शहडोल जिला

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सोन नदी में बेखौफ घुलता जहर
Posted on 07 Nov, 2014 04:28 PM

यहां के बाशिंदे हताश हो चुके हैं, कोई भी राजनीतिक दल अब उनकी इस समस्या को समस्या ही नहीं मानता

Son river
तालाबों ने बदल दी है आदिवासियों की किस्मत
Posted on 02 Mar, 2011 10:27 AM

शहडोल जिले के जयसिंहनगर ब्लाक में चार गांवों में बसे डेढ़ हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपने खेतों की सिंचाई के लिए जो सपना देखा था, वह मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल के फलस्वरूप दो बड़े तालाबों की वजह से हकीकत में बदल गया है। इन तालाबों के प्रभाव से इन आदिवासी किसानों की जीवन शैली में तेजी से व्यापक परिवर्तन आ रहा है। अब वे तीज-त्यौहारों और ब्याह-शादी में खुलकर खर्च कर रहे हैं।

चरो रे भैया, चलिहें नरबदा के तीर
Posted on 28 Oct, 2010 12:14 PM
सतपुड़ा-मैकल और विंध्य पर्वत शृंखला के संधि स्थल पर सुरम्य नील वादियों में बसा अमरकंटक ग्रीष्मकाल के लिए अनुपम पर्यटन स्थल है। इसे प्रकृति और पौराणिकता ने विविध संपदा की धरोहर बख्शी है। चारों ओर हरियाली, दूधधारा और कपिलधारा के झरनों का मनोरम दृश्य, सोननदी की कलकल करती धारा, नर्मदा कुंड की पवित्रता, पहाड़ियों की हरी-भरी ऊँचाइयाँ है और खाई का प्रकृति प्रदत्त मनोरम दृश्य मन की गहराइयों को छू जा
नर्मदा का जल ग्रहण क्षेत्र
Posted on 20 Sep, 2009 01:44 PM
नर्मदा नदी शहडोल जिले के अमरकंटक (22.40श् उ0, 80*45श् पू0) से 1051 मीटर की ऊंचाई से निकलकर भडोच (21*43श् उ0, 72*57श् पू0) के निकट खंभात की खाडी में गिरती है । इसकी कुल लम्बाई 1312 कि0मी0 है । यह 1077 कि0मी0 तक मध्यप्रदेश के शहडोल, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खण्डवा तथा खरगोन जिलों से होकर बहती है । इसके बाद 74 कि0मी0 तक महाराष्ट्र को स्पर्श करती हुई बहती है, जिसमें 34 कि0मी0 तक मध्यप्रदे
शहडोल - तालाब ने बदल दी तकदीर
Posted on 11 Sep, 2009 07:02 AM

अनेक काश्तकार बलराम तालाब योजना की ओर आकर्षित हुए हैं । बलराम तालाब रामनारायण के पांच एकड़ खेतों की प्यास बुझाता है और साल में तीन फसलें होती हैं। रामनारायण डीजल पंप से अपने खेतों में सिंचाई करते हैं । खास बात यह है कि तालाब को नीचाई पर इस तरह बनाया गया है कि खेतों में दिया गया पानी अन्तत: बहकर वापस तालाब में ही जमा हो जाता है, जिससे तालाब खाली नहीं हो पाता । बलराम तालाब से पनपे खेतों से आज रामनारायण और उनके दो भाईयों यानि तीन परिवारों की बड़े मजे में आजीविका चल रही है । शहडोल, सितम्बर 09, जब पैंतीस वर्षीय रामनारायण कुशवाहा ने तमाम प्रयासों के बाद नौकरी नहीं मिलने पर दो वर्ष पूर्व शहडोल जिले के खेतौली गांव में अपने परिवार की पांच एकड़ जमीन के खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की सहायता से तालाब खुदवाने का फैसला किया, तो उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि वे बहुत जल्द लखपति बन जाएंगे । लेकिन बारवीं पास श्री रामनारायण की दो साल में उस तालाब ने तकदीर बदल दी ।

रामनारायण ने जब भी खेतों से अपना भविष्य बनाने की कल्पना की, वह परवान नहीं चढ़ सकी । सिंचाई की कमी उनके मार्ग में बाधा थी । सिंचाई के लिए खेत पूरी तरह वर्षा पर निर्भर होने के कारण खेती की ओर बढ़ते उनके कदम हमेशा डगमगाने लगते थे ।

नर्मदा की सहायक नदियां
Posted on 18 Jan, 2009 08:20 AM

नर्मदा नदी शहडोल जिले के अमरकंटक (22.40श् उ0, 80*45श् पू0) से 1051 मीटर की ऊंचाई से निकलकर भडोच (21*43श् उ0, 72*57श् पू0) के निकट खंभात की खाडी में गिरती है । इसकी कुल लम्बाई 1312 कि0मी0 है । यह 1077 कि0मी0 तक मध्यप्रदेश के शहडोल, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खण्डवा तथा खरगोन जिलों से होकर बहती है । इसके बाद 74 कि0मी0 तक महाराष्ट्र को स्पर्श करती हुई बहती है, जिसमें 34 कि0मी0 तक मध्यप्

नर्मदा की सहायक नदियां
मनरेगा ने बदली पोंगरी गाँव की तकदीर
Posted on 15 Dec, 2014 04:44 PM पोंगरी गाँव के किसानों के खेतों में लहलहाती फसलें, बारहमासी जलापूर्
आवश्यक है भूजल भण्डारों का पुनर्भरण
Posted on 09 Dec, 2010 12:25 PM आज सिंचाई सुविधाएं कृषि के विकास की अनिवार्य शर्त बन गई हैं। चाहे सिंचाई के लिए हो या अन्य उपयोग के लिए हो, वर्षा पानी की आपूर्ति का अंतिम स्त्रोत होती है । मनुष्य वर्षा जल को या तो नदियों पर बांध बनाकर अथवा उसे रिसन के जरिए भूजल भण्डारों में पहुंचने के बाद, उसका उद्वहन करके उपयोग करता है ।
और मैली हुई नर्मदा
Posted on 28 Aug, 2009 05:00 PM
हिंदू पुराणों में शिवपुत्री नर्मदा को गंगा से भी पवित्र नदी माना गया है . जनश्रुति है कि पवित्र नदी गंगा वर्ष में एक बार काली गाय के रूप में नर्मदा में स्नान करने आती है और पवित्र होकर श्वेतवर्णी गाय के रूप में फिर से स्वस्थान लौट जाती है. नर्मदा पुराण में कहा गया है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से पापियों के पाप नाश हो जाते है.
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