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उधमपुर। गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला, जगजीत सिंह के स्वर से एक गजल के रूप में निकली इस फरियाद को पहाड़ी इलाके शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। सर्दी के सीजन में सूखे का ऐसा संकट इससे पहले नहीं देखा गया। स्वच्छ पानी तो दूर अब बहती नदी और उससे निकलने वाले नालों से भी पानी मयस्सर नहीं हो रहा। देहाती अंचलों का जीवन सींचने वाले तालाब सूख गए हैं। बारह मास तक पानी देने वाली बावलियां अकाल सा एहसास दे रही हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों से सप्लाई होने वाला पानी भी लुप्तप्राय हो चला है। हालात यहां तक हो गए हैं कि पहाड़ी इलाकों में प्यास के मारे मवेशियों की मौतें शुरू हो गई हैं। शहरी और कस्बाई इलाकों में भी पानी का संकट अपना एहसास करवा रहा है।
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