Posted on 04 Aug, 2014 07:50 AMउत्तराखंड की त्रासदी देश को दशकों तक याद रहेगी। ऐसा विनाश पहाड़ी क्षेत्र में पहले कभी नहीं हुआ। इसका प्रमाण यह अकेला तथ्य है कि केदारनाथ मंदिर वहां 1200 वर्ष से स्थित है और पहली बार उसके चारों तरफ तबाही हुई है। आरोप-प्रत्यारोपों से लेकर विेश्लेषणों तक का दौर जारी है और इसके बीच विकास और विनाश की मौजूदा नीतियों पर बहस भी।
Posted on 03 Aug, 2014 03:14 PMइन दिनों पूरे देश की नजर उत्तराखंड पर है, नेताओं, प्रशासकों, पर्यावरणविदों से लेकर आम आदमी तक सिर्फ इसी भयावह त्रासदी की चर्चा है। सभी अपनी-अपनी ओर से सलाहकारों की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन इस विनाश का पछतावा या इसकी पुनरावृत्ति सबंधी चिंता या तो शून्य मात्र है या अल्पकालिक है। इसका कारण ‘हमारे न सुधरने’ की प्रवृत्ति है। उत्तराखंड में आई त्रासदी की यह कोई पहली घटना नहीं है, इसका इतिहास अपने आप मे
Posted on 15 Jun, 2014 11:06 AMहिमालय चीख-चीखकर पूछ रहा है कि जब मैं मिट जाऊंगा, तब जागोगे तुम लोग? पहाड़ों से चौतरफा छेड़छाड़ ने हिमालय के मायने बदल दिए हैं। यह पर्वत श्रृंखला न सिर्फ विकास की भेंट चढ़ी है, बल्कि आतंकवाद और सीमाविवाद ने भी इसे झकझोरा है। पहाड़ की हरियाली-खुशहाली तबाह कर दी गई। आज तपस्वियों जैसी शांत पहाड़ियों पर जमी भारी-भरकम तोपें हिमालय को मुंह चिढ़ा रही हैं...