हम हैं इनाम के हकदारः श्री श्री रविशंकर


जैसे-जैसे आर्ट ऑफ लिविंग के ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ के आयोजन का समय पास आ रहा है वैसे-वैसे नदियों की चिन्ता करने वाले लोगों की चिन्ता और बढ़ती जा रही है। हमने इण्डिया वाटर पोर्टल की ओर से जब यमुना किनारे के कुछ स्थानीय साथियों से बातचीत की तो पाया कि लोग नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से बड़ी आस लगाए बैठे हैं। आखिर यह लड़ाई नदियों के हक की लड़ाई है।

पूरी दुनिया में नदियों की पुनर्बहाली के लिये प्रयत्नशील रॉबर्ट कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में चलने वाले नेटवर्क ‘वाटरकीपर एलायंस’ की भारतीय प्रतिनिधि और यमुनावाटरकीपर का कहना है, “एनजीटी का जो भी फैसला होगा वो केवल यमुना के लिये नहीं बल्कि सभी नदियों के लिये होगा। अगर किसी एक को नदी के साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत मिलती है तो देश की किसी भी नदी के साथ कोई भी कुछ भी करने के लिये आजाद हो जाएगा। नदी माँ है माँ के साथ छेड़छाड़ करने वाले को अपराधी की तरह कड़ी-से-कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि वो सबके लिये एक नजीर बने”

यह बात दीगर है कि आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर निश्चिन्त और आश्वस्त दिखाई पड़ रहे हैं मानो एनजीटी का फैसला उनके पक्ष में ही होगा। एक तरफ यमुना खादर पर इस महोत्सव के आयोजन के लिये निर्माण कार्य से प्रभावित होने वाले किसान परेशान होकर आवाज उठा रहे हैं तो दूसरी ओर श्री श्री रविशंकर का कहना है कि किसान तो फिजूल में ही मुद्दे को तूल दे रहे हैं। उनकी फाउंडेशन तो इनाम की हकदार है। दरअसल उनको लगता है कि यमुना खादर को इस महोत्सव के लिये चुनकर उन्होंने क्लीन यमुना के अभियान में बड़ा योगदान दिया है। डीडीए की अनुमति मिलने के बाद उनके कईं वोलंटियर्स ने मिलकर खादर से मलबा और गन्दगी साफ की है, ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल कर दिया है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि आयोजन के बाद जब वह इस जगह को छोड़कर जाएँगे तो यह जगह किसानों के लिये पहले से ज्यादा बेहतर हो जाएगी, यमुना को कोई नुकसान नहीं होगा।

हाल में एनडीटीवी को दिये गए एक साक्षात्कार में रविशंकर ने इस पूरे मसले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा, “सच मानिए तो इस आयोजन के बहाने यमुना की पुनर्बहाली होगी न कि कोई नुकसान। हमारी फाउंडेशन ने खादर पर पड़े हुए मलबे को उल्टे साफ ही किया है जिससे नदी को भी फायदा होगा।” उन्होंने एनडीटीवी को यह भी बताया, “हम यमुना की सफाई के लिये एंजाइम का इस्तेमाल करने की तैयारी भी कर रहे हैं।” इस आध्यात्मिक गुरू ने तो यह तक कह दिया, “यमुना किनारे इस महोत्सव का आयोजन करने के लिये हमें इनाम दिया जाना चाहिए।”

बहरहाल याचिका एनजीटी में अभी लम्बित है जिसका फैसला 7 मार्च को होने की उम्मीद है। यह याचिका यमुना जिये अभियान की ओर से मनोज मिश्रा ने दायर की है। याचिका में बताया गया है कि तीन दिवसीय यह महोत्सव 11-13 मार्च तक पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके में यमुना किनारे होना है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री समेत प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शिरकत करेंगे। कार्यक्रम में 155 देशों से करीब 35 लाख लोगों की भागीदारी की उम्मीद है। याची के अनुसार इस आयोजन के लिये किया गया निर्माण कार्य और इसकी मंजूरी भी गैरकानूनी होने के साथ-साथ एनजीटी के ही आदेशों की अवमामना है इसलिये इस पर रोक लगाई जाये। मनोज मिश्रा ने यह भी कहा कि उन्होंने डीडीए से इस सब की शिकायत की थी और उनको पूरी जानकारी दी थी कि कैसे खादर पर खुदाई की जा रही है लेकिन डीडीए ने इसको नजरअन्दाज कर कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

मनोज मिश्रा ने डीडीए द्वारा इस आयोजन की अनुमति दिये जाने को भी गैरकानूनी बताया था जिसे साबित करने के लिये उन्हें कहा गया।

डीडीए ने पिछले साल दिसम्बर 2015 में आर्ट ऑफ लिविंग को यमुना खादर पर इस आयोजन के लिये अनुमति दी थी और इसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। आर्ट ऑफ लिविंग को अनुमति देने से ठीक पहले डीडीए ने यह घोषणा की कि खादर में 106 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवा लिया गया है। अब सुनिए कौन थे ये अवैध घुसपैठिए खादर में? दरअसल डीडीए के मुताबिक दिल्ली किसान सहकारी बहुउद्देशीय सोसाइटी के सदस्य ही खादर में कब्जा करने वाले घुसपैठिए थे जिन्हें खादर पर लीज पर जमीन दी गई थी। लीज की मियाद पूरी हो गई तो डीडीए ने उसको रिन्यू न करके कब्जा मुक्त घोषित कर दिया।

यमुना किनारे आकार लेने लगा अस्थायी शहर

दिल्ली किसान सहकारी बहुउद्देशीय सोसाइटी के सचिव मास्टर बलजीत सिंह जन्म से ही इस जमीन पर रह रहे हैं। उनके पास लगभग 40 बीघा जमीन खादर पर है जो सोसाइटी को 1949 में लीज पर दी गई थी और 1966 तक हर तीन साल पर इस लीज को रिन्यू भी किया गया। उसके बाद तो कभी कुछ हुआ ही नहीं लेकिन सभी किसान डीडीए से कहते रहे हैं इस जमीन को खरीदने के लिये, लेकिन डीडीए की मंंशा इसे किसी और को ही बेचने की रही।

अचानक खादर पर निर्माण कार्य होता देख सभी किसान बौखला गए और उन्होंने यमुना की चिन्ता करने वाले कुछ पर्यावरणविदों को इसकी सूचना दी और साथ देने के लिये कहा। यमुना जिये अभियान के मनोज मिश्रा का कहना है, “हमें डीडीए की इस अनुमति के बारे में कुछ भी पता नहीं था क्योंकि यह सूचना सार्वजनिक की ही नहीं गई।” उन्होंने यह भी कहा, “हमने जितना हो सका उतने सरकारी संस्थानों और आर्ट ऑफ लिविंग को भी लिखा लेकिन जब कहीं से कोई जवाब नहीं मिला तो थक हार कर एनजीटी की शरण ली।”

मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच के लिये ही एनजीटी ने चार सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी बनाई जिसे जम्मेदारी दी गई कि वह उक्त स्थल का जायजा लेकर उचित रिपोर्ट पेश करे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मिश्रा द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सही ठहराया और कहा कि लगभग 1000 एकड़ जमीन पर निर्माण कार्य के कारण खुदाई की गई है। इतना ही नहीं यह भी सच सामने आया कि पंटून पुल और सड़क के निर्माण में भारतीय सेना और पीडब्लूडी ने भी मदद की है।

एनजीटी में मिश्रा ने मजबूती से अपना पक्ष रखा जिसके परिणामस्वरूप 4 मार्च को हुई सुनवाई में एनजीटी ने डीडीए को खूब फटकार लगाई और अनुमति देने के सम्बन्ध में कई सवाल भी पूछे। इस पर डीडीए के वकील ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हमने पहले इस आयोजन के लिये मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में महोत्सव के सम्बन्ध में हमें जो तथ्य उपलब्ध कराए गए थे उसके आधार पर मंजूरी दी गई। एनजीटी ने यह भी सवाल उठाया कि इतने बड़े आयोजन से खादर को नुकसान होगा क्या इसका अनुमान डीडीए को नहीं था। जवाब में डीडीए ने कहा कि अनुमति देने के बाद से ही जानकारी में लगातार बदलाव होते रहे हैं। कितने लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे, कितने एरिया में आयोजन होगा इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। साथ ही यह भी निकलकर आया कि आयोजन के लिये बनने वाले पार्किंग स्थल के लिये भी कोई अनुमति डीडीए से नहीं ली गई है

लेकिन फिर भी अपने बचाव में डीडीए ने यह भी कहा कि उसने अनुमति शर्तों के साथ दी थी कि नदी और खादर को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए साथ ही एनजीटी के आदेश की अवमानना भी नहीं होनी चाहिए इस पर एनजीटी ने सभी तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कुछ भी निश्चित नहीं है कितने लोग होंगे, कितने एरिया में होगा तो फिर ऐसे में शर्तों का क्या मतलब?

हालांकि एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से भी जवाब माँगा है क्योंकि खादर पर कुछ जमीन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की भी है।

इस तनातनी के माहौल में भी श्री श्री रविशंकर बहुत आश्वस्त दिखाई पड़ रहे हैं मानो एनजीटी में फैसला उनके पक्ष में ही होने वाला है। इसलिये वे बड़े विश्वास से कह रहे हैं कि हम तो खादर पर इस आयोजन के लिये इनाम के हकदार हैं। अब देखना यह है कि एनजीटी इस मामले में इनाम देती है या जुर्माना।

वाटरकीपर एलायंस की भारतीय प्रतिनिधि मीनाक्षी अरोड़ा इस पूरे मामले को जमीन कब्जाने की एक साजिश के रूप में देख रही हैं। उनका कहना है, “ऐसा लगता है कि ऐसे महोत्सव के आयोजनों के पीछे दूसरा ही मकसद छिपा है। शायद इस अस्थायी ढाँचे के बहाने खादर की जमीन को कब्जा करना। पूर्व में भी हम देख चुके हैं कि कैसे अस्थायी ढाँचों के नाम पर नदी की जमीन कब्जा ली गई है, नदी बेजुबान है कह नहीं सकती लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि जब उसकी भी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है तो उसके घर में घुसपैठ करने वालों को माफ भी नहीं करती।”

.कुछ ऐसा ही डर मनोज मिश्रा को भी सता रहा है। उन्होंने कहा, “ मैं इस मामले को जमीन हड़पने की ओर बढ़े एक कदम के रूप में देख रहा हूँ। पहले भी 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जो बस डिपो बनाया गया था उसे भी अस्थायी ही बताया गया था लेकिन आज 6 साल बाद भी क्या हुआ? वो आज भी वहीं है।”
बहरहाल याचिका अभी लम्बित है 7-8 मार्च को सुनवाई में कुछ ठोस फैसला होने की उम्मीद है। उम्मीद करते हैं कि यह फैसला देश की नदियों के लिये एक नजीर और ऐतिहासिक फैसला होगा।

 

 

tags


shri shri ravi shankar products in hindi, shri shri ravi shankar quotes in hindi, sudarshan kriya in hindi, shri shri ravishankar bhajans free download in hindi, shri shri ravi shankar facebook in hindi, shri shri ravishankar school in hindi, shri shri ravishankar vidya mandir in hindi, shri shri ravishankar maharaj songs in hindi, shri shri ravi shankar art of living quotes in hindi, shri shri ravi shankar art of living courses in hindi, shri shri ravi shankar art of living bhajans download in hindi, shri shri ravi shankar art of living bhajans free download mp3 in hindi, shri shri ravi shankar art of living in hindi, shri shri ravi shankar art of living quotes in hindi, shri shri ravi shankar art of living video in hindi, art of living founder in hindi, information about art of living course in hindi, art of living courses in hindi, artofliving in hindi, art of living programs in hindi, art of living center in hindi, art of living fees in hindi, theartofliving in hindi, art of living course fee in hindi, art of living foundation controversy in hindi, art of living meditation in hindi, art of living foundation wiki, art of living foundation jobs in hindi, art of living foundation course in hindi, art of living foundation donation in hindi, art of living foundation criticism in hindi, art of living foundation in hindi, ravi shankar, The Art of Living has deposited Rs 4.75 crore in hindi, art of living foundation in hindi.

 

 

 

 

Path Alias

/articles/hama-haain-inaama-kae-hakadaarah-sarai-sarai-ravaisankara

×