सूखा और बाढ़

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पुंछ त्रासदी: बरसों तक दुहराई जाएगी यह कथा
Posted on 02 Oct, 2014 11:21 AM

सितंबर के शुरुआत में जब जम्मू कश्मीर में बारिश शुरु हुई तो किसी ने यह अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि चंद दिनों में ही यह पूरा राज्य उस स्थिति का गवाह बनेगा जो पिछले 6 दशकों में किसी भी पीढ़ी ने नहीं देखा। जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ अपने साथ तबाही और बर्बादी का वह मजंर लेकर आई है जिसके निशान शायद दशकों तक न तो जमीन से मिटेंगे और न तो लोगों के दिलों से। इस बाढ़ की

Flood
बाढ़ की उल्टी गंगा
Posted on 26 Sep, 2014 03:50 PM
.बिहार, आसाम, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश ये मुख्यतः बाढ़ के इलाके जाने जाते हैं। परंतु पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति ने बाढ़ के संदर्भ में ‘उल्टी गंगा बहना’ मुहावरे को साकार कर दिया है। इस वर्ष राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुई बारिश ने तबाही मचा दी है। आश्चर्य तो यह है कि कुछ दिनों पहले इन इलाकों से पानी की कमी की खबरें आ रहीं थीं।

महाराष्ट्र को तो इस बार बाढ़ की प्राकृतिक विपदा रह-रहकर झेलनी पड़ी। राजस्थान में प्रत्येक साल जहां बूंद-बूंद के लिए लोग तरसते रहते हैं, वहीं इस बार प्रकृति ने उसे भी एक नए तरह की या यूं कहिये पारिस्थितिकी तंत्र में आ रहे जबरदस्त बदलाव से अनायास आए इस तरह की विपदा को झेलने की तैयारी की चेतावनी दे दी है।
<i>राजस्थान में बाढ़</i>
पुंछ: बाढ़ की भयावह तस्वीर
Posted on 23 Sep, 2014 10:30 AM लोगों के व्यक्तिगत नुकसान के अलावा पुंछ जिले को संरचनागत नुकसान भी
झीलें बचाई होती तो जन्नत के यह हाल ना होते
Posted on 21 Sep, 2014 04:24 PM कश्मीर का अधिकांश झीलें आपस में जुड़ी हुई थीं और अभी कुछ दशक पहले तक यहां आवागमन के लिए जलमार्ग का इस्तेमाल बेहद लोकप्रिय था। झीलों की मौत के साथ ही परिवहन का पर्यावरण-मित्र माध्यम भी दम तोड़ गया। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की मार, अतिक्रमण के चलते कई झीलें दलदली जमीन में बदलती जा रही हैं। खुशलसार, गिलसार, मानसबल, बरारी नंबल, जैना लेक, अंचर झील, वसकुरसर, मीरगुड, हैईगाम, नरानबाग,, नरकारा जैसी कई झीलों के नाम तो अब कश्मीरियों को भी याद नहीं हैं। कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाब, झेलम और सिंधु नदी की घाटियों में बसा हुआ है। जम्मू का पश्चिमी भाग रावी नदी की घाटी में आता है। इस खूबसूरत राज्य के चप्पे-चप्पे पर कई नदी-नाले, सरोवर-झरने हैं। विडंबना है कि प्रकृति के इतने करीब व जल-निधियों से संपन्न इस राज्य के लोगों ने कभी उनकी कदर नहीं की। मनमाने तरीके से झीलों को पाट कर बस्तियां व बाजार बनाए, झीलों के रास्तों को रोक कर सड़क बना ली।

यह साफ होता जा रहा है कि यदि जल-निधियों का प्राकृतिक स्वरूप बना रहता तो बारिश का पानी दरिया में होता ना कि बस्तियों में कश्मीर में आतंकवाद के हल्ले के बीच वहां की झीलों व जंगलों पर असरदार लोगों के नजायज कब्जे का मसला हर समय कहीं दब जाता है, जबकि यह कई हजार करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जा का ही नहीं, इस राज्य के पर्यावरण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देने का मामला है। कभी राज्य में छोटे-बड़े कुल मिला कर कोई 600 वेटलैंड थे जो अब बमुश्किल 12-15 बचे हैं।
Buller Lake
प्रकृति के साथ मिलकर करें विकास
Posted on 21 Sep, 2014 12:13 PM नदियों, झीलों और पहाड़ों के पेट में घुसकर जिस तरह का निर्माण किया गया; उसे सभ्य समाज द्वारा विकसित सभ्यता का नाम तो कदापि नहीं दिया जा सकता।

. विकास और विनाश दो विपरीत ध्रुवों के नाम हैं। दोनों के बीच द्वंद्व कैसे हो सकता है? पहले आए विनाश के बाद बोए रचना के बीज को तो हम विकास कह सकते हैं; लेकिन जो विकास अपने पीछे-पीछे विनाश लाए, उसे विकास नहीं कह सकते। दरअसल वह विकास होता ही नहीं। बावजूद इस बुनियादी फर्क के हमारे योजनाकार आज भी अपने विनाशकारी कृत्यों को विकास का नाम देकर अपनी पीठ ठोकते रहते हैं।

विनाशकारी कृत्यों का विरोध करने वालों को विकास विरोधी का दर्जा देकर उनकी बात अनसुनी करते हैं। सुनकर अनसुनी करने का नतीजा है पहले उत्तराखंड, हिमाचल और अब धरती के जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में जलजला आया और हमने बेहिसाब नुकसान झेला। इन्हें राष्ट्रीय आपदा घोषित करना और हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा अपने जन्मदिन बनाने की बजाय जम्मू-कश्मीर को मदद भेजने का आह्वान संवेदनात्मक, सराहनीय और तत्काल सहयोगी कदम हो सकता है।
Badh
हमारे ही पापों की बाढ़
Posted on 21 Sep, 2014 10:07 AM पानी के रास्तों में लगातार रुकावट और पानी की जगहों पर कब्जा ‘पानी’ को बर्दाश्त नहीं है। झीलों, तालाबों और वेटलैंड पर कब्जा करके हमने पानी की जगहों को कम किया है। परिणामतः पानी हमारी जगहों में यानी हमारे घरों में घुसने लगा है। मुंबई, लेह-लद्दाख, बाड़मेर और केदारनाथ के बाद कश्मीर में आई बाढ़ को प्राकृतिक आपदा कहकर भूलने की कोशिश कर रहे हैं। पर क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है। ये ऐसी जगहें हैं या तो प
Flood in Kashmir
बाढ़ के बाद पुंछ
Posted on 19 Sep, 2014 01:45 PM बाढ़ की वजह से मेंढर, मंडी, हवेली और सुरनकोट तहसील में स्कूल और सर
Kashmir Flood
सर्वनाश में सर्वसम्मति
Posted on 13 Sep, 2014 01:01 PM एक दिन होगी प्रलय भी
मत रहेगी झोपड़ी
मिट जाएंगे नीलम-निलय भी
...मौत रानी के यहां उस दिन बड़े दीपक जलेंगे।

भवानीप्रसाद मिश्र
Jammu Kashmir Flood
साज़िश का शिकार हुआ केदारनाथ
Posted on 12 Sep, 2014 04:35 PM चोराबरी झील त्रासदी को अगर एक शांतिपूर्ण ढंग से रची गई साजिश कहा जा
Kedarnath Earthquake
क्या संकेत दे रहा हिमालय
Posted on 10 Sep, 2014 05:34 PM हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से वैज्ञानिक लंबे समय से आगाह करते रहे हैं। पिछले वर्ष से इस क्षेत्र में हो रही घटनाएं क्या उन संकेतों की पुष्टि कर रही हैं?
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