/regions/delhi
दिल्ली
मिलिए सीएसआर की बेहतरीन शख्सियतों से
Posted on 01 Oct, 2018 02:35 PMआयोजक - इण्डिया सीएसआर
दिन - सोमवार
तारिख - 01 अप्रैल 2019
स्थान - पीएचडी हाउस, अगस्त क्रान्ति मार्ग, नई दिल्ली।

पर्यावरण संबंधी संस्थाएँ एवं संगठन
Posted on 30 Sep, 2018 03:23 PMपर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण, संरक्षण एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरण की प्रगति आदि के नियंत्रण के लिये हमारे देश की सरकार की भूमिका काफी आलोचनात्मक है। विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्य करने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय सरकारों तथा सिविल सोसाइटी द्वारा कई पर्यावरण संबंधी संस्थाएँ एवं संगठन स्थापित किए गए हैं। कोई भी पर्यावरणीय संगठ

एसटीपी और नदी अस्मिता
Posted on 30 Sep, 2018 02:27 PMगंगाजल को प्रदूषित करता नाला (फोटो साभार - विकिपीडिया)नदी अस्मिता शब्द व्यापक अर्थों वाला शब्द है। वह नदी की अस्मिता को प्रदर्शित करने वाला कुदरती आईना है। इसलिये उस आईने में वही नदी दिखाई देगी जिसकी अस्मिता बरकरार है। ऐसी नदी को अविरल होना अनिवार्य है। उसमें पलने वाले जीवन को स्वस्थ तथा सुरक्षित होन

पर्यावरण पर किया जाता प्रहार भी हिंसा ही है
Posted on 30 Sep, 2018 01:20 PMजल, जंगल, जमीन, हवा जैसे प्राकृतिक संसाधनों को भरपूर मुनाफे के लिये बेरहमी से लूटना, दुहना एक तरह की हिंसा

पर्यावरणीय विधान (कानून)
Posted on 30 Sep, 2018 11:32 AM पर्यावरण की चेतना कई पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करती है- जैसे वायु, भूमि और जल का प्रदूषण, मृदा अपक्षीर्णन, औद्योगीकरण, शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधनों का अपक्षय (कमी), इत्यादि।

ग्रामीण भारत में समावेशी विकास जरूरी
Posted on 29 Sep, 2018 05:30 PMदेश की 68.84 प्रतिशत यानी 83.3 करोड़ आबादी गाँवों में ही निवास करती हैं। बेशक ग्रामीण आबादी की वृद्धि दर 20

चिरस्थायी ग्रामीण विकास के लिये कृषि को बढ़ावा
Posted on 29 Sep, 2018 04:45 PMसरकार के चिरस्थायी ग्रामीण विकास के लिये निवेश वृद्धि, बुनियादी ढाँचे के बेहतर विकास और कृषि अभिशासन में सु

राजू टाइटस की ऋषि खेती
Posted on 28 Sep, 2018 03:27 PMजैविक या ‘ऋषि खेती’ के प्रति गहरे समर्पण और उसे जीवन में उतारने वालों में राजू टाइटस का नाम देश भर में ख्या

दीर्घोपयोगी कृषि की संकल्पना
Posted on 28 Sep, 2018 03:11 PMकृषि वह प्रक्रिया है जो कुछ पौधों की खेती तथा पालतू पशुओं के पालन द्वारा भोजन, चारा, रेशे तथा अन्य मनचाहे पदार्थों को उत्पन्न करती है। दूसरे विश्व युद्ध के उपरांत कृषि का स्वरूप ही बदल गया है। नई तकनीकों के प्रयोगों में मशीनों के प्रयोग द्वारा, उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग और सिंचाई की प्रणालियों के विस्तार इत्यादि के अधिक प्रयोग के माध्यम से खाद्यान्न व रेशों का उत्पाद कई गुना बढ़ गया है।
आत्महत्या की बजाय अदालत में जाएँ, कर्जग्रस्त किसान
Posted on 28 Sep, 2018 01:06 PMकिसान आत्महत्या करने को मजबूर (फोटो साभार - फर्स्टपोस्ट)‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (एनसीआरबी) के अनुसार विगत 20 वर्षों में भारत के 3 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें लगभग 20 प्रतिशत महिलाएँ हैं। ‘केन्द्रीय खुफिया विभाग’ द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत कुमार डोवाल को 19 दिसम्बर