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सागर जिला
तो आकाश बन गये फ़सलों के डॉक्टर
Posted on 01 Sep, 2017 10:43 AMऑर्गेनिक फार्मूले से विकसित की तीन एकड़ में फाइव लेयर फार्मिंग तकनीक और कमाते हैं एक एकड़ में 3-4 लाख।
पेंशन के लिये भटकती वृद्धाएँ
Posted on 01 Aug, 2016 10:30 AMकरीब 1500 की आबादी वाले चकेरी गाँव की शान्तिबाई, लीलाबाई, राज
कहाँ है बुन्देलखण्ड का पानी
Posted on 30 Jun, 2016 03:40 PMपेयजल के मामले में सबसे गम्भीर स्थिति सागर जिले में पाई गई, ज
सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था
Posted on 27 Jun, 2016 10:55 AMसागर जिला में पथरीली टौरियाऊ, ऊँची-नीची, ढालू जमीन पर ही तालाब है, जहाँ काली कावर भूमि है
गागर में सिमटता सागर का सागर
Posted on 28 Nov, 2014 01:12 PM अपने नाम के अनुरूप एक विशाल झील है इस शहर में। कुछ सदी पहले जब यह झील गढ़ी गई होगी तब इसका उद्देश्य जीवन देना हुआ करता था। वही सरोवर आज शहर भर के लिए जानलेवा बीमारियों की देन होकर रह गया है। हर साल इसकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई घटती जा रही है। कोई भी चुनाव हो हर पार्टी का नेता वोट कबाड़ने के लिए इस तालाब के कायाकल्प के बड़े-बड़े वादे करता है।सरकारें बदलने के साथ ही करोड़ों की योजनाएं बनती और बिगड़ती है। यदाकदा कुछ काम भी होता है, पर वह इस मरती हुई झील को जीवन देने के बनिस्पत सौंदर्यीकरण का होता है। फिर कहीं वित्तीय संकट आड़े आ जाता है तो कभी तकनीकी व्यवधान। हार कर लोगों ने इसकी दुर्गति पर सोचना ही बंद कर दिया है।
बुंदेलखंड में पानी के लिए जा रही लोगों की जान
Posted on 26 Apr, 2011 02:43 PMछत्रसाल की इस वीर भूमि पर पहले ताकत के लिए खून बहता था। पर अब पानी के लिए खून बहना शुरू हो गया
खतरे में है टीकमगढ़ की तालाब संस्कृति: भाग 1
Posted on 08 Mar, 2010 01:08 PMबुंदेलखंड की पारंपरिक संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं ‘तालाब। आम बुंदेली गांव की बसावट एक पहाड़, उससे सटे तालाब के इर्द-गिर्द हुआ करती थी। यहां के टीकमगढ़ जिले के तालाब नौंवी से 12वी सदी के बीच वहां के शासक रहे चंदेल राजाओं की तकनीकी सूझबूझ के अद्वितीय उदाहरण है। कालांतर में टीकमगढ़ जिले में 1100 से अधिक चंदेलकालीन तालाब हुआ करते थे। कुछ को समय की गर्त लील गई और कुछ आधुनिकीकरण की आंधी में ओझल हो
पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PMसहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।