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पेयजल और अन्य घरेलू उपयोग
जल फैलाव (Water Spreaders)
Posted on 06 Sep, 2008 12:28 PMकई प्रकार की यांत्रिक एंव वानस्पतिक विधियों का प्रयोग करके वर्षाजल अपवाह को ढ़लान से समतल क्षेत्रों में मोड़ा जाता है। जहां अपवाह जल ज्यादा भूमि क्षेत्र में फैलकर भूमि में वर्षा जल रिसाव को बढ़ावा देता है। उपरोक्त उद्देश्यों से बनाई गई संरचनाओं को जल फैलाव (Water spreaders) कहते है।विपथक बंध (Diversion bunds) / नालियां
Posted on 06 Sep, 2008 12:18 PMइनका निर्माण वर्षाजल अपवाह को सुरक्षित जल संग्राहक तालाबों / बांधो में पहुंचाना होता है। ये एक प्रकार की नालियां होती है जिन्हें ढलान के निचले हिस्से में 0.5 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत तक का ढाल देकर बनाया जाता है। यह जल संग्रहण तालाबों (Water harvesting ponds) का अभिन्न हिस्सा है। विपथक बंधों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये सिमेन्ट लाईनिंग, ईंट की दीवार अथवा घटांके
Posted on 06 Sep, 2008 12:13 PMसतही अपवाह को भंडारित करने वाली एक ढंकी हुई भूमिगत सरंचना जिसे स्थानीय भाषा मं टंका कहते है। इस प्रकार के टंके भारत के शुष्क प्रदेशों में अधिकांश रूप से प्रयोग में लाये जाते है। टंका 3 से 4 मी. व्यास का एक गोल गङ्ढा खोदकर उसके आधार एंव किनारे की दीवारों को 6 मी.मी. मोटे लाईम मोर्टार या 3 मी.मी.खोदकर तालाबों का निर्माण एंव भंडारण टंकियां
Posted on 06 Sep, 2008 11:58 AMखोदकर बनाए गये तालाबों का निर्माण सामान्यतया समतल क्षेत्रों में किया जाता है। तालाब के निर्माण के लिये क्षेत्र के सबसे नीचले हिस्से का चुनाव किया जाता है जहां वर्षा जल अपवाह को आसानी से ले जाया जा सके। सर्वप्रथम आवश्यकतानुसार तालाब की सीमारेखा निर्धारित कर खुदाई शुरू की जाती है और खुदाई की गई मिट्टी को तालाब के चारों तरफ एक मजबूत मेंड के रूप में जमाकर रोल
रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने के निर्देश
Posted on 01 Sep, 2008 10:36 PMसाधना सिंह, साहिबाबाद/ उत्तर प्रदेश/ जागरण: आने वाले समय में लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे, यह आशंका अन्य के अलावा वैज्ञानिक भी जता चुके हैं। गाजियाबाद महायोजना-2021 के अनुसार वर्ष 2021 में महानगर की जनसंख्या 23.50 लाख होगी। ऐसे में यदि लोग अभी से जागरूक नहीं हुए तो स्थिति कितनी गंभीर होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। यूं भी तो भूजल का स्तर जिस तेजी