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उत्तरकाशी जिला
नमामि गंगे की पहली किस्त चढ़ी घोटाले की भेंट
Posted on 07 Oct, 2017 04:22 PMनमामि गंगे को सफल बनाने के लिये सरकार ने जहाँ 1900 करोड़ का ब
प्रगतिशील उद्यमी के प्रयासों से मिली है नई पहचान
Posted on 29 Sep, 2017 11:36 AM(Progressive Entrepreneur)
उत्तरकाशी जनपद के भटवाड़ी विकास खण्ड का एक गाँव है बार्सू। प्रकृति की नैसर्गिक सुन्दरता के बीच स्थित यह गाँव उत्तरकाशी से तकरीबन 44 कि.मी. दूर है। गंगोत्री राजमार्ग में भटवाड़ी से कुछ ही आगे एक मोटर सड़क बार्सू गाँव को जाती है जहाँ से 9 कि.मी. की दूरी तय करके इस गाँव में आसानी से पहुँचा जा सकता है।
एक जलस्रोत ऐसा भी, जो भूत के नाम से प्रचलित हैं
Posted on 29 Jun, 2017 01:01 PM
सीमान्त जनपद उत्तरकाशी में बहने वाली यमुना नदी में सैकड़ों छोटी-छोटी जल धाराएँ संगम बनाती है। इनमें से एक जलधारा यमुना नदी की दाईं ओर कुड़ गाँव से निकलती है। जहाँ से यह जलधारा निकलती है वहाँ इस जलधारे को ‘भूत राजा का पन्यारा’ कहते हैं।
एक रहस्य - कफनौल गाँव का रिंगदू पाणी
Posted on 04 Mar, 2017 01:34 PM
उत्तराखण्ड हिमालय में जल संरक्षण के प्रति लोगों का जुड़ाव देखने को मिल ही जाता है। पानी को लोग देवतुल्य मानते हैं। अर्थात जल संरक्षण के उपादान में यहाँ के लोगों का सूत्र आध्यात्म है। जल संस्कृति व संरक्षण की बात को लोग वेद पुराणों में लिखित कथानक के अनुसार आगे बढ़ाते हैं। सच यह है कि अधिकांश स्थानों के नाम इन वेद-पुराणों से मिलते-जुलते भी हैं।
कहाँ गए मोल्डा गाँव के दो जलधारे
Posted on 16 Feb, 2017 11:14 AMभूमनेश्वर यानि भूमि से निकला हुआ जलधारा और मूर्ति। पवनेश्वर यानि हवा के जैसे उड़कर दूसरी जगह पर स्थापित होना और वहाँ भी जलधारे व मूर्ति के रूप में प्रकट होना। ऐसे नामों से दो जलधारे हैं उत्तरकाशी के मोल्डा और पौंटी गाँव में।
कृषि भूमि चढ़ी बाँध की भेंट
Posted on 13 Feb, 2017 03:51 PMअकेले हनोल-त्यूणी जलविद्युत परियोजना के लिये 4.426 हेक्टेयर क
सिखों का कैलाश मानसरोवर, हेमकुण्ड साहिब
Posted on 13 Feb, 2017 12:45 PMहेमकुंड झील की रंगत ही निराली है। यह पल-पल अपना रंग बदलती है। सूरज की पहली किरण से, बादलो
22 हजार पनचक्कियों से उत्पादित होगी 35 हजार मेगावाट बिजली
Posted on 08 Jan, 2017 05:01 PM
उत्तराखण्ड राज्य के अक्षय ऊर्जा विभाग ने एक आँकड़ा प्रस्तुत किया है कि राज्य में 22 हजार घराट (पनचक्कियाँ) मौजूद हैं। इन्हें अब वे सरसब्ज करके ऊर्जा पैदा करने के लिये विकसित करेंगे। बाकायदा डीपीआर भी बन चुकी है।
सर-बडियाड़ के सात जल धारे
Posted on 17 Oct, 2016 12:19 PM
यूँ तो उत्तराखण्ड में जब भी पानी की बात आती है तो उसके साथ देवी-देवता या नाग देवता की कहानी का होना आवश्यक होता है। ऐसा कोई धारा, नौला, बावड़ी या ताल-तलैया नहीं है जिसके साथ उत्तराखण्ड में किसी देवता का प्रसंग न जुड़ा हो। यही वजह है कि जहाँ-जहाँ पर लोग देवताओं के नाम से जल की महत्ता को समझ रहे हैं वहाँ-वहाँ पानी का संरक्षण हो रहा है।
यहाँ हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी की यमुनाघाटी स्थित ‘सरबडियाड़’ गाँव की जहाँ आज भी पत्थरों से नक्कासी किये हुए गोमुखनुमा प्राकृतिक जलस्रोत का नजारा देखते ही बनता है। यहाँ के लोग कितने समृद्धशाली होंगे, जहाँ बरबस ही सात धारों का पानी बहता ही रहता है। स्थानीय लोग बोल-चाल में इन धारों को ‘सतनवा’ भी कहते हैं। यानि सात नौले।