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जलाशय ही हैं प्यासे
Posted on 07 Mar, 2016 03:11 PM
25 फरवरी, 2016 को देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 51.2 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आँका गया, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 32 प्रतिशत है। इससे साफ नजर आ रहा है कि जब देश के प्रमुख जलाशय ही प्यासे हैं, तो देशवासियों को तो प्यासा रहना ही पड़ेगा। संग्रहण क्षमता का यह आँकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्र
हम हैं इनाम के हकदारः श्री श्री रविशंकर
Posted on 06 Mar, 2016 07:37 PM


जैसे-जैसे आर्ट ऑफ लिविंग के ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ के आयोजन का समय पास आ रहा है वैसे-वैसे नदियों की चिन्ता करने वाले लोगों की चिन्ता और बढ़ती जा रही है। हमने इण्डिया वाटर पोर्टल की ओर से जब यमुना किनारे के कुछ स्थानीय साथियों से बातचीत की तो पाया कि लोग नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से बड़ी आस लगाए बैठे हैं। आखिर यह लड़ाई नदियों के हक की लड़ाई है।

पूरी दुनिया में नदियों की पुनर्बहाली के लिये प्रयत्नशील रॉबर्ट कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में चलने वाले नेटवर्क ‘वाटरकीपर एलायंस’ की भारतीय प्रतिनिधि और यमुनावाटरकीपर का कहना है, “एनजीटी का जो भी फैसला होगा वो केवल यमुना के लिये नहीं बल्कि सभी नदियों के लिये होगा। अगर किसी एक को नदी के साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत मिलती है तो देश की किसी भी नदी के साथ कोई भी कुछ भी करने के लिये आजाद हो जाएगा। नदी माँ है माँ के साथ छेड़छाड़ करने वाले को अपराधी की तरह कड़ी-से-कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि वो सबके लिये एक नजीर बने”

गंगा तप की राह चला सन्यासी सानंद
Posted on 06 Mar, 2016 11:04 AM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - आठवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :

.स्वरूपानंद जी की प्रेरणा से इस बीच हमने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा कि कुम्भ से पहले कुछ कार्य हो जाना चाहिए।

 

प्रवाह की माँग, खेती का ख्याल


जनवरी-फरवरी में प्रयाग में गंगा प्रवाह 530 घन मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि माघ मेले में प्राकृतिक प्रवाह का आधा हो; यह 265 घन मीटर प्रति सेकेण्ड हुआ। हमने नवम्बर तक 250 घन मीटर प्रति सेकेण्ड के प्रवाह की माँग की। हमने कहा कि यह निरन्तर हो। निगरानी के लिये मॉनिटरिंग कमेटी हो; ताकि नापा जा सके। कमेटी में हमारा प्रतिनिधि भी हो।

दूसरे के भरोसे नहीं रहता खुद का पानी
Posted on 05 Mar, 2016 03:04 PM
दिल्ली की स्थिति भी बड़ी विचित्र है। राजस्थान में आँधी चलती है तो दिल्ली धूल से अट जाती है। पंजाब के खेतों में आग लगती है तो दिल्लीवासियों की आँखों में जलन होने लगती है। हिमाचल अथवा कश्मीर में बर्फ गिरती है तो दिल्ली के लोग ठिठुरने लगते हैं। हरियाणा में जाट आंदोलन होता है तो दिल्ली में पानी के लिये त्राहि-त्राहि मच जाती है। पानी जिंदगी के लिये इतना अहम है कि इसके अर्थ कई लगाए जाते हैं। आँखों
साफ-सुथरी रेल से भारत को स्वच्छ बनाने का सपना
Posted on 05 Mar, 2016 02:53 PM

ट्रेनों में भी यात्रियों की माँग पर सफाई व्यवस्था


केन्द्रीय बजट : चालाकी से चालबाजी तक का सफर
Posted on 05 Mar, 2016 10:14 AM

सुना था कि अबकी बार बड़ा बढ़िया कोई बजट आने वाला है। जिससे देश में नई जान आएगी, उन्नति होेग

क्योंकि गंगा इंटरनेट पर नहीं बहती
Posted on 03 Mar, 2016 04:33 PM


खबर आई कि प्रधानमंत्री की प्रिय साइट माय जीओवी (मेरी सरकार) में लोगों द्वारा भेजे जा रहे उपायों का कुछ मंत्रालयों ने बिल्कुल भी संज्ञान नहीं लिया। जल संसाधन मंत्रालय भी उनमें से एक हैं। मंत्रालय से जुड़े लोग सफाई दे रहे हैं कि जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्रालय का स्वयं का सोशल साइट नेटवर्क है जो लगातार गंगा सफाई जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सुझाव आमंत्रित करता है।

मंत्रालय अब जल की उपलब्धता को भी ऑनलाइन कर रहा है। यहीं नहीं नदी से जुड़ी हर चीज ऑनलाइन की जा रही है यहाँ तक की गंगा सफाई अभियान से जुड़ी कोशिशें भी। वे कोशिशें जो जमीन पर आँखे फाड़कर देखने से भी नजर नहीं आती।

शीतल जल मत्स्य उद्योग एक सम्भावना
Posted on 03 Mar, 2016 04:06 PM

मत्स्य उद्योग विश्व के प्राचीनतम उद्योगों में से एक है। मानव सभ्यता के प्रारम्भिक चरण में

पशुधन कल्याण एवं अपविष्ट, कचरा प्रबन्धन
Posted on 03 Mar, 2016 04:00 PM
भारत में पशुओं के रख-रखाव की अच्छी व्यवस्था कम ही स्थानों पर
संशय में है नदीजोड़ योजना की कामयाबी
Posted on 03 Mar, 2016 10:00 AM
आखिरकार मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना अब संकट में है। गौरतलब है पिछले साल मोदी सरकार ने नदी-जोड़ योजना के क्रम में सबसे पहले केन-बेतवा पर ही काम शुरू करने का फैसला लिया था।
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