ललितपुर जिला

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राहत की रस्म अदायगी
Posted on 11 Jan, 2018 11:52 AM
2009 में बुन्देलखण्ड में सूखे से निपटने के लिये 7,266 करोड़ रुपए का पैकेज जार
बुन्देलखण्ड में सूखे का सामना
Posted on 27 Sep, 2017 11:53 AM
अनुवाद - संजय तिवारी

बुन्देलों का इतिहास मुठभेड़ और मुकाबलों से भरा रहा है। अपनी समृद्धि को बचाने के लिये वो सदियों बाहरी आक्रमणकारियों से लड़ते भिड़ते रहे हैं। आजादी के बाद भले ही उनको अब बाहरी आक्रमणकारियों से लड़ने की जरूरत न हो लेकिन अब उनकी लड़ाई अपनी समृद्धि को पाने के लिये जारी है। सूखे का भयावह शिकार बन चुके बुन्देलखण्ड की यह लड़ाई उनकी अपनी परम्पराओं को पाने की लड़ाई है। उनकी अपनी प्रकृति और पर्यावरण ही उनके लिये आक्रांता बन गये हैं लेकिन अब बुन्देले इस आपदा से निपटने के लिये भी कमर कसकर तैयार हैं।

उमा दीदी द्वारा गोद लिया हुआ गाँव अनाथ हो गया है
Posted on 14 Jul, 2016 11:21 AM
ललितपुर : गाँव सामान्य नहीं है, लेकिन जब फायर ब्रांड जैसे कई नामों से जानी-पहचानी जाने वाली केन्द्रीय मंत्री उमा भारती गाँव को गोद ले लेती हैं तो यह गाँव कुछ खास हो जाता है। उमा भारती देश की बड़ी नेताओं में शुमार हैं। वीआईपी हैं। इसलिये गाँव को उसी नजर से देखने का ख्याल आना भी स्वाभाविक है। उमा के गोद लेने से असामान्य हुआ ये गाँव पहली, दूसरी, तीसरी हर नजर से देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन गाँव सामान्य ही लगता है। कुछ असामान्य नजर नहीं आता। उमा के गोद लेने के बाद गाँव में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं।

केन्द्रीय संसाधन मंत्री व झाँसी, ललितपुर क्षेत्र की सांसद उमा भारती ने ललितपुर के पवा गाँव को गोद लेने की घोषणा की तो लोगों को लगा कि उनके गाँव की तस्वीर अब बदल जाएगी। लोगों को उम्मीद थी कि गाँव में विकास होगा।
ललितपुर जिले के तालाब
Posted on 27 Jun, 2016 11:15 AM
.ललितपुर जिले की भूमि संरचना मिली-जुली है। किन्हीं क्षेत्रों की भूमि काली कावर है तो किन्हीं परिक्षेत
लोगों को डीलिंक करती केन-बेतवा लिंक परियोजना
Posted on 08 Jun, 2016 03:01 PM
नदी जोड़ परियोजना के अंतर्गत कुल 30 नदी जोड़ प्रस्तावित हैं, जिसमें से 14 हिमालयी भाग के और 16 प्रायद्वीपीय भाग के हैं। इन्हीं नदी जोड़ परियोजनाओं में बुंदेलखंड की केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना लाइन में सबसे आगे है। परियोजना में कुल 7 बांध बनने वाले हैं और 1 बांध से 10 हजार हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आएगी। न केवल पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क, केन घड़ियाल अभ्यारण्य खत्म हो जाएंगे बल्कि बुंदेलखंड में पानी के लिए जंग होने के आसार भी हैं। परियोजना के खतरों से रूबरु करा रहे हैं आशीष सागर।

केन-बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना में सुप्रीम कोर्ट के सहमति के पश्चात सुकवाहा गांव में सर्वे कार्य चल रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क संरक्षित वन क्षेत्र है यदि लिंक बनता है तो यहां कि बायोडायवर्सिटी के विलोपन का खतरा है। साथ ही प्रस्तावित केन-बेतवा नदी गठजोड़ में डाउनस्ट्रीम में स्थित केन घड़ियाल अभ्यारण्य भी पूरी तरह जमींदोज हो जायेगा। तथा जल जमाव, क्षारीयकरण, जल निकास व जैव विविधता से जो उथल-पुथल होगी उससे न सिर्फ सैकड़ों वन्यजीवों पर संकट के बादल आयेंगे बल्कि बुंदेलखंड पानी की जंग के दौर से गुजरेगा ऐसे आसार हैं।

राष्ट्रीय नदी विकास अभिकरण (एन.डब्लू.डी.ए.) द्वारा देश भर में प्रस्तावित तीस नदी गठजोड़ परियोजनओं में से सबसे पहले यूपी. एम.पी. के बुंदेलखंड क्षेत्र से केन-बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना पर अमलीकरण प्रस्तावित है। 19 अप्रैल 2011 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व मुखिया जयराम रमेश ने केन-बेतवा लिंक को एन.ओ.सी. देने से मना कर दिया है। क्योंकि वे खुद ही इस लिंक के दायरे में आ रहे पन्ना टाइगर नेशनल रिजर्व पार्क के प्रभावित होने के खतरे को भांप चुके थे। बड़ी बात ये है कि वर्ष 2009 तक परियोजना के डी.पी.आर. पर ही 22 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिये परियोजना को हाथ में लेने हेतु म.प्र. तथा उ.प्र. राज्यों व केंद्र सरकार के बीच इस पर 25 अगस्त 2005 को अंतिम रूप दिया गया। जिस पर म.प्र. व उ.प्र. के सी.एम. बाबूलाल गौड़ व मुलायम सिंह यादव ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किये थे।
कमी भोजन की नहीं प्रबन्धन की है
Posted on 13 May, 2016 09:55 AM


सूखे और पानी से त्रस्त बुन्देलखण्ड में जहाँ भूख से मौतें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच पानी एक्सप्रेस को लेकर विवाद में मशगूल हैं।

मंगल टरबाईन से कृषि एवं पर्यावरण की रक्षा
Posted on 07 Apr, 2015 11:29 AM मंगल सिंह उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के एक किसान हैं और साथ में ग्रामीण वैज्ञानिक भी हैं। उन्होंने बचपन में देखा कि नदी-नालों से पानी लिफ्ट करने में किसानों को कितनी कठिनाई होती है। समाधान के लिये उन्होंने ऐसा संयन्त्र मंगल टरबाइन बनाया जो बिना डीजल व बिजली के पानी लिफ्ट कर सकता है।
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