पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं

पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं
पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं

एक समय था जब पर्यावरण विज्ञान को विद्यार्थी वरीयता क्रम की सूची में सबसे अंत में रखते थे। लेकिन जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले खतरों से पर्यावरण सुरक्षित रखने को लेकर बड़ी जागरूकता एवं इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में हुई वृद्धि ने इस विषय को विद्यार्थियों की पहली पसंद बना दिया है। आज पर्यावरण को बचाए रखने के लिए अनुसंधान एवं नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति छात्रों की बढ़ रही रुचि का एक कारण यह भी है कि अब पर्यावरण का क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है और इस क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावनाएं बढ़ी हैं। हमारे देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है। रोज नए-नए भवनों का निर्माण हो रहा है। आने वाले वक्त में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नियम कायदे और सख्त होंगे। कृषि क्षेत्र में भारतीय एवं विदेशी कंपनियां रिसर्च और डिवेलपमेंट की स्थापना करने जा रही हैं, जिसकी भूमिका पर्यावरण संरक्षण एवं कृषि उपज बढ़ाने में सहायक होगी। इससे आने वाले समय में प्रति वर्ष एक अनुमान के अनुसार 6000 प्रशिक्षितों की आवश्यकता पड़ेगी।

पर्यावरण रक्षक वे सभी व्यक्ति होते हैं, जिन्हें प्रकृति से प्रेम है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ पर्यावरण सुरक्षा के उपाय बताते हैं। पर्यावरण में फैलते खतरों के प्रति लोगों को आगाह कर ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के टिप्स देते हैं।

बिल्डिंग बनाने वाले आर्किटेक्ट, वाटर रिसाइकिल सिस्टम लगाने वाले प्लम्बर, ऊर्जा की खपत कम करने में लगे लोग, पर्यावरण संरक्षण के प्रति शोध कर रहे शोधार्थी, ग्रीनहाऊस उत्सर्जन को कम करने के तरीके बताने वाले विशेषज्ञ आदि पर्यावरण रक्षक की श्रेणी में आते हैं। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आन्दोलनों में जुड़े पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण प्रहरी की विशेष श्रेणी में आते हैं।

'यूनीवर्सिटी ग्रांट कमीशन' (यूजीसी) ने स्नातक स्तर पर पर्यावरण विज्ञान विषय को अनिवार्य कर दिया है। स्कूल और तकनीकी पाठ्यक्रमों के स्तर पर यह जिम्मेदारी एआईसीटीई और एनसीईआरटी को सौंपी गयी है। पर्यावरण विज्ञान में मूलभूत विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान दोनों का मिश्रित रूप समाया है। यदि कोई छात्र जीव विज्ञान विषय से बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण है, तो स्नातक में पर्यावरण विज्ञान की पढ़ाई कर सकते हैं। फिजिकल साइंस, लाइफ साइंस, मेडिकल साइंस आदि से स्नातक करने के पश्चात् पर्यावरण विज्ञान में पोस्टग्रेजुएशन भी कर सकते हैं। 'द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, दिल्ली से पर्यावरण विज्ञान से पोस्टग्रेजुएट एवं पीएच डी की पढ़ाई की जा सकती है 'सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरॉनमेंटल', दिल्ली से पर्यावरण विज्ञान से जुड़े विषयों में सर्टिफिकेट कोर्स एवं इंटर्नशिप की जा सकती है। 'इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद में एन्वायरॉनमेंटल इंजीनियरिंग से बी. टेक किया जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण विज्ञान में बी. टेक. कई संस्थानों में उपलब्ध है।

सबसे पहले जरूरत है खुद को परखने की क्या आप सही मायनों में पर्यावरण में लगाव रखते हैं? क्या आप में पर्यावरण से होने वाले खतरों से लोगों को आगाह करने की रुचि है? क्या आप में वह सब गुण हैं जो इस क्षेत्र के लोगों के लिए आवश्यक हैं? विशेषज्ञों की मानें तो सिस्टेमेटिक तथा पूर्व नियोजित ढंग से प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों की सफलता के चांसेज ज्यादा होते हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञों की मांग अपने देश में ही नहीं, विदेश में भी खूब है। पर्यावरण विज्ञान से परास्नातक करने के बाद बहुत सारे विकल्प खुल जाते हैं। सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्र में एन्वायरॉनमेंटल ऑफिसर, एन्वायरॉनमेंटल साइंटिस्ट, एन्वायरॉनमेंटल बायोलॉजिस्ट, एन्वायरॉनमेंटल मैनेजर, एन्वायरॉनमेंटल कंसल्टेन्ट, एन्वायरॉनमेंटल ला ऑफिसर, एन्वायरॉननेंटल एक्सटेंशन ऑफिसर आदि अनेक पद उपलब्ध हैं। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी काफी अवसर मौजूद हैं। अगर चाहें तो नेट या पीएच डी करने के उपरांत शिक्षण क्षेत्र में भी कैरियर बना सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा कराये गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक सन् 2020 तक पर्यावरण और उससे जुड़े प्रोडक्ट और सेवाओं का वैश्विक बाजार वर्तमान के 1370 अरब डॉलर से बढ़कर 2740 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावनाएं हैं।
पर्यावरण प्रहरी वन भविष्य संवारने हेतु निम्नलिखित स्थानों में कोर्स कर सकते हैं:

  • डिपार्टमेंट ऑफ एन्वायरॉनमेंटल बायोलॉजी, दिल्ली vविश्वविद्यालय, दिल्ली
  •  इग्नू, नई दिल्ली
  • द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, टेरी, नई दिल्ली
  • सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरू।
  • यूनीवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून
  • स्कूल ऑफ एन्वायरॉनमेंटल साइंसेज, रायबरेली रोड, लखनऊ।
  • डिपार्टमेंट ऑफ एन्वायरॉनमेंटल साइंसेज, श्रीनगर, गढ़वाल, उत्तराखंड
  • डिपार्टमेंट ऑफ एन्वायरॉनमेंटल साइंसेज, जंभेश्वर
  • यूनीवर्सिटी, हिसार।

संपर्क करें:
डा. दीपक कोहली, 5/104, विपुल खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ 226010 (उ.प्र.)
फोन 05222303520, 2067117 ]

स्रोत:- विज्ञान प्रगति जनवरी 2012
 

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Post By: Shivendra
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