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संघर्ष और विवाद
पॉवर प्लांटों द्वारा गंगा व यमुना से भारी मात्रा में पानी खींचने से बिगड़ेगी पारिस्थितिकी
Posted on 11 Aug, 2012 01:00 PMइलाहाबाद में तीन पॉवर प्लान्टों की स्थापना से लाखों किसानों, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। हाल में तैयार किये गए ‘राष्ट्रीय जल नीति-2012’ के मसौदे और इसी दरम्यान कुछ फैक्ट्रियों, थर्मल पॉवर प्लांटों को दिये जा रहे पानी के उपभोग की खुली छूट में कोई तालमेल दिखाई नहीं पड़ता। इसी मसौदे की प्रस्तावना (1.3-पैरा 4) में एक तरफ सरकार यह कह रही है कि खाद्य सुरक्षा, जीविका तथा सभी के लिए समान और निरंतर विकास हेतु राज्य द्वारा ‘सार्वजनिक धरोहर के सिद्धान्त’ के तहत जल का प्रबंधन सामुदायिक संसाधन के रूप में किये जाने की आवश्यकता है, वहीं कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और प्रस्तावित दिल्ली से मुम्बई तक इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (इटली की स्कॉट विलस्न कंपनी द्वारा दिल्ली से मुम्बई तक पानी की उपलब्धता और उपभोग के पैमाने पर एक सर्वे रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई है) को भारी मात्रा में पानी देने पर सरकार स्वयं राजी है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।उपजाऊ भूमियों पर बंजरीकरण का खतरा
Posted on 10 Aug, 2012 02:29 PMदेश के उपजाऊ भूमि पर बंजर होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। दुनिया में मात्र 11 प्रतिशत जमीन ही उपजाऊ जमीन है। गोबी रेगिस्तान से लेकर अपने थार रेगिस्तान तक मरुस्थलीकरण का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है। भारत के कुल 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर जमीन में से 12 करोड़ 95 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि बंजर है। अगर इस बढ़ते हुए बंजर जमीन को रोका नहीं गया तो भारत में आने वाले समय में अनाज का संकट पैदा हो जाएगा। उपजाऊप्यासा भारत पड़ोसियों को पानी बांट रहा है
Posted on 27 Jul, 2012 12:06 PMभारत अपने पड़ोसियों से संबंध ठीक रखने के लिए हदें पार करता रहा है। कई-कई बार पड़ोसियों ने भारत की जमीन कब्जा ली है। यह सहनशीलता भारत के उदारता के रूप में प्रचारित होती रही है। लेकिन शायद ही किसी को पता होगा कि पड़ोसियों के प्रति भूमि की उदारता भारत की जल सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। अब पाकिस्तान की मांग है कि भारत सियाचिन ग्लेशियर से पीछे हटे। ग्लेशियरों से अपना कब्जा हटाना नदियों को सूखानाकारों का होता डीजलीकरण देश को महंगा पड़ेगा
Posted on 25 Jul, 2012 05:06 PMजबसे सरकार ने पेट्रोल कीमतों पर अनुदान कम किया और उसे नियंत्रण मुक्त रखा तब से कारों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो रही है। इस समय देश की जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी आई है लेकिन कारों की संख्या में विस्फोट हुआ है। डीजल कारें देश की कुल डीजल खपत का 15 फीसदी निगल रही हैं और ट्रकों के बाद दूसरे नंबर का डीजल उपभोक्ता बन गयी हैं। बढ़ रहे कारों के डीजलीकरण के बारे में बता रहे हैं सुनील।मैला प्रथा : अनदेखे भारत की तस्वीर
Posted on 19 Jun, 2012 04:05 PMभारत सरकार ने न जाने कितनी बार संकल्प लिया कि अमुक तारीख तक मैला प्रथा का उन्मूलन कर दिया जाएगा। लेकिन इस प्रथा को तब से लेकर अब तक पूरा नहीं कर पाये। जाति-व्यवस्था की बारीकी समझने की इच्छा रखने वाले अध्येता इससे लाभ उठा सकते हैं। इस किताब में जगह-जगह से लिया गया चित्र, पाठकों को भी उसके बारे में सोचने पर मजबुर कर देता है और उसके मन को अपने पास खीच लेता है।फूड बैंक की स्थापना से क्या हासिल होगा
Posted on 15 Jun, 2012 01:44 PMइन योजनाओं के व्यापक फलक के बावजूद देश में अधिकाधिक गरीब भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। यूनिसेफ के अनुसार कुपोषण से भारत में रोजाना पांच हजार बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं। यदि गहराई से देखा जाए तो अनाज भण्डारण की केंद्रीकृत व्यवस्था के कारण ही एक ओर अनाज का पहाड़ खड़ा है तो दूसरी ओर भुखमरी से मौतें हो रही हैं। इसकी जानकारी हमें रमेश कुमार दुबे दे रहे हैं।खदानों में लगी आग से जल रहा झारखंड
Posted on 07 Jun, 2012 03:51 PMभारत विश्व में कोयला का सबसे बड़ा उत्पादक देशों में शुमार किया जाता है फिर भी इसे विद्युत उत्पादन के लिए कोयला आ
कितना कारगर होगा बाढ़ पूर्व तैयारी
Posted on 01 Jun, 2012 02:01 PMस्वास्थ्य सुधार की दिशा में सरकार की पहल सहारनीय कही जा सकती है। पिछले 5-6 सालो के शासन के दौरान स्वास्थ्य मिशन
एस्बेस्टस का सवाल
Posted on 24 May, 2012 11:19 AMबिहार के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री वहां की परिस्थितियों से पूर्णतः परिचित हैं। फिर भी लोगों को नहीं सुना जा