बालाघाट जिले की पांढरवानी में तालाब जोड़ो योजना ने बढ़ा दिया जलस्तर

प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर

बालाघाट जिले की ग्राम पंचायत पांढरवानी में सरपंच अनीस खान द्वारा अपनाई गई तालाब जोड़ो योजना ने पूरे प्रदेश को नयी योजना से जोड़ने पर मजबूर कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट में निमार्ण कार्यों की जमकर सराहना की है। साथ ही सरपंच को अनूठी पहल के लिए बधाई भी दी है।

गौरतलब हो कि, मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने वर्ष 1993- 2003 तक गांव का पानी गांव में योजना की शुरुआत की थी, जिसे पांढरवानी पंचायत द्वारा साकार कर दिखाया गया है। जिसमें पांच तालाबों को एक दूसरे से जोड़ कर एक दूसरे का वाटर लेबल बढ़ाया गया है। बताया जाता है कि, अधिकारियों की टीम पांढरवानी के कार्यों का निरीक्षण कर देश में अनूठी पहल के लिए सरकार के सामने प्रस्ताव भी रख सकती है। तालाबों के जीर्णोद्धार श्रृंखलाबद्ध जल संरचनाओं के निर्माण से 1,28,000 क्यूविक मीटर जल भराव क्षमता में बढ़ोतरी हुई है।

मजदूरों को मिला सौ दिन का रोजगार

सरपंच अनीस खान ने बताया कि, लालबर्रा में गर्मी का मौसम आते ही पेयजल के संकट से जूझना पड़ता था, किन्तु योजना ‘गांव का पानी गांव में’, को मॉडल के रूप में अपनाते हुए व अधिकारियों के सहयोग से क्षेत्र के बड़े तालाबों, पटेल डोवरी, पढ़ान डोचरी, जोड़ा तालाब, शिकारी तालाब और सराटों - जलाशय के जिर्णोद्धार के साथ-साथ सौंदर्याकरण कर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के आधार से सभी को एक दूसरे से जोड़ा गया। इस कार्य को मनरेगा के माध्यम से किया गया है, जिससे सभी मजदूर को सौ दिन का रोजगार भी मिला है। अब जल स्तर भी बढ़ गया है और तालाबों का सौंदर्यकरण भी हो गया है।

सौ वर्ष पुराने तालाबों का कायाकल्प

ग्राम पंचायत पाढरवानी में लगभग सौ वर्ष पुराने 6 तालाब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में कचरों से भरे हुए थे, जिसमें जल भराव की स्थिति निर्मित नहीं हो पाती थी। ग्राम पंचायत सीमा में शिकारी तालाब जिसका क्षेत्रफल लगभग 10 एकड़ में फैला है, इस तालाब की स्थिति भी पूर्व में अत्यंत ही दयनीय थी और यहां भी जल संरक्षण एवं जल भराव की स्थिति नहीं थी। 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत तालाबों के जीर्णोद्धार कार्य ने इन तालाबों का स्वरूप ही बदल दिया।

जागरण की एक खबर बताती है कि 
इतने है हैंडपंप व कुएं :

सात गांवों में है 87 सरकारी हैंडपंप
निजी घरों में 460 बोर
730 सरकारी व निजी कुएं
पांच तालाबों की दूरी दो से तीन किमी व एक तालाब आठ किमी दूर है
 30 से 32 एकड़ क्षेत्रफल में छह तालाब
पंचायत के पांच कर्मचारी व मछुआरे सालभर करते हैं तालाब की देखरेख

इन गांवों में अब पानी की किल्लत नहीं रही

इन गांवों में अब पानी की किल्लत नहीं रही। छह तालाबों के पूर्ण रूप से भर जाने के कारण पांढरवानी, रामजीटोला, उदासीटोला, आमाटोला, कटंगटोला, चंदनटोला, अमोली और आसपास के गांवों में कुओं और हैंडपंपों में पानी का स्तर 15 से 20 फीट तक बना हुआ है। इसके चलते, सभी कुएं और हैंडपंप पानी से भरे हुए हैं, जिससे किसान वर्षभर दोहरी फसल और सब्जियां उगा पा रहे हैं। इससे लालबर्रा और आसपास के करीब 200 किसान प्रतिदिन अपनी ताजा सब्जियां बाजार में बेचकर आजीविका अर्जित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 25 मछुआरे परिवारों को मछली पकड़ने और अन्य लोगों को जलीय कांदा, सिंघाड़ा जैसे जलीय उत्पादों से रोजगार मिल रहा है।

तालाबों को जोड़ने का कार्य मनरेगा के माध्यम से किया गया है, यह ग्राम पंचायत पाढरवानी में किया गया अनूठा प्रयास है। पंचायत इस पहल के लिए बधाई का पात्र है।
-दीपक आर्य, कलेक्टर, बालाघाट

सर्राटी जलाशय सहित पांच तालाबों का गहरीकरण कर एक-दूसरे से जोड़ा गया है। इसी तरह से जिले की अन्य ग्राम पंचायतों में भी योजना को बढ़ाया जाये इसका प्रयास किया जाएगा।
-रजनी सिंह, सीईओ, जिपं बालाघाट

गांव का पानी गांव में योजना को माध्यम बनाकर व मनरेगा के आधार से मजदूरों को रोजगार और तालाबों को जोड़ने का कार्य किया गया है।
-अनीस खान, सरपंच, ग्रापं पादरवानी

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Post By: Kesar Singh
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