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वर्षा जल संग्रहण
कैसे हो भूजल सस्टेनेबल
Posted on 25 Jan, 2010 01:34 PM“…चेन्नई के लोगों ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर भूजल की बढ़ोत्तरी में उल्लेखनीय योगदान दिया है। लेकिन इतने मात्र से ही अपनी समस्याओं की इतिश्री नहीं मान लेनी चाहिए।…” चेन्नई वासियों की कोशिशों और भविष्य की जरूरतों पर प्रकाश डाल रहे हैं शेखर राघवन और इन्दुकान्त रगाड़े…वर्षाजल का संचय (रेनवाटर हारवेस्टिंग) -- जल संकट दूर करने का रामबाण उपाय
Posted on 16 Aug, 2009 07:00 AMआज विश्व के हर भाग में मनुष्यों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जरा इन तथ्यों पर गौर करें:-व्यर्थ हो रहा है प्रकृति का उपहार
Posted on 29 Jan, 2009 04:19 PMवर्षा-जल प्रबंधन में ताल-तलैयों की अनदेखी ने इस स्थिति को और बदतर बनाया है- प्रताप सोमवंशी
तीर्थ का एक अनमोल प्रसाद
Posted on 19 Oct, 2008 10:26 AMश्री पद्रे
कर्नाटक राज्य के गडग में स्थित वरी नारायण मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि कुमार व्यास ने इसी मंदिर में बैठकर महाभारत की रचना की। यह ऐतिहासिक मंदिर आज एक बार फिर से इतिहास रच रहा है। कई वर्षों में इस मंदिर के कुंए का पानी खारा हो गया था। इतना खारा कि यदि उस पानी में ताबें का बरतन धो दिया जाए तो वह काला हो जाता था। तब मंदिर के खारे पानी के निस्तार के लिए वहां एक बोरवैल खोदा गया। उस कुंए में पानी होते हुए भी उसका कोई उपयोग नहीं बचा था। बोरवैल चलता रहा। और फिर उसका पानी भी नीचे खिसकने लगा। कुछ समय बाद ऐतिहासिक कुंए की तरह यह आधुनिक बोरवैल भी काम का नहीं बचा। कुंए में कम से कम खारा पानी तो था। इस नए कुंए में तो एक बूंद पानी नहीं बचा। मंदिर में न जाने कितने कामों के लिए पानी चाहिए। इसलिए फिर एक दूसरा बोरवैल खोदा गया। कुछ ही वर्षों में वह भी सूख गया।
उत्तर प्रदेश के रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोफेशनल्स
Posted on 23 Sep, 2008 07:08 PMडाटा टेक्नोसिस (इंजीनियर्स) प्रा०लि०, शान्तिमूर्ति सेवा संस्थान, हरियाली एच.जी.ओ., लक्ष्य, नरायन प्रगति आश्रम सेवा संस्थान उ.प्र., पहल जन विकास संस्थान लखनऊ, महाराण प्रताप शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय एकता संस्थान, अर्चना सेवा संस्थान, मेसर्स आर्कीटेक प्लस, मातृभूमि सेवा संस्थान., सोसायटी फॉर इको सस्टेनेवल, डेवलपमेंट, ग्लोबल आइडियाज, प्रकाश फाउन्डेशन., प्रियदर्शनी ज्ञानोदय प्रशिक्षण समिति,जल फैलाव (Water Spreaders)
Posted on 06 Sep, 2008 12:28 PMकई प्रकार की यांत्रिक एंव वानस्पतिक विधियों का प्रयोग करके वर्षाजल अपवाह को ढ़लान से समतल क्षेत्रों में मोड़ा जाता है। जहां अपवाह जल ज्यादा भूमि क्षेत्र में फैलकर भूमि में वर्षा जल रिसाव को बढ़ावा देता है। उपरोक्त उद्देश्यों से बनाई गई संरचनाओं को जल फैलाव (Water spreaders) कहते है।विपथक बंध (Diversion bunds) / नालियां
Posted on 06 Sep, 2008 12:18 PMइनका निर्माण वर्षाजल अपवाह को सुरक्षित जल संग्राहक तालाबों / बांधो में पहुंचाना होता है। ये एक प्रकार की नालियां होती है जिन्हें ढलान के निचले हिस्से में 0.5 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत तक का ढाल देकर बनाया जाता है। यह जल संग्रहण तालाबों (Water harvesting ponds) का अभिन्न हिस्सा है। विपथक बंधों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये सिमेन्ट लाईनिंग, ईंट की दीवार अथवा घटांके
Posted on 06 Sep, 2008 12:13 PMसतही अपवाह को भंडारित करने वाली एक ढंकी हुई भूमिगत सरंचना जिसे स्थानीय भाषा मं टंका कहते है। इस प्रकार के टंके भारत के शुष्क प्रदेशों में अधिकांश रूप से प्रयोग में लाये जाते है। टंका 3 से 4 मी. व्यास का एक गोल गङ्ढा खोदकर उसके आधार एंव किनारे की दीवारों को 6 मी.मी. मोटे लाईम मोर्टार या 3 मी.मी.खोदकर तालाबों का निर्माण एंव भंडारण टंकियां
Posted on 06 Sep, 2008 11:58 AMखोदकर बनाए गये तालाबों का निर्माण सामान्यतया समतल क्षेत्रों में किया जाता है। तालाब के निर्माण के लिये क्षेत्र के सबसे नीचले हिस्से का चुनाव किया जाता है जहां वर्षा जल अपवाह को आसानी से ले जाया जा सके। सर्वप्रथम आवश्यकतानुसार तालाब की सीमारेखा निर्धारित कर खुदाई शुरू की जाती है और खुदाई की गई मिट्टी को तालाब के चारों तरफ एक मजबूत मेंड के रूप में जमाकर रोल