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सूखा और बाढ़
जल प्रलय से सबक
Posted on 17 Aug, 2010 08:17 AM लेह में पर्यावरण से खिलवाड ही खलनायक बन गया है। लालची वन ठेकेदारों और उनके राजनीतिक आकाओं व सहयोगियों ने मिलकर पहाडों पर पेड काटते-काटते लेह को गंजा कर दिया है। दुखद है, ऎसा केवल लेह ही नहीं, पूरे देश में हुआ है, खूब पेड काटे गए हैं। न भारत, न पाकिस्तान और न चीन, कोई भी भीषण बाढ से अनजान नहीं है, लेकिन जल प्रलय ने इस बार तीनों देशों में भयावह व झकझोर देने वाले दृश्य पेश कर दिए। सबसे पहले पाकिस्तान में तो स्थितियां असाधारण और अभूतपूर्व हो गई, याद नहीं आता कि ऎसी भारी बारिश कभी पाकिस्तान में हुई होगी। मौत से बात करती बल खाती लहरों ने 1 करोड 20 लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया। कम से कम 1 लाख 40 हजार लोग घर-बार गंवा बैठे। करीब 2000 पुरूष, महिलाएं व बच्चे मारे गए। अकथ विनाश हुआ। हद तो यह कि सिन्धु नदी अब विनाशलीला को दक्षिण मे सिंध की ओर लिए बढ रही है। यह वहीलेह की विपदा के सबक
Posted on 13 Aug, 2010 03:27 PMयह प्राकृतिक विपदा है। पर एक बार घटित हो गई है तो स्थिति को नियंत्रित करने की, लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था प्रादेशिक, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मनुष्य-समाज को ही करनी है। वही हो भी रहा है। लोग और सेना के जवान ही राहत कार्यों में जुटे हैं। पुल बनाए जा रहे हैं। मलबा हटाया जा रहा हैं। सड़कों को दुरुस्त करने की कोशिश हो रही है। एक गांव चोगलुमसर तो बह ही गया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक लगभग पपानी के तिलस्म में डूबता-तैरता उत्तर बिहार
Posted on 18 Aug, 2009 06:33 AMसिर्फ जानें ही नहीं लेता, उत्तर बिहार में बहुत कुछ करता है पानी। यह गांवों को घेर लेता है और वहां पहुंचना और वहां से निकलना रोक देता है। सड़क-रेलमार्गों से उर्र-फुर्र करने वाले आदमी को पैदल और नाव की सवारी कराने लगता है। जमींदार को पानीदार बना देता है तो जमीनों से धान-गेहूं के बदले घोंघे, केंकड़े, मेंढ़क व मछलियां निकालने लगता है। पानी किसान को मजदूर और मजदूर को भिखमंगा बना देता है। औरतों को
कोसी का कहर !
Posted on 20 Jan, 2009 02:37 PMयही रहा तो इस बार भी होगा कोसी का कहर !
मदन जैड़ा / हिन्दुस्तान। नई दिल्ली, 18 जनवरी
मेघ पाईन अभियान क्या है?
Posted on 02 Jan, 2009 08:18 AMमेघ पाईन अभियान क्या है?
यह एक प्रयास है वर्षाजल के प्रासंगिकता को पहचानने व उसके संग्रहण को व्यापक स्तर पर फैलाने का, जो उत्तर बिहार के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लाखों लोगों को साफ व सुनिश्चित पेयजल उपलब्ध कराने में मदद देना।
कोसी की तकदीर लिखने से पहले
Posted on 18 Dec, 2008 09:32 AMकोसीवासी फिर उसी तिराहे पर खडे हैं, जहां तकरीबन पचपन साल पहले थे। उन दिनों जोर-शोर से बहस हुआ करती थी कि आखिर इस चंचल नदी का क्या उपाय किया जाय? क्या बराज और तटबंध के जरिए कोसी को काबू में किया जा सकता है?
बाढ़ के समय पेयजल
Posted on 11 Dec, 2008 07:21 AMबाढ़ के समय पेयजल की उपलब्धता यानी साफ पीने का पानी का उपलब्धता काफी कम हो जाती है। ऐसे में साफ पानी पाने के लिए वर्षाजल संग्रहण ही एक मात्र उपाय है। बाढ़ के समय पेयजल को पाना एक कौशल का काम हो जाता है – आइए समझें उनसे जुड़े सवाल और उनके उत्तर -
उत्तर बिहार: बाढ़ का परिदृश्य
Posted on 09 Dec, 2008 09:11 AMबाढ़, जो पहले समाज का एक मुख्य पहलु था, आज इन्ही तटबंधों के कारण यह बाढ़ लोगों को संसाधनों से वन्चित, भय और अनिश्चितता से रुबरु कर दिया है
बाढ़ नियंत्रण
Posted on 09 Sep, 2008 10:42 AMबाढ़ का अर्थ है किसी भी नदी/नाले में पानी का अत्यधिक बहाव होना जिसके कारण पानी (अपवाह) का नदी के किनारों से बाहर बहकर आसपास की भूमि को जलमग्न करना। बाढ़ के कारण जानमाल की हानि, संचार सेवाओं में अवरोध, फसलों का नष्ट होना, बीमारियों का प्रसार आदि अनेकों समस्याएं पैदा हो जाती है।बाढ़ नियंत्रण के मुख्य उपाय हैं -