The rising trend of abandoning open wells for borewells in Chikkaballapur and Annamayya districts, and the potential negative consequences of this shift.
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है।
As cities such as Bangalore grapple with the water crisis, understanding the value of conserving groundwater to prevent this from happening in the future is urgently needed!
Posted on 19 Jan, 2016 02:12 PM 1970 और 2008 के बीच भारतवर्ष में लगभग 250 लाख हेक्टेयर असिंचित कृषि भूमि को सिंचाई योग्य बनाया गया, जिसमें भूजल का योगदान 85 प्रतिशत रहा।
Posted on 07 Dec, 2015 10:11 AM जल ही जीवन है, चाहे बात पेयजल की हो या खेतों में सिंचाई की जरूरत को पूरा करने की हो। सामान्य तौर पर देखने से ऐसा लगता है कि भारत में खेती, पीने के लिये पानी की कमी नहीं है। किन्तु वास्तविकता यह है कि बड़ा क्षेत्र सिंचाई के लिये भूजल पर निर्भर है और भूजल स्तर लगातार तथा तेजी से नीचे गिरते हुए चिन्ताजनक स्थिति में पहुँच गया है।
Posted on 28 Nov, 2015 10:03 AM पंचायत समिति, शेरगढ़ (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत
हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 5610 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।