दुनिया

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भूकंप
Posted on 22 Sep, 2013 01:41 PM

लगभग प्रत्येक व्यक्ति को पृथ्वी के कांपने संबंधी विपदा का अक्षरशः अनुभव होगा। लेकिन प्रत्येक बा

पृथ्वी की आंतरिक संरचना
Posted on 19 Sep, 2013 12:15 PM “पृथ्वी पर प्रतिदिन का अनुभव हमें सुझाता है कि हमारा ग्रह उल्लेखनीय विविधता लिए है। पृथ्वी में शामिल पदार्थों का फैलाव जल और बर्फ से लेकर वायुमंडलीय गैसों तथा कई चट्टानों और खनिजों के भंडार के रूप में देखा जा सकता है। फिर भी हमारे द्वारा अधिग्रहित जैवमंडल की पतली परत पूरी पृथ्वी का परिचायक नहीं है। पृथ्वी की सतह से कुछ दस एक किलोमीटर नीचे तक हमारा ग्रह कम विविधता लिए है, इस क्षेत्र में केवल चट्टान
पृथ्वी का बढ़ता तापमान – कुछ तथ्य
Posted on 07 Sep, 2013 03:04 PM रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि 19वीं सदी की औद्योगिक क्रांति के बाद से पृथ
धन-धन धान्य
Posted on 03 Sep, 2013 03:52 PM इसके बिना न होय दिवाली इसके बिना न होय पूजा।
भुनकर खिले, उबलकर निखरे, है दुनिया में कोई दूजा?


एक सौ करोड़ से ज्यादा किसान धान की खेती से दूसरों का पेट भरते हैं और अपना पेट पालते हैं। कोई एक सौ से ज्यादा देशों में धान की खेती की जाती है। लेकिन दुनिया का 90 प्रतिशत धान एशिया में ही उगाया और खाया जाता है। धान के पौधे को हर तरह की जलवायु पसंद है। नेपाल और भूटान में 10 हजार फुट से ऊंचे पहाड़ हों, या केरल में समुद्रतल से भी 10 फुट नीचे पाताल-धान दोनों जगह लहराते हैं।जी ठीक ही पहचाना आपने। इसे धान, चावल, अक्षत, तंदुल किसी भी नाम से पुकारिये। जब तक बताशों के साथ खील न हो तो दिवाली कैसी? पूजा की थाली में अक्षत यानी चावल के दाने और रोली का लाल रंग न हो तो पूजा बेरंग। भुनने के बाद ऐसा खिलता है कि भुने धान की खील या मुरमुरों के लड्डू या चना-मुरमुरे भला किसे नहीं लुभाते। झोपड़ी से लेकर आलीशान होटलों तक हर जगह दुनिया में धान की मांग है। एशिया के दो सौ करोड़ से ज्यादा लोगों की जान है धान। उधर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में भी करोड़ों लोग चावल खाते हैं। और फिर यूरोप, अमेरिका में भी तो इस अनाज ने अपनी जगह बना ली है। धरती का हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी रूप में हर रोज चावल खाता है। एक सौ करोड़ से ज्यादा किसान धान की खेती से दूसरों का पेट भरते हैं और अपना पेट पालते हैं। कोई एक सौ से ज्यादा देशों में धान की खेती की जाती है। लेकिन दुनिया का 90 प्रतिशत धान एशिया में ही उगाया और खाया जाता है।
उर्वरता की हिंसक भूमि
Posted on 03 Sep, 2013 11:50 AM
सन 1908 में हुई एक वैज्ञानिक खोज ने हमारी दुनिया बदल दी है। शायद किसी एक आविष्कार का इतना गहरा असर इतिहास में नहीं होगा। आज हममें से हर किसी के जीवन में इस खोज का असर सीधा दीखता है। इससे मनुष्य इतना खाना उगाने लगा है कि एक शताब्दी में ही चौगुनी बढ़ी आबादी के लिए भी अनाज कम नहीं पड़ा। लेकिन इस आविष्कार ने हिंसा का भी एक ऐसा रास्ता खोला है, जिससे हमारी कोई निजाद नहीं है। दो विश्व युद्धों से लेकर आतंकवादी हमलों तक। जमीन की पैदावार बढ़ाने वाले इस आविष्कार से कई तरह के वार पैदा हुए हैं, चाहे विस्फोटकों के रूप में और चाहे पर्यावरण के विराट प्रदूषण के रूप में।

दुनिया के कई हिस्सों में ऐसे ही हादसे छोटे-बड़े रूप में होते रहे हैं। इनको जोड़ने वाली कड़ी है उर्वरक के कारखाने में अमोनियम नाइट्रेट। आखिर खेती के लिए इस्तेमाल होने वाले इस रसायन में ऐसा क्या है कि इससे इतनी तबाही मच सकती है? इसके लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा उन कारणों को जानने के लिए, जिनसे हरित क्रांति के उर्वरक तैयार हुए थे।

इस साल 17 अप्रैल को एक बड़ा धमाका हुआ था। इसकी गूंज कई दिनों तक दुनिया भर में सुनाई देती रही थी। अमेरिका के टेक्सास राज्य के वेस्ट नामक गांव में हुए इस विस्फोट से फैले दावानल ने 15 लोगों को मारा था और कोई 180 लोग हताहत हुए थे। हादसे तो यहां-वहां होते ही रहते हैं और न जाने कितने लोगों को मारते भी हैं। लेकिन यह धमाका कई दिनों तक खबर में बना रहा। इससे हुए नुकसान के कारण नहीं, जिस जगह यह हुआ था, उस वजह से। धमाका किसी आतंकवादी संगठन के हमले से नहीं हुआ था। उर्वरक बनाने के लिए काम आने वाले रसायनों के एक भंडार में आग लग गई थी। कुछ वैसी ही जैसी कारखानों में यहां-वहां कभी-कभी लग जाती है। दमकल की गाड़ियां पहुंचीं और अग्निशमन दल अपने काम में लग गया। लेकिन उसके बाद जो धमाका हुआ, उसे आसपास रहने वाले लोगों ने किसी एक भूचाल की तरह महसूस किया।
पर्यावरण से दुश्मनी निभाता विश्व बैंक
Posted on 03 Sep, 2013 10:45 AM गुबैंक के आंतरिक अध्ययन उद्घाटित करते हैं कि इस शताब्दी में बैंक द्
गरमाती धरती, बेफिक्र सरकारें
Posted on 27 Aug, 2013 01:26 PM उत्तरी ध्रुव पर बर्फ का पिघलना जहां कंपनियों के लिए कारोबारी फायदा है तो रूस के लिए संसाधनों के दोहन का मौका
climate change
पर्यावरण की चिंता किसी को नहीं
Posted on 22 Aug, 2013 11:45 AM हिमखंडों के पिघलने से ताज़ा पानी की विशाल मात्रा समुद्र में नमक की मात्रा कम करती है जिससे समुद्री तूफान पैदा होते हैं। साथ ही, ब
climate change
जेनेरिक औषधियां: जीवन का पोषण
Posted on 12 Aug, 2013 01:53 PM गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्वभर में नियामकों के साथ मिलकर कार्य करता है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को बे
medicines
धरती बचाने की एक और पहल
Posted on 02 Aug, 2013 10:45 AM

जलवायु परिवर्तन को रोकने में वृक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आईपीसीसी ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन क

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