ललितपुर : गाँव सामान्य नहीं है, लेकिन जब फायर ब्रांड जैसे कई नामों से जानी-पहचानी जाने वाली केन्द्रीय मंत्री उमा भारती गाँव को गोद ले लेती हैं तो यह गाँव कुछ खास हो जाता है। उमा भारती देश की बड़ी नेताओं में शुमार हैं। वीआईपी हैं। इसलिये गाँव को उसी नजर से देखने का ख्याल आना भी स्वाभाविक है। उमा के गोद लेने से असामान्य हुआ ये गाँव पहली, दूसरी, तीसरी हर नजर से देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन गाँव सामान्य ही लगता है। कुछ असामान्य नजर नहीं आता। उमा के गोद लेने के बाद गाँव में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं।
केन्द्रीय संसाधन मंत्री व झाँसी, ललितपुर क्षेत्र की सांसद उमा भारती ने ललितपुर के पवा गाँव को गोद लेने की घोषणा की तो लोगों को लगा कि उनके गाँव की तस्वीर अब बदल जाएगी। लोगों को उम्मीद थी कि गाँव में विकास होगा। गाँव विकास का मॉडल बन जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गाँव के लोग बताते हैं कि उमा एक साल से गाँव में ही नहीं आईं। सड़कें, साफ-सफाई के साथ ही कई व्यवस्थाएँ हैं जो बदहाल हैं।
गाँव के लोग उमा को गाँव में विकास कराने के मामले में 10 में से 0 नम्बर देते हैं। गाँव के लोगों से गोद लिये जाने के बाद हुए बदलावों के बारे में जाना। गाँव के लोगों के अनुसार उमा उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। इससे उन्हें निराशा है। गाँव के लोग यह भी जोड़ते हैं कि उनका गाँव उमा ने गोद लिया था जो अब अनाथ हो चुका है।
रामकिशन पाल बृजलाल अहिरवार बताते हैं कि आदर्श ग्राम की घोषणा उन्होंने खुद यहाँ आकर की थी। ग्रामीण रामदीन सहरिया के अनुसार कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। हाँ इतना जरूर है कि गाँव में खेल मैदान बना दिया गया। गाँव में सोलर लाईट लगवा दी गई हैं। सोलर लालटेन गाँव में बटवाई गई। इसके अलावा वर्ष 2015 में एक हजार लोगों को कम्बल व स्कूली बच्चों को गर्मवस्त्र बटवाए गए थे, लेकिन इसके अलावा कुछ भी नहीं हुआ। सड़कें बदहाल पड़ी हैं। गाँव को जोड़ने वाली सड़क की हालत भी पूरी तरह से खस्ता है। गाँव की गुड्डी बुनकर बताती हैं कि गाँव में सफाई नहीं होती। जगह-जगह गन्दगी पड़ी है। वहीं, जो शौचालय बनवाए गए हैं, अधूरे पड़े हैं। एक केन्द्रीय मंत्री ने गाँव गोद लिया है, गाँव का हाल देख ऐसा नहीं लगता।
गाँव में उमा कब आई थीं यह पूछने पर ग्रामीण रामकिशन पाल तेज आवाज में बोलते हैं। वह बताते हैं कि उनकी सांसद पिछले वर्ष अप्रैल में गाँव आईं थीं। बृजलाल कहते हैं कि उमा ने गोद लिया और गाँव को छोड़ दिया।
गाँव के रामकिशन व शिवनारायण यादव भी उमा भारती को इस मामले में 10 में से 0 ही देते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें लगा था कि गोद लिये जाने के बाद गाँव की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ग्रामीण रामकुमार बताते हैं कि गाँव में कभी-कभार ही सफाई करते सफाई कर्मी देखा जाता है। स्वच्छता के लिये कोई भी अभियान अब तक नहीं चलाया गया। ग्रामीण सन्तोष ने बताया कि महीने में एकाध बार ही सफाई कर्मी गाँव में सफाई करते देखा जाता है।
ग्रामीण रीता रजक बताती हैं कि गाँव में जन धन योजना के तहत खाते खुलवाए गए। ग्रामीण रामदेवी ने बताया कि हमारे परिवार में खाते जनधन और नार्मल खुले हैं, लेकिन गाँव के अधिकतर लोगों को इसका लाभ नहीं मिला है। एकमात्र यही योजना है जो गाँव के लोगों में पॉपुलर है। मनरेगा के तहत गाँव में करीब एक हजार लोगों के जॉब कार्ड बने हैं, लेकिन बहुत काम को इसका लाभ मिला है। प्रधान के अनुसार सूखे के कारण अधिकतर लोग पलायन कर गए या शहर की ओर काम के लिये निकल जाते हैं, इसलिये जॉब कार्ड वालों को काम नहीं मिलता। काम है कितना इसका ठीक जवाब उनके पास नहीं है।
पेयजल व्यवस्था गाँव में ठीक है, लेकिन तभी एक प्राथमिक विद्यालय से बन्द गेट से बाल्टी लेकर चढ़कर निकलने का प्रयास कर रहा किशोर इसकी भी पोल खोलता है।
ग्रामीण रामप्यारी सहरिया पत्नी बाबूलाल ने बताया कि उसे गैस सिलेण्डर तो मिला, लेकिन 2100 रुपए लिये गए। यह रुपए क्यों लिये गए यह उन्हें नहीं पता। ग्रामीण रामदीन सहरिया, प्रेमबाई पत्नी सियाराम ने बताया कि उससे भी गैस कनेक्शन मिला लेकिन 2100 रुपए लिये गए। उमा के गोद लिये गाँव में भी लोगों से फ्री गैस कनेक्शन के नाम पर रुपए वसूले गए।
ग्राम प्रधान ज्योति मिश्रा कहती हैं कि अभी प्रोसेस चल रहा है। बीपीएल कार्ड धारकों को योजना का लाभ मिलना है। अभी दो दर्जन ग्रामीणों को फ्री कनेक्शन का गैस मिल चुका है। गाँव में अटल पेंशन योजना का बुरा हाल है। प्रधान ज्योति रजक ने बताया कि इसमें अभी किसी ने भी खाते नहीं खुलवाए हैं। ग्रामीणों को जानकारी भी नहीं है। ये योजना यहाँ पूरी तरह से विफल है। शिवनारायण बताते हैं कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पावर प्रोजेक्ट भी गाँव में शुरू नहीं हुआ है।
लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपए में एक्सीडेंटल इंश्योरेंस और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 330 रुपए में लाइफ इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिला। पूर्व प्रधान रीता रजक बताती हैं कि इसके आगे क्या हुआ, यह किसी को भी जानकारी नहीं है।
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Post By: RuralWater