कृषि

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Meta Description
Agriculture, an important sector of our economy accounts for 14 per cent of the nation’s GDP and about 11 per cent of its exports. India has the second largest arable land base (159.7 million hectares) after US and largest gross irrigated area (88 milion hectares) in the world. Rice, wheat, cotton, oilseeds, jute, tea, sugarcane, milk and potatoes are the major agricultural commodities produced. More importantly, over 60 per cent of the country’s population, comprising several million small farming households, depends on agriculture as a principal income source and land continues to be the main asset for livelihood security. 
Meta Keywords
Flowers, trees
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April 4, 2024 Tackling India's water crisis: A blueprint for agricultural water efficiency
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January 3, 2024 How has the shifting focus on rural electrification affected groundwater irrigation and agriculture in India? A study explores.
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कैसे करें ऊसर सुधार
Posted on 28 Apr, 2014 09:28 AM समाधान हमेशा समस्या के मूल में छिपा होता है। इन्हें अंजाम देने की श
barren
अब ऊसर नाहीं बा हमार किस्मत
Posted on 28 Apr, 2014 09:00 AM

खेतिहर की क्षमता विकसित करने के लिए कार्यक्रमों का नियोजन किया। तय किया कि प्रबंधन परियोजना को चाक चौबंद कैसे किया जाए? बनाई अनुदान योजना। खड़ी की परियोजना इकाइयां। चयनित किए गांव। अपने खेत पर खुद काम करने वाले भूमालिक को ही बनाया लाभार्थी। हर गांव में बनाई स्थल क्रियान्वयन समिति। गठित किए जलोपयोग और उत्पादक समूह। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए गए, ताकि आर्थिक कमजोरी ऊसर सुधार के काम में बाधा न बने।

अमेठी को ले कर एक कहावत है- “जौ न होत अमेठी मा ऊसर, तौ अमेठी कय द इवहौ ते दूसर।’’ यदि अमेठी में ऊसर न होता तो अमेठी का देवता कोई और होता। यह कहावत बताती है कि जमीन के ऊसर-बंजर होने का गवर्नेंस से क्या रिश्ता है। यह कहावत इस नतीजे की ओर संकेत है कि जमीन ऊसर हो तो परावलंबन की मजबूरी खुद-ब-खुद हाथ बांधे रखती है। इसी मजबूरी ने आजादी के बाद भी अमेठी के रजवाड़े को लोगों के मानस में राजा-रानी बनाए रखा।

सरकारी और निजी प्रयासों से कुछ भूमि खेती योग्य हुई जरूर है; बावजूद इसके अमेठी का आज भी काफी बड़ा रकबा ऊसर-बंजर-टांड है। पूरे उत्तर प्रदेश को देखें तो ऐसी भूमि के रकबे का आंकड़ा कई लाख हेक्टेयर में है। हम चाहें तो इस पर बहस कर सकते हैं कि अच्छी-खासी उपजाऊ जमीन को ऊसर बनाने में कितना योगदान शासन-प्रशासन का है और कितना स्वयं खेत मालिकों का, लेकिन इस बात पर कोई बहस नहीं है कि ऐसी भूमि को सुधरना चाहिए।
barren land
उपज घटाती, बंजर बनाती अधिक सिंचाई
Posted on 26 Apr, 2014 11:33 AM पानी ज्यादा समय तक खेत में टिका रहने से मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी होन
irrigation
सिंचाई अनुशासित, खेती वैज्ञानिक तो मुनाफा गारंटीड
Posted on 26 Apr, 2014 09:34 AM

अनुशासित सिंचाई के लिए सरकार से अपेक्षा है कि आपादाकाल न हो तो वह मुफ्त बिजली और मुफ्त नह

irrigation
संकट में खेती-किसानी
Posted on 31 Mar, 2014 10:29 AM सरकार की गलत नीतियों के कारण सिंचाई, घरेलू उद्योग, दस्तकारी और ग्रा
खेती पर पड़ रही है प्रकृति व व्यवस्था की दोहरी मार
Posted on 23 Mar, 2014 09:54 AM बेंगलुरु के एक ऐसी नदी वृषभावती की एक सहायक नदी में बने चैक डैम का है, जिसमें वर्षों से पानी ही नहीं आ रहा है। नई पीढ़ी को तो शायद यह भी पता नहीं कि यह कोई नदी है। स्थानीय लोगों से पूछें तो आमतौर पर कहा जाता है कि बारिश में साल-दर साल लगातार हो रही कमी के कारण इस नदी में पानी नहीं आता है। लेकिन विशेषज्ञों और अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, यह कोई सटीक और एकलौता कारण
जलवायु का कहर मड़ूवा-कोदो पर
Posted on 22 Mar, 2014 01:03 PM जलवायु में आ रहे परिवर्तन से मानसून का समय आगे खिसका और रोहिणी नक्षत्र में पानी के दर्शन भी नहीं हो रह
मौसम की मार के बीच पिसती कृषि
Posted on 22 Mar, 2014 12:15 PM

देखने में आया है कि अनियमित वर्षा की वजह से धान की खेती कई इलाकों में बंद हो गई है। गेहूं की फस

Monsoon
यादों-स्वादों में ही रह गया देसरिया धान और उसका चिउरा
Posted on 22 Mar, 2014 11:00 AM उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर शहर से करीब 8 किलोमीटर पूरब की ओर पूसा रोड पर जाएं तो मुशहरी ब्लॉक से आगे एक झील दिखाई देगी। मुशहरी से शुरू होकर यह झील अर्ध चंद्राकार होते हुए बूढ़ी गंडक के बगल में रजवाड़ा पंचायत तक करीब पांच किलोमीटर लंबाई में फैली है। इसी तरह इसकी चौड़ाई मणिका से मुशहरी पंचायत के बीच करीब आधा किलोमीटर है, जो गर्मी में सिकुड़ जाती है। इसे स्थानीय बोल
कैप्शन मुशहरी प्रखंड के नजदीक पानी की कमी से मणिका मन का सूखा हिस्सा
बारिश में अंतर से धान में चावल के बदले खखरा
Posted on 22 Mar, 2014 10:34 AM चित्र में जो धान का खेत दिख रहा है, इसकी फोटो पिछले साल ली गई है। इसमें धान की फसल बहुत ही कमजोर है। इतना कमजोर की उसमें धान लगने पर ही संदेह है। लगा भी तो बहुत कम उपज होनेवाली है।
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