/regions/orissa
ओड़िशा
स्मार्ट सिटी और शहरी-बाढ़ एवं जलनिकासी संबंधी बुनियादी चुनौतियां (भाग 2)
Posted on 29 Aug, 2024 01:57 AMदेश के कई शहरों में बार-बार यह समस्या होती है तथा कुछ शहरों की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता है। उदाहरण के तौर पर देश की राजधानी एवं प्रदेश के उन राजधानियों पर अर्बन फ्लडिंग के खतरों के कारणों का आंकलन नीचे किया गया है जो कि प्रशासनिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, अच्छी योजना से बनाई गई हैं या झीलों के शहर हैं:
सामुदायिक स्वामित्वः जल जीवन मिशन के साहसिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ओडिशा के अनुभव
Posted on 07 Feb, 2024 02:34 PMजल जीवन मिशन ने एक कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन के साथ भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कवर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लोगों के आंदोलन के रूप में इसे प्राप्त करने की परिकल्पना करता है, जहाँ लोगों और उनके प्रतिनिधि संस्थानों द्वारा पेयजल आपूर्ति का स्वामित्व और प्रबंधन किया जाता है। एक बार लक्ष्य हासिल करने के बाद, यह वित-पोषण और कार्यों के विकेंद्रीकरण के सिद्धांतो
ओडिशा : महिलाओं द्वारा जलापूर्ति योजना का नेतृत्व
Posted on 03 Feb, 2024 01:24 PMसुनंदा दास कई लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं क्योंकि वह खोरधा जिले के अर्थटांड़ गांव में पाइप जलापूर्ति (पीडब्ल्यूएस) योजना के लिए एक स्वरोजगार मैकेनिक (एसईएम) के रूप में कुशलतापूर्वक काम करती हैं। अर्थटांड़ एक राजस्व ग्राम है, जिसमें 1,790 की आबादी वाले 407 घर हैं जहां सुनंदा अपने परिवार के साथ पिछले 18 सालों से रह रही है।
स्कूलों में 'WASH' से कौंध जनजातीय लोगों के चेहरों पर खिली मुस्कान
Posted on 13 Sep, 2023 05:26 PMबच्चे किसी भी देश के सामाजिक- आर्थिक विकास के निर्माता होते हैं। और शिक्षा इन भावी निर्माताओं के विकास में ऑक्सीजन की भूमिका निभाती है। सतत विकास लक्ष्य 4 (एसडीजी 4 ) का उद्देश्य 'समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना' है। प्रत्येक बच्चे को स्कूलों में सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और सफाई (वॉश) सुविधाओं तक पहुंच के साथ शिक्षा का अधिका
हर घर जल स्वास्थ्य, पोषण - और जीवन की गुणवत्ता में सुधार
Posted on 12 Sep, 2023 05:13 PMआज देश में 50% से ज़्यादा ग्रामीण आबादी को उनके ही घर में नल से पेयजल की आपूर्ति होने लगी है। कुल 19.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से अब 9.75 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नल कनेक्शन से होने लगी है। 15 अगस्त, 2019 को शुरू हुए जल जीवन मिशन के बाद यह नल कनेक्शनों की कवरेज में तीन गुना की वृद्धि है। ओडिशा भी नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के अपने निरंतर प्रयासों से राष्ट्रीय औसत प्रतिशत के करीब पहुँच
मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली
Posted on 09 Jun, 2023 02:21 PMप्रस्तावना
हम कृषि की विभिन्न उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुके हैं जो उत्पादन पद्धति में अधिकत्तम उत्पादन और निम्नतम जोखिम को सुनिश्चित करती हैं। इसके अतिरिक्त मशीनीकरण और कठिन परिश्रम को कम करने वाली तकनीकों ने किसानों की कामकाजी और जीवन स्तर की स्थितियों में सुधार किया है। लेकिन आज भी किसानों को अपने खेत की सिंच
फसलों में सिंचाई के लिये अपशिष्टजल का उपयोग
Posted on 22 May, 2023 03:33 PMप्रस्तावना
वर्तमान में बढ़ती वैश्विक आबादी के साथ जल की आपूर्ति और माँग के बीच का अंतर बहुत बढ़ता ही जा रहा है और यह एक ऐसे खतरनाक स्तर तक पहुँच गया है। कि दुनिया के कुछ हिस्सों में यह मानव अस्तित्व के लिये खतरा पैदा कर रहा है दुनिया भर में बहुत से वैज्ञानिक जल संरक्षण के नये और आधुनिक तरीकों पर अनुसंधान कर रहे हैं। लेकिन अभी भी इसमें उतनी प्रगति प्राप्त नहीं हु
खरीफ धान के बाद फसल की उत्पादकता को बढाने और आय में वृद्धि के लिये कम से कम सिंचाई के साथ सूरजमुखी की खेती
Posted on 22 May, 2023 12:28 PMपृष्ठभूमि
सूरजमुखी एक उभरती हुई तिलहन फसल है जिसमें खरीफ धान की फसल के बाद एक आपातकालीन (Contingent ) फसल के रूप में समायोजित होने की अनुकूलन क्षमता है या यूं कह सकते हैं कि यह फसल नीची भूमि के पारिस्थितिक तंत्र में अधिक जल आवश्यकता वाली धान की फसल का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। किसी भी फसल की उपज की क्षमता और लाभप्रदता उचित सिंचाई की पद्धतियों और समय पर बुवाई
पूर्वी भारत के वर्षा आधारित क्षेत्रों में अनानास की खेती
Posted on 18 May, 2023 02:14 PMप्रस्तावना
पूर्वी भारत में 12.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित धान की खेती के अंतर्गत है। इन वर्षा आधारित क्षेत्रों में अधिकांशतः भूमि वर्षा के बाद रबी मौसम में सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण मुख्य रूप से परती खंड दी जाती है। इस कारण इस भूमि का खेती के लिए उचित उपयोग नहीं हो पाता है। इसी प्रकार की समान परिस्थिति ओडिशा राज्य में भी मौजूद है। दूसरी तरफ धान