बच्चे किसी भी देश के सामाजिक- आर्थिक विकास के निर्माता होते हैं। और शिक्षा इन भावी निर्माताओं के विकास में ऑक्सीजन की भूमिका निभाती है। सतत विकास लक्ष्य 4 (एसडीजी 4 ) का उद्देश्य 'समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना' है। प्रत्येक बच्चे को स्कूलों में सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और सफाई (वॉश) सुविधाओं तक पहुंच के साथ शिक्षा का अधिकार है। बच्चे अपने दिन का एक बड़ा हिस्सा स्कूलों में बिताते हैं और गुणवत्तापूर्ण वॉश सेवाओं के अभाव का उनके स्वास्थ्य, सीखने, मानसिक संतुलन और गरिमा, विशेष रूप से लड़कियों के लिए, पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
स्कूलों में वॉश के संबंध में डब्ल्यूएचओ / यूनीसेफ संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (जेएमपी) की रिपोर्ट 2019 में पाया गया है कि विश्व स्तर पर लगभग 584 मिलियन बच्चों के पास पीने के पानी की बुनियादी सुविधाओं की कमी है, लगभग 698 मिलियन बच्चों की बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच नहीं है और लगभग 818 मिलियन बच्चों को उनके स्कूलों में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की आवश्यकता है।
दासरा, मुंबई आधारित एक लोकोपकारी संस्था और बैंक ऑफ अमेरिका की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, औसतन, छात्राएं महीने में छह • दिन अपने स्कूल नहीं जा पाती हैं, क्योंकि उचित वॉश सुविधाओं के उपलब्ध न होने के कारण वे स्कूल में अपने पीरियड्स की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं। इसकी वजह से लगभग 23% लड़कियां योवनावस्था तक पहुंचने पर स्कूल छोड़ने को बाध्य हो जाती हैं। इस तरह के अध्ययन स्कूलों में वॉश को शामिल करने की गंभीर आवश्यकता को प्रमाणित करते हैं।
जल जीवन मिशन ने स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जलापूर्ति सुविधाओं की महत्वपूर्ण आवश्यकता का समावेशन करते हुए 2 अक्टूबर 2020 के नाम पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया। आज देश में 84% स्कूलों और 80% आंगनबाडी केंद्रों में पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए एसडीजी - 6 यानी सभी के लिए सुरक्षित और किफायती पेयजल के लिए सार्वभौमिक समान पहुंच के अनुरूप पाइप से पानी की आपूर्ति है। इस अभियान के तहत, न केवल राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के पीएचईडी विभाग बल्कि शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, और कई गैर-सरकारी संगठन जैसे अन्य संबंधित विभाग भी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करते हैं।
डेनिया कुतुरा की खुशी उसके चेहरे पर झलकती है क्योंकि उसे अब स्कूल, जहां वह प्राथमिक विद्यालय, कांधा, डेंगासरगी गांव के छात्रों के लिए मध्याह्न भोजन बनाती है, की रसोई के अंदर एक नल से पानी मिल रहा है। ग्राम विकास, जल और स्वच्छता क्षेत्र में काम करने वाले एक प्रमुख गैर-सरकारी संगठन को ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता (आरडब्ल्यूएसएस), ओडिशा द्वारा जेजेएम के तहत एक कार्यान्वयन सहायता एजेंसी (आईएसए) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इस प्राथमिक विद्यालय में 2020 में नल के पानी की आपूर्ति उपलब्ध कराई गई थी। नल के पानी की आपूर्ति से पहले, डेनिया मध्याह्न भोजन बनाने और बर्तन धोने के लिए नलकूप से पानी पंप करती थी। गर्मी के दिनों में जल स्तर नीचे चले जाने के कारण स्थिति और विकट हो जाती थी और वह नलकूप से पानी पंप करते- करते थक जाती थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह दिन भी आएगा जब परिसर में नल के पानी के कनेक्शन से उसकी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
कांधा डेंगासरगी, ओडिशा के एक आकांक्षी जिले रायगड के कोलनारा ब्लॉक में डुमरीगुडा पंचायत का एक अनुसूचित जनजाति बहुल गांव है। यह प्रकृति की गोद में बसा एक छोटा सा गांव है जिसमें केवल 126 घर हैं। गांव में केवल एक प्राथमिक विद्यालय और दो आंगनबाडी केंद्र (एडब्ल्यूसी) हैं। 2019 में स्कूल प्रबंधन समिति को सर्व शिक्षा अभियान से कुछ धनराशि मिली और ग्राम विकास के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत छात्रों के लिए शौचालयों का निर्माण किया गया और अगले वर्ष शौचालयों, हाथ धोने के स्टेशनों और रसोई घर में नल कनेक्शन के माध्यम से पानी प्राप्त हुआ।
स्कूल में पानी और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच ने विशेष रूप से लड़कियों के जीवन को आसान बना दिया है। लड़कियां अब खुद को राहत देने के लिए गोपनीयता बरत पा रही हैं। पहले वे खुले में बाहर निकलती थीं, झाड़ियों के पीछे छिपती थीं। बरसात के मौसम में सांप और अन्य जहरीले कीड़ों द्वारा काटने का डर था। मुझे खुशी है कि मेरी बेटियां प्राथमिक विद्यालय में बेहतर वॉश सुविधाओं का आनंद ले रही हैं। पानी और स्वच्छता सुविधा ने न केवल बेहतर स्वच्छता प्रथाओं में मदद की है बल्कि पर्यावरण और स्कूल के आस-पास के वातावरण को साफ रखने में भी मदद की है।" 40 वर्षीय बुजुर्ग आदिवासी निवासी कुतरुका कहती हैं।
स्कूल की तरह अब आंगनबाडी केंद्र में भी नल के पानी का कनेक्शन है। बालवाड़ी के बच्चों को गरमा-गरम खाना परोसते हुए आंगनबाडी कार्यकर्ता उर्मिला बिस्माजी कहती हैं, "अब मैं पौष्टिक गर्म भोजन बना सकती हूं और अपने बच्चों को समय पर खिला सकती हूं क्योंकि मुझे रसोई में ही नल से पानी मिल रहा है। " अतीत को याद करते हुए, उन्होंने कहा, "पहले मुझे ट्यूबवैल से पानी लाना पड़ता था और मैं अपनेआंगनवाड़ी बच्चों को समय पर खिलाने में
सक्षम नहीं थी।
"देंगासरगी ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति कांधा की अध्यक्ष तुनि कुतरूका गर्व से कहती हैं, "स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की समस्या को अब सुलझा लिया गया है, इससे लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर को कम करने में मदद मिलेगी।"
छोटे आदिवासी गांव कांधा डेंगासरगी में सभी 126 घरों को कवर करने के लिए एक मौजूदा पाइप जलापूर्ति (पीडब्लूएस) है। आरडब्ल्यूएसएम, रायगड जिला नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पानी की पर्याप्त मात्रा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाली मौजूदा ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना की रेट्रोफिटिंग के माध्यम से इन घरों में नल जल कनेक्शन प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। और इस काम में आईएसए ग्राम विकास, वीडब्ल्यूएससी और ग्राम विकास समिति के सदस्य सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और तहे दिल से मदद कर रहे हैं।
स्रोत-जल जीवन संवाद अंक 22 जुलाई 2022
वॉश संस्थान, एनजेजेएम, ओडिशा
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