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/regions/uttarakhand-1
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सहस्रधारा में वन भूमि को भूमाफियाओं के बचाने में भले ही विभाग बजट का रोना हो रहा हो, मगर सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कक्कड़ ने इसके लिए एक अनोखी पहल की है। उन्होंने वहाँ पिलर लगाने के लिए जरूरी छह लाख के बजट के लिए बिना ब्याज के विभाग को पैसे उधार देने की पेशकश की है।
शेर-का-डांडा पहाड़ी के 18 सितम्बर, 1880 के भू-स्खलन के बाद इस क्षेत्र में तैनात विशेष सिविल अधिकारी मिस्टर एच.सी.कोनीबीयरे, (ई.एस.क्यू., सी.एस.) ने 11 अक्टूबर, 1880 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव को भू-स्खलन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट का हिन्दी भावार्थ निम्न प्रकार थाः-
राजधानी दून में संचालित औद्योगिक इकाइयों में एक हजार से अधिक इकाइयों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण ही नहीं हैं।