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दिल्ली की ऐतिहासिक बावड़ियों का बढ़ा जलस्तर
Posted on 10 Oct, 2014 10:01 AM
दिल्ली जैसे कंक्रीट वाले शहर के जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ने लग जाए तो इसे किसी सपने का हकीकत में बदल जाने से कम नहीं मान सकते हैं। हुुआ यह है कि कुतुब मीनार के आसपास के मौजूद ऐतिहासिक महत्व के चार बड़े जलाशयों गंधक की बावड़ी, राजों की बावड़ी, कुतुब बावड़ी और शम्सी तालाब में दशकों बाद पानी का स्तर बढ़ गया है। यह ऐसे वक्त हुआ है जब दिल्ली के दक्षिणी ह
गंधक की बावड़ी
तीन नदियां
Posted on 09 Oct, 2014 09:48 AM तीन नदियां
बड़ी दूर से बहती हुई
आकर मिलती हैं इस जगह
जैसे तीन बहनें हों
अपने-अपने दुखों की गठरी उठाए

एक का जल मिलता है दूसरी में
दूसरी की लहरें दौड़ती हैं तीसरी में
एक की धुन में गुनगुनाती हैं तीनों नदियां
एक की ठिठोली में खिलखिलाती हैं तीनों-नदियां
एक के दर्द से सिहरती हैं तीनों नदियां

थोड़ा आगे आम के बगीचे के करीब
शहर के आसमान में
Posted on 09 Oct, 2014 09:35 AM शहर को नदी नहीं
नदी का जल चाहिए

उन्हें जल भी चाहिए, नदी भी
अपनी हवा, धरती और आकाश भी
और आग भी

फरियाद के लिए वे शहर आए हैं
और आधी रात इस खास सड़क पर
बैठे हुए फुटपाथ पर गा रहे हैं

पकती हुई रोटी की गंध
ताजे धान की गमक
उठ रही है इस गीत से

इस गीत के आकाश में
उड़ रहे हैं सुग्गे
पानी
Posted on 08 Oct, 2014 04:34 PM आदमी तो आदमी
मैं तो पानी के बारे में भी सोचता था
कि पानी को भारत में बसना सिखाऊंगा

सोचता था
पानी होगा आसान
पूरब जैसा
पुआल के टोप जैसा
मोम की रौशनी जैसा

गोधूलि में उस पार तक
मुश्किल से दिखाई देगा
और एक ऐसे देश में भटकाएगा
जिसे अभी नक्शे में आना है

ऊंचाई पर जाकर फूल रही लतर
प्यार के पौधे से
Posted on 08 Oct, 2014 04:22 PM बूढ़े समुद्र के पानी से
नहीं रोपा जा सकता
प्यार का नया पौधा
उसके लिए
सद्यःजात आंसू ही उर्वरा है

प्यार के नए पौधे में
फूल खिलने के लिए
नहीं सोचना चाहिए
बूढ़ी नदी के पानी से
उसके लिए सद्यःजात पसीना ही ठीक है

प्यार के नए फूलों को
कुम्हलाने से बचाने के लिए
नहीं निर्भर रहना चाहिए
ओस की बूंदों पर
उसके लिए
सद्यः स्नाता
Posted on 08 Oct, 2014 04:16 PM पानी
छूता है उसे
उसकी त्वचा के उजास को
उसके अंगों की प्रभा को-

पानी
ढलकता है उसकी
उपत्यकाओं शिखरों में से-

पानी
उसे घेरता है
चूमता है

पानी सकुचाता है
लजाता गरमाता है
पानी बावरा हो जाता है

पानी के मन में
उसके तन के
अनेक संस्मरण हैं

फ्यूजन ऊर्जा की दिशा में बड़ी सफलता
Posted on 08 Oct, 2014 03:41 PM

अमेरिका में कैलिफोर्निया स्थित नेशनल इग्निशन फेसिलिटी (एनआईएफ) के वैज्ञानिकों ने सूरज को ऊर्जा देने वाले परमाणु रिएक्शन को मुट्ठी में कैद करने में एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने पहली बार अपने प्रयोग में खर्च की गई ऊर्जा से ज्यादा ऊर्जा हासिल करने की जानकारी दी है। इस कामयाबी से वैज्ञानिक नियंत्रित परमाणु संलग्न अथवा न्यूक्लियर फ्यूजन हासिल करने के लक

NIF
तालाबों के लिए देशी अनाजों को भी बचाना होगा
Posted on 08 Oct, 2014 01:57 PM मैं कोदो हूं, अनाजों का राजा। मेरी विंध्य क्षेत्र में तीन प्रजातियां हैं-कोदइला, लूमा और विसवरिया। मैंने 80-80 वर्षों तक कोठियों में सुरक्षित रहकर अकाल-दुर्भिक्ष के समय लोगों की सेवा की है। विंध्य क्षेत्र में पहले जो लगभग 6 हजार तालाबों का निर्माण हुआ था उसमें मेरी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।

यह बीज महोत्सव के मौके पर आयोजित पोस्टर प्रदर्शनी का हिस्सा है। यह कार्यक्रम 20-21 सितंबर को सतना में आयोजित किया गया था। इसे परंपरागत देसी बीज अनाज बीज महोत्सव समिति ने आयोजित किया था।

इस अवसर पर एक पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी जिसमें देशी अनाजों के महत्व पर प्रकाश डाला गया था। कुटकी, सांवा, ज्वार, मक्का, जौ, कठिया, बाजरा, आदि अनाजों की कहानी आकर्षण का केंद्र थी।
<i>देशी अनाज</i>
केवल आंखों में ही रह जाएगा पानी
Posted on 08 Oct, 2014 09:49 AM

कल विश्व जल दिवस है यानी पानी के वास्तविक मूल्य को समझने का दिन,पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और जल संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आंकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.6 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। पानी की इसी जंग को खत्म करने और जल संकट को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में रियो डि जेने

Save Water
ठहरे हुए पानी की सच्चाई
Posted on 07 Oct, 2014 03:49 PM बहते दरिया की लहरों से हर चेहरा पामाल हुआ
सूरज ने किरणों को खोया चांद की कश्ती डूब गई
रिश्ते टूटे, नक्शे बिगड़े, बेताबी में रंग उड़े
पंख-पखेरू, पेड़ पहाड़ी सब ही उथल-पुथल
साहिल की रेतें आखिर कौन चुराकर भाग गया
नील गगन के आंगन में क्यों लहरों का तूफान उठा
तह के अंदर-अंदर जाने ये कैसा हैजान उठा
पानी ठहरे तो हम देखें क्या-क्या मोती गर्क हुए
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