, खासकर द्वीप के किनारों और निचले हिस्सों में, जो कि मात्र 400 मीटर लंबा और 150 मीटर चौड़ा है। प्रोफेसर सुमन ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन के उपग्रह डेटा के अनुसार, द्वीपसमूह में समुद्र का स्तर 1960 के दशक में प्रति वर्ष 1 मिलीमीटर से बढ़कर वर्तमान में लगभग 3.5 मिलीमीटर प्रति वर्ष हो गया है, जिससे विस्थापन एक अनिवार्य उपाय बन गया है।
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