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July 10, 2023 By fostering strong collaborations and pooling resources, cities can collectively address the challenges of data-driven urbanization, says NIUA report
There is tremendous transformative potential of data driven approaches in shaping urban environments (Image: Needpix, CC0)
September 1, 2021 Best practices for holistic urban water management in Chennai Metropolitan Area
These bright plastic jugs are ubiquitous in Chennai and Tamil Nadu. (Image: McKay Savage, Flickr Commons; CC BY 2.0)
December 26, 2019 Policy matters this week
The Mandovi river disputed between Karnataka and Goa (Source: IWP Flickr Photos)
December 6, 2019 A report by the India Rivers Forum highlights the need to focus further than the main stem of the Ganga river.
Distant snow clad mountains, the smaller hills and the Ganga river (Image: Srimoyee Banerjee, Wikimedia Commons, CC BY-SA 4.0)
December 4, 2019 To adapt well & build resilience, climate change strategies need to factor in efforts towards water security, writes Vanita Suneja, Regional Advocacy Manager (South Asia), WaterAid.
Image credit: WaterAid/Prashanth Vishwanathan
बावड़ियाँ: प्राचीन भारत के भूले-बिसरे एवं विश्वसनीय जल स्रोत (भाग 1)
भारत में इन सीढ़ीनुमा कुओं को आमतौर पर बावड़ी या बावली के रूप में जाना जाता है, जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें एक ऐसा कुआ होता है जिसमें उतरते हुए पैड़ी या सीढ़ी होती है। भारत में, विशेषकर पश्चिमी भारत में बावली बहुतायत में पाई जाती हैं और सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही इसका पता लगाया जा सकता है। इन बावड़ियों का निर्माण केवल एक संरचना रूप में ही नहीं किया गया था। अपितु उनका मुख्य उद्देश्य व्यावहारिक रूप में जल संरक्षण का था। लगभग सभी बावड़ियों का निर्माण पृथ्वी में गहराई तक खोद कर किया गया है ताकि यह सम्पूर्ण वर्ष जल के निरंतर स्रोत के रूप में काम करते रहें। तत्पश्चात, पैड़ी या सीढ़ियों का निर्माण किया जाता था, जो जल के संग्रह को और अधिक सुलभ एवं सरल करने का काम करती थी। इन सीढ़ियों का उपयोग पूजा एवं मनोरंजन आदि के लिये भी किया जाता था। Posted on 15 Jun, 2024 08:56 AM

भारत में इन सीढ़ीनुमा कुओं को आमतौर पर बावड़ी या बावली के रूप में जाना जाता है, जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें एक ऐसा कुआ होता है जिसमें उतरते हुए पैड़ी या सीढ़ी होती है। भारत में, विशेषकर पश्चिमी भारत में बावली बहुतायत में पाई जाती हैं और सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही इसका पता लगाया जा सकता है। इन बावड़ियों का निर्माण केवल एक संरचना रूप में ही नहीं किया गया था। अपितु उनका मुख्य उद्देश्य व्य

चांद बावड़ी, साभार - Pixabay
अमृत सरोवर मिशन - तालाब एवं जल संरक्षण का महाअभियान
हमारे देश में तालाबों की संख्या काफी कम होती जा रही है इसलिए वर्षा जल का पर्याप्त संरक्षण न होने के कारण भूमिगत जल का स्तर काफी कम होता जा रहा है इसलिए प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी द्वारा 24 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर देश के प्रत्येक जिले में 75-75 तालाबों के निर्माण के लिए अमृत सरोवर योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। अमृत सरोवर रचनात्मक कार्यों का प्रतीक है जो कि आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित है। अमृत सरोवर योजना के माध्यम से देश भर में तालाबों को फिर से पुनर्जीवित एवं कायाकल्पित किया जाएगा। जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए पानी का संरक्षण करना है। भारत सरकार के द्वारा 15 अगस्त 2022 को पूरे देश में 50,000 अमृत सरोवर तालाब बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस काम के लिए राज्य की जगहों को चिन्हित कर लिया गया। Posted on 22 Nov, 2023 01:44 PM

जल ही जीवन है, जल के बिना मानव का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है। जल हमारे लिए ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, जीव-जंतु, मनुष्य इत्यादि सबके लिए अनिवार्य है। जल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। एक कहावत है "जल है तो कल है।" पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किंतु इसमें से 97 प्रतिशत जल खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी मात्र 3 प्रतिशत है इसमें भी 2 प्रतिशत जल हिम एवं ह

अमृत सरोवर मिशन
भूकंप इंजीनियरिंग से बनाएं अपना सुनहरा कल(Earthquake Engineering Jobs in Hindi)
भूकंप वैज्ञानिकों का काम भूकंपीय घटनाओं की उत्पत्ति, प्रकार और माप को जानने का होता है ताकि उनका उपयोग विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा सके। भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग परस्पर सम्बद्ध क्षेत्र हैं, जिनमें भूकंप वैज्ञानिकों के अलावा कंप्यूटर, भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और सिविल और संरचना इंजीनियरिंग में पेशेवर तकनीकी कर्मी भी होते हैं। भूकंपों के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर काम करने वाले लोगों में से एक हैं भूकंप इंजीनियर, जिनका काम है कि वे नए इमारतों का निर्माण करते समय भूकंप प्रतिरोधी सुविधाओं का होना सुनिश्चित करें। उनका काम दो पहलुओं से सम्बन्धित है Posted on 01 Nov, 2023 02:14 PM

भूकंप विज्ञान एक नया वैज्ञानिक विषय है जो धरती के कंपनों का अध्ययन करती है। लोगों का भूकंपों से जुड़ा ज्ञान प्राचीन काल से ही है, परंतु अध्ययन विषय पर भूकंप विज्ञान का इतिहास 100 वर्ष पुराना है  भूकंप तरंगों का मापन करने के लिए सिस्मोमीटर का आविष्कार इसका प्रारंभिक चरण माना जाता है। 20वीं सदी में भूकंप विज्ञान में काफी प्रगति हुई और इसमें धरती के गहराई में होने वाले प्रक्रियाओं का समावेश हुआ। भ

भूकंप इंजीनियरिंग से बनाएं अपना सुनहरा कल
पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं
पर्यावरण रक्षक वे सभी व्यक्ति होते हैं, जिन्हें प्रकृति से प्रेम है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ पर्यावरण सुरक्षा के उपाय बताते हैं। पर्यावरण में फैलते खतरों के प्रति लोगों को आगाह कर ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के टिप्स देते हैं। Posted on 14 Sep, 2023 01:16 PM

एक समय था जब पर्यावरण विज्ञान को विद्यार्थी वरीयता क्रम की सूची में सबसे अंत में रखते थे। लेकिन जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले खतरों से पर्यावरण सुरक्षित रखने को लेकर बड़ी जागरूकता एवं इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में हुई वृद्धि ने इस विषय को विद्यार्थियों की पहली पसंद बना दिया है। आज पर्यावरण को बचाए रखने के लिए अनुसंधान एवं नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति छात्रों की बढ़ र

पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं
स्वच्छ बड़ा मंगल,आस्था संग पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता की पहल
लखनऊ का गौरव लक्ष्मणपुरी होने में लक्ष्मणपुरी का गौरव श्री राम भक्त हनुमान के होने में हैं और हनुमानजी का गौरव लक्ष्मणपुरी के ज्येष्ठ मास में आयोजित होने वाले बड़े मंगल के भंडारों में है। Posted on 28 Jul, 2023 11:48 AM

लखनऊ में ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगल को गली-गली, चौराहे चौराहे पर हनुमानजी की स्मृति में बड़े-बड़े भंडारों का आयोजन होता है। यह भंडारे आस्था के प्रतीक हैं। भक्ति के प्रतीक हैं। श्रद्धा के प्रतीक हैं। निष्ठा के प्रतीक हैं। सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं। अब आवश्यकता है बड़े मंगल के भंडारे व्यवस्था के प्रतीक बनें। स्वच्छता के प्रतीक बनें। पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक बनें। सम्पूर्ण समाज को संस्कार औ

भंडारों का आयोजन,PC-नीड़ पिक्स
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
Posted on 03 Dec, 2008 10:21 AM

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अन्तर्गत सितम्बर, 1974 में किया गया था । इसके पश्चात केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अन्तर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गये ।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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