वातावरण में नमक की वजह से प्रदूषण (Road Salt Contamination)


भूजल में नमक की बढ़ी हुई मात्रा से हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेन्शन जैसे रोग पैदा हो सकते हैं। दुनिया में सब जगह खासकर अमेरिका में इन रोगों से पीड़ित लोगों की तादाद बराबर बढ़ रही है। डॉक्टरों की सलाह है कि नमक का उपयोग कम-से-कम किया जाये और 20 मिली लीटर से ज्यादा नमक वाले पानी को न पिया जाये।क्या आप जानते हैं कि हमारे वातावरण में प्रदूषण फैलाने में नमक का बड़ा हाथ है, जो बराबर बढ़ रहा है। इसकी प्रमुख वजह मोटर गाड़ियों की तादाद, कारोबार और उपयोग में बेतहाशा इजाफा है, जिसको ध्यान में रखकर और चलाने वालों के सुरक्षा की बुनियाद पर सर्दियों के मौसम में सड़कों पर बर्फ को हटाने और पिघलाने के लिये नमक का उपयोग आमतौर पर किया जाता है, जिससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है।

नमक आसानी से सस्ते दामों पर हर जगह मिल जाता है। चट्टानी नमक को तरजीह दी जाती है क्योंकि वो कीमत में कम होने के साथ-साथ उपलब्ध भी ज्यादा होता है। इसका अन्दाजा इससे लगाया जा सकता है कि चट्टानी नमक 20 डॉलर में एक टन मिलता है, जबकि इसका स्थानापन्न कैल्शियम मैग्नीशियम एक टन 700 डॉलर में मिलता है। अमेरिका में हर साल बर्फ पिघलाने के लिये 10 मिलियन टन नमक की जरूरत पड़ती है और कनाडा को तीन मिलियन नमक की आवश्यकता पड़ती है। यह नमक सड़कों पर गिरी हुई और जमी हुई बर्फ को हटाने और पिघलाने के लिये बड़ी मात्रा में डाला जाता है। चूँकि नमक के पिघलने की दर कम होती है इसलिये वो जमी हुई बर्फ को पिघला देता है। नमक को उपयोग करने के प्रमुख कारण निम्न हैं -

1. कीमत के दृष्टिकोण से ये सबसे सस्ता होता है।
2. इसको सड़कों पर छिड़कना, डालना व फैलाना आसान होता है।
3. इसको स्टोर करना, निकालना और डालना आसान होता है।
4. नमक हर जगह आसानी से मिल जाता है।
5. इससे मानव त्वचा को किसी किस्म का नुकसान नहीं होता।

नमक की वजह से पानी (जिसमें भूगर्भ जल भी शामिल है) और भूमि में प्रदूषण फैलता है।

सड़कों पर जो नमक छिड़का जाता है वो मिट्टी में रिसकर भूजल में मिल जाता है। अनुमान है कि इस तरीके से नमक का 30 से 50 प्रतिशत हिस्सा जमीन के अन्दर चला जाता है और वहाँ के जलस्रोतों को क्लोराइड और सोडियम दोनों प्रभावित करते हैं। यह दो किस्म का होता है। एक तो पारदर्शक ठोस की तरह होता है और दूसरा तरल पदार्थ की शक्ल में। इनकी सामान्य मात्रा एक लीटर पानी में 10 मिली ग्राम होती है। लेकिन जिन मार्गों पर बर्फ हटाने के लिये नमक डाला जाता है, उनके आस-पास के भूजल स्रोतों में यह मात्रा एक लीटर में 250 मिलीग्राम तक पहुँच गई है। जिसकी वजह से पानी के गुण-धर्म में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है।

भूजल में नमक की बढ़ी हुई मात्रा से हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेन्शन जैसे रोग पैदा हो सकते हैं। दुनिया में सब जगह खासकर अमेरिका में इन रोगों से पीड़ित लोगों की तादाद बराबर बढ़ रही है। डॉक्टरों की सलाह है कि नमक का उपयोग कम-से-कम किया जाये और 20 मिली लीटर से ज्यादा नमक वाले पानी को न पिया जाये।

टोरन्टो में प्राइवेट कुओं के पानी का जायजा लेने से पता चला है कि आधे से ज्यादा कुओं के पानी में नमक की मात्रा उससे कहीं ज्यादा है। यह 20 फीसदी कुओं में एक लीटर पानी में 100 मिलीग्राम और 6 फीसदी में 250 मिलीग्राम तक पाई गई है। सोडियम या क्लोराइड की अधिकता से मानव शरीर के अन्दर पानी का सन्तुलन भी बिगड़ जाता है। सड़क पर नमक के छिड़काव से साफ पानी के स्रोत जैसे नदी, झीलें, तालाब वगैरह भी प्रभावित होते हैं। इनमें सोडियम और क्लोराइड के कण भारी मात्रा में मिलकर पानी में पारा का प्रदूषण फैला देते हैं। जिसकी वजह से पानी का रासायनिक संगठन बदल जाता है और सेहत के लिये वो नुकसानदेह साबित हो सकता है। इस प्रदूषण का असर पानी के अन्दर जिन्दा रहने वाले मछलियों, घोंघों और कछुओं जैसे जीवों पर भी देखा जा रहा है। ताजा पानी से निकाले जाने वाली मछलियों की गन्ध और स्वाद में नमक की वजह से फर्क आ गया है।

नमक की बढ़ी हुई मात्रा की वजह से मछली के शरीर में पानी कम पहुँचता है जिसकी वजह से मछली अपने बदन में ज्यादा पानी दाखिल करने की कोशिश करती है जिसकी वजह उसकी मौत भी हो सकती है। खासकर जब नमक की मात्रा ज्यादा हो जाये। उसी तरह पानी के अन्दर रहने वाले कीड़े-मकोड़े भी इस प्रदूषण का शिकार हो सकते हैं। चूँकि यह पानी में रहने वाली बड़ी आबादी के भोजन के रूप में इस्तेमाल होते हैं इसलिये उनकी मौत और प्रदूषण भी इनके लिये खतरनाक साबित हो सकते हैं।

यह अन्देशा जाहिर किया जा रहा है कि नमक के इजाफे की वजह से इन जीवों का 75 प्रतिशत हिस्सा जल्द ही प्रभावित हो सकता है। नमक के प्रदूषण से पानी के कीड़े, जिनकी पैदाइश यूँ ही कम होती है, इनकी तादाद रोज-ब-रोज घटती जा रही है, जिसका असर मछलियों की पैदाइश और तादाद पर भी पड़ना स्वाभाविक है। भोजन और व्यवसाय की दृष्टि से यह स्थिति सारी दुनिया के लिये सोचनीय है।

पानी के साथ नमक से पैदा होने वाला प्रदूषण का असर स्थल पर भी देखा जा रहा है। जिस पर गौर करने की जरूरत है। मिट्टी की संरचना और जानवरों की सेहत भी इससे प्रभावित हो सकती है। सोडियम क्लोराइड की अधिकता से जमीन की सतह की बनावट में भी फर्क आ सकता है। जिसका असर इसकी पैदावार और उर्वरा शक्ति पर पड़ता है। सोडियम की अधिकता से जमीन बन्जर हो जाती है। जिसकी वजह से जमीन की अम्लीयता 5.4 से बढ़कर 6.6 तक पहुँच जाती है। कहीं-कहीं जमीन की सतह पर नमक के पहाड़ जैसे बन जाते हैं जिनकी वजह से जमीन की आर्द्रता कम होने लगती है और पानी की कमी होने लगती है। पानी की कमी की वजह से जमीन सख्त हो जाती है जिस पर खेती करना मुश्किल हो जाती है।

इस प्रकार की भूमि पर की गई खेती से फसल भी प्रदूषित हो जाती है। नमक की ज्यादा मात्रा होने की वजह से फसल जल्द सूखने और खराब होने लगती है। दबाव ज्यादा होने की वजह से पौधों की जड़ें और पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं। जब पौधे और बड़े होने लगते हैं तो नमक की अधिकता से होने वाला और स्पष्ट रूप में नजर आने लगता है। मसलन, पत्तियों का जल जाना, फूलों और कोपलों का गिर जाना, रंग-खुशबू और हरियाली में कमी हो जाना। पौधे का तकरीबन 0.5 फीसदी हिस्सा नमक बन जाता है।

पौधों के अलावा नमक का यह प्रदूषण पेट्रोल के लिये भी नुकसानदेय होता है। और उनकी वृद्धि पर खराब असर पड़ता है। सड़कों पर जमी बर्फ को हटाने और पिघलाने से जानवरों पर खराब असर होता है। हालांकि, ज्यादा नमक का मुकाबला करने की कुव्वत जानवरों में पेड़-पौधों के मुकाबले ज्यादा होती है फिर भी इस तरीके से उनके लिये खतरे बढ़ जाते हैं। हिरन, मोर और जंगल के शाकाहारी जानवर जो नमक चाटने के शौकीन होते हैं वो इस प्रदूषण से और ज्यादा प्रभावित होते हैं वो सड़कों के किनारे जमे नमकीन पानी को पीने के आदी हो जाते हैं।

एक दिलचस्प बात और देखने में आई है कि नमक की अधिकता की वजह से वो निडर होने लगे हैं। वो आराम से मोटर कारों के बीच घूमा-फिरा करते हैं। देखा गया है कि सड़कों और उनके किनारों को नमक की तलाश में चाटते फिरते हैं। नमक की अधिकता की वजह से उन जानवरों को गुर्दे की समस्या, दिमाग सुन्न होना वगैरह बीमारियाँ होने लगी हैं। जिनमें से अक्सर उनकी मौत हो जाती है। खरगोश खासतौर पर उस प्रदूषण का शिकार होते हैं, क्योंकि वो ज्यादा नमक चाटने से बाज नहीं आते। यही हाल पालतू जानवरों का है। मसलन, कुत्ते बिल्ली। जब वो घर से बाहर निकलते हैं तो उनके पैरों में नमक लग जाता है जिसको वो पैर साफ करते वक्त चाटते रहते हैं। इस प्रकार उनके पेट में नमक की काफी मात्रा पहुँच जाती है।

इन बातों से मालूम होता है कि सड़कों पर से बर्फ हटाने और पिघलाने के कितने बुरे असर, पानी, जमीन और जानवरों पर पड़ रहे हैं। अब इसकी बड़ी जरूरत है कि वातावरण पर इस प्रदूषण के दुष्प्रभाव का और ज्यादा अध्ययन किया जाये और उनको दूर करने की कोशिश की जाये।

नमक का प्रदूषण कैसे दूर किया जा सकता है


पानी से नमक को निकालना वक्त की अहम जरूरत है। इसके लिये इलेक्ट्रोड्स जिनमें बहुत बारीक रेशे लगे हों उनको उपयोग में लाया जा सकता है। जिसमें बिजली का खर्चा भी कम होता है और नमकीन पानी को पीने के लायक पानी में बदला जा सकता है।

 

पर्यावरण प्रदूषण

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।)

1

पर्यावरण प्रदूषण : आपबीती

2

प्रदूषण के भिन्न पहलू (Different aspects of pollution)

3

जल प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य (Water pollution and human health)

4

वायु प्रदूषण और मानव जीवन (Air pollution and human life)

5

ध्वनि प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य (Sound pollution and human health)

6

आर्सेनिक से पर्यावरण में प्रदूषण (Pollution in the environment from Arsenic)

7

प्रकाश से प्रदूषण (Pollution from light)

8

वातावरण में नमक की वजह से प्रदूषण (Road Salt Contamination)

9

सीसा जनित प्रदूषण (lead pollution in the environment)

10

रेडियोएक्टिव पदार्थों के कारण प्रदूषण (Radioactive Pollution)

11

आतिशबाजी के खेल से पर्यावरण में प्रदूषण (Pollution in the environment by fireworks)

12

लेखक परिचय - डॉ. रवीन्द्र कुमार

 


TAGS

effects of Road-Salt Contamination on human health pdf in Hindi, effects of Road-Salt Contamination on human health ppt in Hindi, effects of Road-Salt Contamination on environment in hindi Language, effects of Road-Salt Contamination on plants in Hindi Language, harmful effects of Road-Salt Contamination on human body in Hindi, causes and effects of Road-Salt Contamination in Hindi, solution of Road-Salt Contamination in Hindi, list of diseases caused by Road-Salt Contamination in Hindi, Road-Salt Contamination in hindi wikipedia, Road-Salt Contamination in Hindi language pdf, Road-Salt Contamination essay in hindi, Definition of impact of Road-Salt Contamination on human health in Hindi, impact of Road-Salt Contamination on human life in Hindi, impact of Road-Salt Contamination on human health ppt in Hindi, impact of Road-Salt Contamination on local communities in Hindi,information about Road-Salt Contamination in hindi wiki, Road-Salt Contamination yani namak ka pradushan prabhav kya hai, Essay on Road-Salt Contamination in Hindi, Information about Road-Salt Contamination in Hindi, Free Content on Salt Contamination information in Hindi, Salt Contamination information (in Hindi), Explanation Salt Contamination in India in Hindi, namak ka Pradushan in Hindi, Hindi nibandh on Namak Pradushan, quotes on Salt Contamination in hindi, Salt Contamination Hindi meaning, Salt Contamination Hindi translation, Salt Contamination information Hindi pdf, Salt Contamination information Hindi,


Path Alias

/articles/vaataavarana-maen-namaka-kai-vajaha-sae-paradauusana-road-salt-contamination

Post By: Hindi
×