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वन्यजीव
घने वन या खतरनाक खनन, किसे चुनेंगे आप?
Posted on 14 Feb, 2012 04:19 PM6,48,750 हेक्टेयर नोगो जोन वाले घने जंगल में से 71 प्रतिशत या 4,62,939 हेक्टेयर सघन वनक्षेत्र में खनन की मंजूरीघना में रौनक तो है साइबेरियाई सारस नहीं
Posted on 13 Feb, 2012 10:35 AMसाइबेरियाई सारस सहित यहां आने वाले सभी विदेशी पक्षी शाकाहारी होते हैं जो कि यहां कि वनस्पतियों पर निर्भर रहते है
खतरे में हैं नमभूमियां और प्रवासी पक्षी
Posted on 24 Jan, 2012 11:01 AM(19-22 जनवरी, 2012 के दौरान गुजरात में आयोजित द्वितीय ग्लोबल बर्ड वॉचर्स कांफ्रेंस पर आधारित लेख)
बाघ नहीं चिड़ियाएं भी हैं जंगल में
Posted on 23 Jan, 2012 11:49 AMआंगन में फुदकती गौरैया के साथ हमारे मन भी फुदकते रहे हैं। तोता, मैना, कोयल और कबूतर हमारी और ह
चूल्हे पर चढ़ता चिंकारा
Posted on 16 Jan, 2012 01:59 PMथार में रहने वाले ग्रामीण विशेषकर बिश्नोई जाति आज भी पेड़ों और वन्यजीवों की रक्षा के प्रति ग्र
बर्बादी के कगार पर बारहसिंघा
Posted on 13 Jan, 2012 01:41 PMबांध के कारण उत्पन्न जलभराव एवं सिल्टेशन से बारहसिंघों के प्राकृतिक आवास बुरी तरह से प्रभावित
रक्षक ही भक्षक
Posted on 19 Dec, 2011 02:41 PMवर्तमान में करीब 22 टाइगर का होना बताया जा रहा है। वन्यजीवों पर हो रहे अपराध पर वन विभाग का नि
बस्तर के वन प्राणी
Posted on 12 Dec, 2011 05:46 PMबस्तर के वनों में एक जमाने में तरह-तरह के वन्य प्राणी भारी संख्या में रहते थे। लेकिन प्रगति उनके ले काल साबित हुई। आज वे पश्चिम और दक्षिण पश्चिम बस्तर में, कहीं दूर कोने में ठेल दिए गए हैं। 1981 और 1983 के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में चार अभ्यारण्य बनाए- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान (1,258 वर्ग किलोमीटर) कांगर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (200 वर्ग किलोमीटर), पामेड जंगली भैंसा अभ्यारण्य (139 वर्ग किलअभ्यारण्य में भी नहीं अभय
Posted on 03 Dec, 2011 09:41 AMसरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष यहां पर बाघों की तादाद 31 मानी गई थी इस साल यहां 27 बाघ
स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह प्रभावी नहीं
Posted on 09 Apr, 2024 11:44 AMवन्यजीव कार्यकर्ता एमके रंजीत सिंह के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड- गोडावण’ को सौर-पैनल परियोजनाओं में लगाए गए ओवरहेड ट्रांसमिशन तारों से होने वाली टक्कर के कारण बस्टर्ड पक्षियों की मृत्यु से संबंधित मामला उठाया गया था। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में पाई जाती हैं और उनकी संख्या में चिंताजनक कमी का कारण उनके निवास स्थान के पास सौर ऊर्जा संयंत्रों सहित,