पुणे जिला

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स्वच्छता की अनूठी पहल
Posted on 13 Sep, 2018 12:11 PM

महाराष्ट्र की 333 वर्ष पुरानी महान परम्परा पालकी या जुलूस को पूरे राज्य में मनाया जाता है और इस वर्ष यह 6 जुलाई से आरम्भ होकर 22 जुलाई को खत्म हुई। राज्य के भीतर और बाहर से आमतौर पर 10 लाख तीर्थयात्री या वरकारी इस जुलूस में शामिल होते हैं। वार्षिक तीर्थयात्रा हिन्दू देवता विठोबा के स्थान पंढरपुर में समाप्त होती है। देवता के सम्मान में पालकी में सन्त ज्ञानेश्वर और तुकाराम के पदचिन्ह रखे जाते
सेनिटेशन
मालिन हादसे का मर्म
Posted on 01 Sep, 2014 01:04 PM बयान में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में सरकार को इस तरह की आपदा
एक व्यक्ति के प्रयास से हरी-भरी हुई पहाड़ी
Posted on 20 Jul, 2012 10:09 AM बंजर जमीनों पर सरकार तथा बिल्डर्स लॉबी की आंखें लगी हुई हैं कि कहां ऐसी जमीन मिले और हम अपने फायदे के लिए अपार्टमेंट्स बना लें। ऐसा ही एक घटना पुणे के सुस और बनेर गांव की है जहां पहाड़ी के बंजर जमीन पर सरकार तथा बिल्डरों की नजरें लगी हुईं थीं। लेकिन बापू कलमरकर के प्रयास से उस पहाड़ी पर हरे-भरे जंगल तथा डैम बन जाने से पहाड़ी की बंजर जमीन बच गई। कलमरकर के प्रयास से हरी-भरी हुई पहाड़ी के बारे में बता रहे हैं एन रघुरामन।

जब कलमरकर और उनके गांव के साथियों को यह पता चला कि सरकार इस पहाड़ी का सीमांकन करने पर विचार कर रही है, तो उन्होंने साथ मिलकर इसे बचाने की योजना बनाई। उन्होंने तय किया कि इस पहाड़ी का तेजी-से वनीकरण किया जाए, क्योंकि बंजर जमीन के मुकाबले जंगली जमीन को बचाना ज्यादा आसान होता है। उन्होंने वहां पर वर्षाजल को एकत्रित करने के लिए छोटे-छोटे डैम बनाए, ताकि पौधरोपण में आसानी हो सके।

किसी भी फैलते शहर में जमीन एक बहुमूल्य संसाधन है।
सामुदायिक पहल से संकट टला
Posted on 21 Dec, 2009 02:18 PM कोलवान घाटी के किसान एक बात तो अच्छी तरह से जानते हैं कि एक ऐसे क्षेत्र में किस प्रकार से जल संरक्षण और जल संग्रहण करें, जहां बारिश के मामले में टाल-मटोल होता रहता है। पुणे से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुल्शी तालुका के कुछेक गांवों के जल समुदायों ने इस दिशा में एक मिसाल खड़ी की है कि किस प्रकार से यह अपनी समूची आबादी के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करें और साथ ही इस बहुमूल्य चीज का किस तरह से समान
भूजल पर सम्मेलन
Posted on 18 Jun, 2009 02:04 PM ACWADAM (एडवांस्ड सेंटर फॉर वाटर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट) द्वारा पुणे में 21/22 मई को एक साझा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें कुछ अच्छी प्रस्तुतियां देखी गई. डॉ. तुषार शाह ने अपने मुख्य भाषण में कृषि क्षेत्र में भूजल उपयोग की एक अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत की. यह प्रस्तुति और भाषण स्लाइडशो पर देखा जा सकता है जो यूट्यूब पर 4 भागों में उपलब्ध है.
एक जल-ग्रहण क्षेत्र का मैदानी अध्ययन
Posted on 11 Oct, 2008 01:16 AM

पोंधे जल-ग्रहण क्षेत्र, पुरंदर तालुका, जिला पुणे, महाराष्ट्र का मैदानी अध्ययन

द्वारा रैपिड हाईड्रोलॉजिकल मेपिंग पर आधारित अध्ययन


भारत वर्ष में अनेक विशाल क्षेत्र कठोर चट्टानों से आच्छादित हैं। ये चट्टान बहुत: आग्नेय एवं कायान्तरित मूल के हैं। देश के अनेक बंजर एवं अर्ध-बंजर क्षेत्रों में जल आपूर्ति ऐसी ही चट्टानों में संग्रहित भू-जल से होती है। यह कथन विशेषकर उन विशाल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सत्य है, जो कृषि एवं घरेलू उपयोग हेतु इस प्रकार के चट्टानों में संग्रहित भू-जल का दोहन करते हैं।

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