बिहार की गिनती भारत के सर्वाधिक बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1980) के अनुसार देश के कुल बाढ़-प्रवण क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है जिस पर देश की कुल बाढ़ प्रभावित जनसंख्या की 22.1 प्रतिशत आबादी बसती है। इसका मतलब यह होता है कि अपेक्षाकृत कम क्षेत्र पर बाढ़ से ग्रस्त ज्यादा लोग बिहार में निवास करते हैं। 1987 की बाढ़ के बाद किये गये अनुमान के अनुसार यह पाया गया कि बाढ़-प्रवण क्षेत्र का प्रतिशत सारे देश के संदर्भ में बढ़कर 56.5 हो गया है और इसका अधिकांश भाग उत्तर बिहार में बढ़ता है जिसकी जनसंख्या 5.23 करोड़ (2001) है तथा क्षेत्रफल 54 लाख हेक्टेयर है। यहाँ की 76 प्रतिशत ज़मीन बाढ़ से प्रभावित है जबकि जनसंख्या घनत्व 1,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
Posted on 26 May, 2017 03:43 PM उत्तर बिहार को लगातार बाढ़ से बचाने के लिये 1950 के दशक में यहां की नदियों पर तट-बंध बनाने की एक विषद और महत्वाकांक्षी योजना शुरू हुई। यह निश्चय ही एक दुःस्साहसिक कदम था क्योंकि इसके पीछे नेपाल से बिहार के मैदानी इलाकों में अत्यधिक गाद युक्त पानी लाने वाली नदियों से छेड़छाड न करने वाली लगभग सौ साल पुरानी मुहिम को अब धता बता दिया गया था। अंग्रेज इंजीनियरों की बाढ़ नियंत्रण तथा तटबंध विरोधी और बाढ़ समस्या को जल निकासी की समस्या के रूप में देखने वाली लॉबी बड़ी ही समर्थ और सक्रिय थी और उन्होंने ऐसे किसी भी काम का लगभग सफल विरोध किया जिससे बहते पानी के रास्ते में अड़चने पैदा होती हैं।
Posted on 23 May, 2017 04:17 PM प्रकाश का प्रदूषण रात के समय आसमान पर दिखने वाली चमक-दमक को कहते हैं। प्रकाश का प्रदूषण हमारे घरों में दरवाजों और खिड़कियों के जरिये बाहर सड़कों पर लगे हुए बिजली के खम्भों और लैम्पों से भी घुस आता है। जो मौजूदा जिन्दगी में अनिवार्य और जरूरी चीज बन जाता है। इस तरह का प्रदूषण पर्यावरण में प्रकाश की वजह से लगातार बढ़ रहा है। इसको रोकने या कम करने का तरीका यही है कि बिजली या रोशनी का उपयोग जरूरत
Posted on 23 May, 2017 03:56 PM आर्सेनिक एक जहरीली धातु है। यदि इसका उपयोग अधिक मात्रा में किया जाय तो मानव शरीर को नुकसान पहुँचाती है। जैसे दिल, फेफड़े, गुर्दे, दिमाग और त्वचा इत्यादि में तरह-तरह के रोग पैदा हो जाते हैं।