उत्तराखंड

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जल संकट की चपेट में देहरादून
Posted on 29 Jun, 2017 10:59 AM


अब मात्र 10 से 15 दिनों के बाद उत्तराखण्ड में मानसून दस्तक दे देगा, जैसा की मौसम विभाग की भविष्यवाणी है। किन्तु इतने दिनों तक राज्यवासियों के हलक कैसे तर होंगे? जो अहम सवाल है। लगातार राज्य में भूजल का स्तर गिरते जा रहा है और सम्बन्धित विभाग है जो कुम्भकरणी नींद में डूबा है।

दून घाटी में बढ़ता जल संकट
जल संवर्द्धन की बात ना 100 दिनों और ना आने वाले दिनों में
Posted on 27 Jun, 2017 01:13 PM


सूचना एवं लोक सर्म्पक विभाग द्वारा आयोजित सरकार के सौ दिन पर एक विशाल सम्मेलन का आयोजन बीते 25 जून को राजधानी के विशाल मैदान परेड ग्राउंड में किया गया। इस सम्मेलन के पश्चात और पहले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने क्रमशः देहरादून के टपकेश्वर, मुख्यमंत्री आवास कैंट रोड देहरादून और उधम सिंह नगर में सरकार के 100 दिन की सफलता का बखान किया है।

उत्तराखण्ड सरकार के 100 दिन पूर्ण होने पर पुस्तिका का विमोचन करते मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत
कुमायूँ की झीलें (Lakes of Kumaun in Hindi)
Posted on 27 Jun, 2017 10:18 AM
कुमायूँ परिक्षेत्र उत्तर-पश्चिमी मध्य हिमालय में स्थित है। इस परिक्षेत्र में उत्तर प्रदेश के 4 पर्वतीय जिले सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र की जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय हैं तथा यहाँ अनेक मीठे जलस्रोत उपलब्ध हैं। कुमायूँ परिक्षेत्र में अनेक मीठे जल की झीलें/जलाशय हैं जो अपनी जैवविविधता तथा आर्थिक महत्ता के लिये जानी जाती है। पिछले 2-3 दशकों से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों, विदेशी मछलियों के प्रत्यारोप
पहाड़ी संस्कृति के बिखरने का कारण बनेगा चीड़
Posted on 19 Jun, 2017 04:04 PM
प्राचीन काल में भारत में ज्ञात सबसे असाध्य रोग क्षय रोग था, इसलिये इसे राज रोग भी कहा जाता था। ऐसा ज्ञात था कि इस रोग का मुख्य कारण फेफड़ों में आॅक्सीजन की कमी या खून बनने एवं साफ होने की प्रक्रिया का दूषित हो जाना था, प्राचीन आयुर्वेद के ज्ञाताओं ने इसका निदान प्राकृतिक रूप में करने का उपाय ढूँढ़ा कि ऐसे वृक्षों के समीप क्षय रोग से ग्रसित बीमार को र
प्रेरित करती है मशरूम लेडी
Posted on 19 Jun, 2017 10:18 AM
उत्तराखंड की दिव्या रावत ने यह साबित किया है कि अगर आप में इच्छाशक्ति हो तो मंजिल पाने से आपको कोई रोक नहीं सकता। दिव्या ने अपने बूते पर खुद की कंपनी की शुरुआत की है। लोग उन्हें ‘मशरूम लेडी’ के नाम से जानते हैं।
वनों की चिंताजनक स्थिति
Posted on 18 Jun, 2017 03:03 PM


प्रतिनिधि/देहरादून। वन हमेशा से प्रकृति के प्रमुख स्वरूपों में रहे हैं और विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। लाखों वर्षों से लोग आवास के लिये जंगलों पर आश्रित हैं। कई हजार सालों से लोग जंगल में रहते हैं और जंगल की पारिस्थितिकी पर निर्भर थे। कालान्तर में वनों पर राजस्व उगाही और खनिज दोहन के लिये अतिक्रमण और हमले होने लगे।

Forest Fire
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