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नदियां
एक नदी के ‘इंसान’ होने के मायने
Posted on 26 Mar, 2017 10:28 AMविश्व जल दिवस 2017 से दो दिन पूर्व उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का नदियों के सम्बन्ध में आया फैसला काफी महत्त्वपूर्ण है। हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले में गंगा, यमुना तथा उसकी सहायक नदियों को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया है। न्यायालय का ऐसा करने का अर्थ बिलकुल स्पष्ट है, वह नदियों को जीवित के समान अधिकार देकर लोगों से इन नदियों के प्रति मनुष्यों के समान व्यवहार करने की अपेक्षा रखती है।
आधुनिक पूँजीवादी युग ने नदी, पानी, तथा अनाज जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर अपना नियंत्रण कर लिया है। ये वर्ग अपने निजी लाभ के लिये बड़े पैमाने पर प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहे हैं। पहाड़ से लेकर रेगिस्तान तक का प्राकृतिक असन्तुलन बिगाड़ने में पूँजीवादी वर्ग जिम्मेदार हैं। नदियों में बढ़ता प्रदूषण का स्तर, जंगलों का विनाश, पहाड़ों पर तोड़-फोड़ इनमें प्रमुख हैं।
गंगा-यमुना को मिल गए कानूनी मौलिक अधिकार
Posted on 25 Mar, 2017 04:14 PMगंगा यमुना या फिर किसी भी नदी में हमने ऐसा किया तो जेल की हव
रानीखेत और गैरसैण वासियों की प्यास बुझायेंगे बैराज
Posted on 21 Mar, 2017 06:28 PMउत्तराखण्ड हिमालय में ‘वन विकास निगम’ की स्थापना के बाद से लो
एक नदी के नागरिक अधिकार
Posted on 21 Mar, 2017 12:36 PMविश्व जल दिवस, 22 मार्च 2017 पर विशेष
न्यूजीलैंड की संसद द्वारा वांगानुई नदी को इंसानी अधिकार देने के फैसले से प्रेरित होकर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने भी गंगा और यमुना नदियों को जीवित व्यक्तियों जैसे अधिकार देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इन अधिकारों को सुरक्षित बनाए रखने के लिये गंगा प्रबन्धन बोर्ड बनाया जाएगा। इससे नदियों के जलग्रहण क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने व गन्दगी बहाने वालों को प्रतिबन्धित करना आसान होगा।
फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि इस फैसले का असर कितना होगा। क्योंकि इसके पहले हमारी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने की दृष्टि से सर्वोच्च व उच्च न्यायालय कई निर्णय सुना व निर्देश दे चुके हैं, लेकिन ज्यादातर निर्देश व निर्णय निष्प्रभावी रहे। गंगा का कल्याण राष्ट्रीय नदी घोषित कर देने के पश्चात भी सम्भव नहीं हुआ। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सचेत बने रहने के बावजूद नदियों में कूड़ा-कचरा बहाए जाने का सिलसिला निरन्तर बना हुआ है।
432 करोड़ की नर्मदा-क्षिप्रा लिंक पर उठे सवाल
Posted on 21 Mar, 2017 08:36 AMनदी की भी अपनी एक सीमा है और अब वह जमीनी हकीकत सामने नजर भी आ
मुआवजा तो मिला पर क्या इंसाफ मिला
Posted on 12 Mar, 2017 11:21 AMसुप्रीम कोर्ट से एक ऐतिहासिक फैसला आया है जिससे छोटी-बड़ी तमाम विकास परियोजना के चलते विस्थापित होने वालों की उम्मीदें बढ़ी हैं। सरदार सरोवर परियोजना के चलते चालीस साल के संघर्ष के बाद अब उन्हें मुआवजा देने का फैसला हुआ है।
विस्थापितों को मुआवजे का फैसला पाने में लगी देर
Posted on 12 Mar, 2017 11:10 AMतकरीबन चालीस साल बाद सुप्रीम कोर्ट से सरदार सरोवर परियोजना के चलते मध्य प्रदेश के विस्थापित आदिवासियों को मुआवजा देने की व्यवस्था हुई। अब देखना है कि अदालती आदेश लागू हो पाता है या नहीं?
उमानंद की बस्ती से
Posted on 09 Mar, 2017 01:04 PMउमानंद द्वीप पर आबादी है, घर हैं, मन्दिर हैं, दुकाने हैं; दुनिया के दुर्लभ सुनहरी लंगूर हैं; 17 विशेष किस्म के पक्षी हैं; समय आने पर प्रवासी पक्षियों का वास है। बाढ़ के कठिन दिनों में जिस ‘भोग’ पर यहाँ का जीवन चलता है, उसकी परम्परा व कौशल सचमुच अनुकरणीय है। ‘भोग’, आपदा के वक्त भोजन प्रबन्धन का सामाजिक कौशल है। इस कौशल का एक ही आधार है; वह है उमानंद की हवा में प्रेम का वास। उमानंद द्वीप पर रहने क