राजधानी दून में संचालित औद्योगिक इकाइयों में एक हजार से अधिक इकाइयों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण ही नहीं हैं।
बोर्ड की लापरवाही का आलम यह है कि इन्होंने अभी तक इनका सर्वे करने तक की जहमत नहीं उठाई। कैग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों और विशेषज्ञों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इकाइयों का सर्वे करने और उनका पंजीकरण कराने पर जोर दिया है।
बता दें कि वायु अधिनियम की धारा 21 के तहत कोई भी व्यक्ति राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति के बिना किसी भी औद्योगिक संयंत्र की स्थापना या उसका संचालन नहीं कर सकता। जिला उद्योग केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-18 के बीच जिले में 1104 इकाइयां स्थापित की गई। जिनमें से 107 इकाइयों ने स्थापित करने के लिए आवेदन किया।
लेकिन बोर्ड अधिकारियों ने पंजीकृत उद्योगों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए न कोई सर्वेक्षण किया और न उद्योग विभाग के साथ कोई समन्वय स्थापित किया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बोर्ड अधिकारियों को ऐसी औद्योगिक इकाइयों को चिंहित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। लेकिन इस संबंध मंे जब कैग ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से जानकारी मांगी तो बोर्ड अधिकारियों ने बचाव में कहा कि विशेषज्ञों व कर्मचारियों की कमी के कारण सर्वेक्षण नहीं हो पाया।
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