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गोरखपुर जिला
अमृत का जहर हो जाना
Posted on 18 Jan, 2012 11:51 AMउत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में बहने वाली ‘अमि’ (अमृत) नदी में उद्योगों और नजदीकी शहरों ने इतना ‘जहर’ प्रवाहित कर दिया है कि आसपास बसे लोगों का सांस लेना तक दूभर हो गया है। देश में एक के बाद एक नदियां अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। अधिकांश मछुआरे एवं किसान ‘अमि’ से लाभान्वित होते थे। धान इस इलाके की मुख्य फसल है और गेहूं एवं जौ भी यहां बोई जाती है। परंतु प्रदूषण की वजह से उपज एक तिहाई रह गई है। बोई और रोहू जैसी ताजे पानी की मछलियां अब दिखलाई ही नहीं देतीं। कई हजार मछुआरे या तो शहरी क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं या शराब बेच रहे हैं।
इंद्रपाल सिंह भावुक होकर बचपन में ‘अमि’ नदी से मीठा पानी पीने की याद करते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं नदी को अपना यह नाम ‘आम’ और अमृत से मिला है। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के अदिलापार गांव के प्रधान पाल सिंह का कहना है कि 136 कि.मी. लंबी यह नदी अब मुसीबत बन गई है। गोरखपुर औद्योगिक विकास क्षेत्र (गिडा) से निकलने वाले अनउपचारित गंदे पानी के एक नाले ने इस नदी को गंदे पानी की एक इकाई में बदलकर रख दिया है। नदी के निचले बहाव की ओर निवास कर रहे 100 से अधिक परिवारों के निवासी अक्सर सर्दी जुकाम, रहस्यमय बुखार, मितली आने और उच्च रक्तचाप की शिकायत करते हैं। रात में गंदे पानी से उठने वाली बदबू से उनका सांस लेना तक दूभर हो गया है। निवासियों का कहना है कि सूर्यास्त के बाद प्रवाह का स्तर आधा मीटर तक बढ़ जाता है।दम तोडती आमी नदी बचाएं
Posted on 26 Apr, 2011 04:19 PMगोरखपुर, अप्रैल। आमी नदी को लेकर बीते बुधवार को कटका गांव में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ गांव वालों ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की उसके बारे में जिला प्रशासन को पहले से ही जानकारी मिल चुकी थी पर उसके बाद भी गोरखपुर का जिला प्रशासन जागा नहीं। अब जब आमी नदी के किनारे बसे कटका गांव के लोगों ने उद्यमियों की जी हुजूरी करने में लगे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को सबक सिखाने का ज
गोरखपुर की आमी नदी हुई जानलेवा
Posted on 22 Apr, 2009 08:42 PMगोरखपुर| उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के तीन जिलों सिद्धार्थनगर, बस्ती और गोरखपुर से होकर बहने वाली आमी नदी का पानी औद्योगिक कचरे के कारण इतना जहरीला हो गया है कि उसे पीकर जानवर तो मौत के मुंह में पहुंच ही रहे हैं, उसके किनारे बसे ग्रामीण भी कई तरह की बीमारियों के शिकार होने लगे हैं|
उत्तर प्रदेश के जल में “आर्सेनिक” का जहर
Posted on 17 Mar, 2009 09:39 AM
एक तरफ हम विश्व जल दिवस (22 मार्च) मनाने की तैयारी कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी लक्ष्य घोषित किए जा रहे हैं, लोगों को साफ सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के जितने प्रयास किए जा रहे हैं वहीं ऐसा लगता है कि मंजिल कोसों दूर होती जा रही है। हाल में मिलने वाली खबरें कुछ ऐसे ही खतरे का संकेत दे रहीं हैं।
गोरखपुर में तीन गाँवों को मिलेगा स्वच्छता पुरस्कार
Posted on 05 Oct, 2018 05:09 PM गोरखपुर जिले के गाँवों के पास पुरस्कार पाने का अच्छा अवसर है। देशभर में चलाए जा रहे स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-18 के तहत जिले के तीन सबसे साफ-सुथरे गाँवों को जिला प्रशासन द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। ‘पहला स्थान पाने वाले गाँव को एक करोड़ रुपए जबकि दूसरा स्थान पाने वाले गाँव को 75 लाख रुपए और तीसरे पुरस्कार विजेता को 50 लाख रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जायेगी।’
टिकाऊ खेती ने दिखाई राह
Posted on 07 Nov, 2013 10:38 AMपूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कई वर्षों से प्रयासरत गोरखपुर एंवायरमेंटल एक्शन ग्रुप ने इस दिशा में अच्छा काम किया है। इस संस्था ने जिले के सरदार नगर और कैंपियरगंज ब्लाकों के गाँवों में खेती किसानी को नई राह दिखाई है। अन्य संस्थाओं के सहयोग से इसे पूर्वांचल के जिलों में फैलाने में भी मदद की है। इस संस्था ने तीन बिंदुओं पर ध्यान दिया है। पहली बात तो यह है कि कृषि के लिए बाजार के महंगे उत्पादों पर निर्भर होने के स्थान पर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध निशुल्क, संसाधनों का बेहतर प्रयोग किया जाए और इसकी वैज्ञानिक सोच को किसानों तक ले जाया जाए।
हाल के वर्षों में खेती-किसानी का जो गंभीर संकट उत्पन्न हुआ उसका एक मुख्य कारण यह था कि छोटे किसानों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर कृषि विकास का प्रयास किया गया। ऐसी तकनीकों का प्रसार हुआ जो न केवल महंगी है बल्कि मिट्टी के प्राकृतिक उपजाऊपन को क्षतिग्रस्त कर भविष्य में और ज्यादा खर्च की भूमिका भी तैयार करती हैं। पर्यावरण से खिलवाड़ कर कई नई बीमारियों और समस्याओं को निमंत्रण देती हैं। महंगी तकनीकों के कारण छोटे किसानों में कर्ज की समस्या बढ़ गई। उधर भूमि सुधार की विफलता के कारण भूमिहीन कृषि मज़दूरों को छोटे किसान बनाने का कार्य भी पीछे छूट गया। चिंताजनक स्थिति में भी उत्साहवर्धक बात यह है कि कई संस्थाओं और संगठनों के प्रयोग ने देश के करोड़ों किसानों को संकट से बाहर निकालने की राह भी दिखाई है। तमाम सीमाओं के बावजूद आर्गेनिक खेती ने अपना असर दिखाया है।राप्ती की सफाई को निकले अफसर और जनप्रतिनिधि
Posted on 19 Jan, 2010 08:09 AMगोरखपुर। शासन के निर्देश पर राप्ती नदी की सफाई के लिए नगर निगम के अफसर और पार्षदों ने जन जागरूकता रैली निकाल कर नदी की सफाई की। नगर आयुक्त वीके दुबे ने आम लोगों से अनुरोध किया कि नदी को साफ रखने में वे नगर निगम का सहयोग करें। एनसीसी कैडेट्स ने नदी की सफाई भी की।
भारत के कुछ राज्यों के भूजल में उच्च आर्सेनिक की मौजूदगी
Posted on 21 Oct, 2009 08:53 AMअसम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में आर्सेनिक प्रदूषण काफी बड़े स्तर तक प्रभावित कर रहा है।
अटैचमेंट में देखें कि किस राज्य के किस ब्लॉक में यह प्रदूषण कहां तक फैला है।
उत्तर प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों के मामले में आर्सेनिकप्रदूषण की पहचान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भूमि जल विभागों के निष्कर्ष के आधार पर की गई है ।