Posted on 13 Sep, 2012 02:24 PMनेपाल एक लम्बे समय से भारत से उसके पश्चिमी तट पर एक व्यापारिक मार्ग दिये जाने की मांग करता रहा था जिससे पश्चिमी दुनिया से उसका बेहतर सम्पर्क बना रहता। भारत की मान्यता थी कि नेपाल को कोलकाता होते हुये आवाजाही के लिए रास्ता खुला है और इसलिए किसी वैकल्पिक मार्ग की कोई जरूरत नहीं है। भारत का यह भी मानना था कि किसी भी मार्ग-अवरुद्ध देश को एक से ज्यादा रास्ते देने का रिवाज नहीं है। इस समस्या का समाधान ह
Posted on 13 Sep, 2012 10:54 AMतटबन्धों के अन्दर जो जिन्दा रहने की परिस्थितियाँ हैं उन पर किसी भी आधुनिक सभ्य समाज को शर्म आनी चाहिये क्योंकि यह लोग उन सारी नागरिक सहूलियतों से महरूम हैं जिन्हें विकास का पैमाना माना जाता है। वहाँ पर लाखों लोग किस तरह से पचासों साल से जिल्लत की जिन्दगी जी रहे हैं, इस बात को दुर्भाग्यवश बाहरी दुनियाँ की बात कौन करे-बिहार के अन्दर भी लोग नहीं जानते। वह वहाँ अविश्वसनीय परिस्थितियों में जिन्दगी बसर
Posted on 13 Sep, 2012 10:50 AMनदी का मूल काम होता है अपने जल-ग्रहण क्षेत्र से वर्षा के पानी की निकासी करना मगर तटबन्धों के बीच कैद नदियों की पेटी ऊपर उठ रही है। कहीं-कहीं यह इतनी ज्यादा उठ चुकी है कि अगर वह तटबन्ध तोड़ कर बाहर आ जाय तो उसे वापस तटबन्धों के बीच ठेलना मुश्किल काम हो जाता है। बिहार की कोसी नदी का एक अध्ययन तटबन्धों की अधिकांश लंबाई के निर्माण के ठीक बाद 1962 में, और इसके 12