वाराणसी जिला

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जल है अच्छे स्वास्थ्य का द्योतक
Posted on 11 Dec, 2017 01:26 PM
मनुष्य के लिये पेयजल की मात्रा शारीरिक क्रियाकलापों पर निर्भर करती है। अधिक श्रम करने वाले व्यक्ति को अधिक जल पीने की आवश्यकता पड़ती है। सामान्यतया आधा गिलास या 100 मिलीलीटर पानी से 100 कैलोरी ऊर्जा की प्राप्ति होती है अर्थात एक गिलास जल (200 मिली) से 200 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होगी। पर्याप्त मात्रा में जल पीते रहने से शरीर की जैवरासायनिक क्रियाएँ सुचारु रूप से संचालित होती हैं। पाचन तंत
जल मंथन (Water Churning in Hindi)
Posted on 06 Aug, 2017 11:34 AM

भावी पीढ़ी के लिये बन रहे बड़े संकट का कारक क्या है सबको पता है। जल का, विशेषकर पेयजल की

पर्यावरण चेतना : एक प्रयास जागरुकता का
Posted on 05 Aug, 2017 11:11 AM

किसी विद्वान ने सत्य कहा है कि पर्यावरण को यथावत छोड़ दिया जाए तो वह निरंतर लाखों सालों त

क्या भाजपा ने गंगा को चुनावी अछूत मान लिया है
Posted on 19 Feb, 2017 10:55 AM
धर्म, जाति, समुदाय अथवा भाषा के आधार पर वोट माँगने पर अब सुप
Ganga river
वाराणसी के घाटों को नवजीवन दे रहीं तेमसुतुला
Posted on 10 Feb, 2017 04:49 PM
अमूमन देखा जाता है कि कहीं गन्दगी पड़ी हो, तो लोग प्रशासन व स्थानीय लोगों को कोसते हुए मन-ही-मन यह बुदबुदाते हुए निकल जाते हैं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता। लेकिन, बदलाव तब होता है, जब लोग यह सोचते हैं कि क्यों न इस गन्दगी को साफ कर लोगों को प्रेरित किया जाये।

34 वर्षीय तेमसुतुला इमसोंग उन विरले लोगों में है, जिन्होंने गन्दगी देखकर प्रशासन और सरकार को कोसने की जगह सफाई का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। इस काम में तेमसुतुला को दर्शिका शाह भी सहयोग कर रही हैं।
तेमसुतुला इमसोंग
निर्बाध जल प्रबंधन और भारत
Posted on 29 Oct, 2016 10:50 AM
जल भूमि, सागर तथा आकाश में अनवरत घूमता रहता है और पृथ्वी के 70 प्रतिशत भाग पर छाया हुआ है। एक बार ऐसा लगता है कि यह अनन्त और अक्षय संसाधन है और आज के समय में यह मानवीय समाज और आर्थिक विकास को परिभाषित करता है। जल संसाधन का प्रबंधन किसी भी राष्ट्र की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है क्योंकि यह विकास तथा आर्थिक विकास से सीधा जुड़ा रहा है और विश्व द्वारा सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती का सामना करा रहा है। ये वि
जैविक खेती में उपयोगी है वर्मीवाश
Posted on 28 Oct, 2016 12:40 PM
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी दो तिहाई आबादी गाँवों में बसती है एवं अपना जीविकोपार्जन करती है। हमारे देश में हरित क्रान्ति सन 1966-67 में शुरू हुई जिसके फलस्वरूप उन्नत किस्मों के बीज एवं रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुँध प्रयोग कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिये हुआ। इन रसायनों के लगातार उपयोग से भूमि की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का ह्रास हुआ है। रसायनों के अधिक उपयोग से अन्न की गुणवत्ता मे
अस्तित्व बचाने की जंग लड़ता जनकल्याण तालाब
Posted on 02 Aug, 2016 03:00 PM
वाराणसी। कभी कई बीघे में फैले इस तालाब का रकबा आज सिमटकर लगभग 10 बिस्वा में ही शेष रह गया है। सरकारी दस्तावेजों में कहने को तो यह जगह आज भी जनकल्याण तालाब के नाम से दर्ज है जिसमें इसका रकबा 23 बिस्वा प्रदर्शित होता है। लेकिन वर्तमान में ना तो वहाँ कोई तालाब जैसी जगह दिखलाई पड़ती है और ना ही आसपास कही पानी की एक बूँद।

वे तालाब जो कभी लोगों के पानी की आवश्यकताओं को पूरा करते थे, आज खुद अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद करते दिख रहे हैं। वाराणसी में कभी सैकड़ों की संख्या में पोखरे, तालाब, कुण्ड, जलाशय और बावलियाँ हुआ करती थीं लेकिन वर्तमान में ज्यादातर या तो अवैध अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी हैं या फिर भू-माफियाओं द्वारा पाट दी गई हैं।
ओजोन समस्या: कब और कैसे (Ozone problem: when and how)
Posted on 14 May, 2016 12:01 PM

विकासशील देशों का तर्क है कि पर्यावरण को जिन देशों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है। वही

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