दिल्ली जैसे कंक्रीट वाले शहर के जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ने लग जाए तो इसे किसी सपने का हकीकत में बदल जाने से कम नहीं मान सकते हैं। हुुआ यह है कि कुतुब मीनार के आसपास के मौजूद ऐतिहासिक महत्व के चार बड़े जलाशयों गंधक की बावड़ी, राजों की बावड़ी, कुतुब बावड़ी और शम्सी तालाब में दशकों बाद पानी का स्तर बढ़ गया है। यह ऐसे वक्त हुआ है जब दिल्ली के दक्षिणी हिस्सों में भूजल स्तर सर्वाधिक नीचे चला गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में अवैध बोरवेल और ट्यूबवेल को सील करने से इन जलाशयों में पानी आया है।
इन जलाशयों में अरसे बाद पानी देख स्थानीय लोगों में न सिर्फ कौतूहल है, बल्कि जलसंकट से जूझते इलाके के लोगों में उम्मीद भी जागी है। इन जलाशयों की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे जल विशेषज्ञ विनोद जैन ने बताया कि पिछले चार महीनों में इन चारों जलाशयों का जलस्तर अचानक बढ़ा है। उनका मानना है कि इस बदलाव को गिरते जलस्तर और बारिश से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। वह कहते हैं कि कुएं, बावड़ी और तालाब के भूमिगत स्रोत बहुत अधिक गहराई में नहीं होते हैं।
साथ ही इन जलाशयों की भूमिगत झिर (अंडरग्राउंड वाटरचैनल्स) अपने आसपास के जलाशयों से जुड़ी होती हैं, इसलिए गंधक बावड़ी का जलस्तर बढ़ने का असर अन्य बावड़ियों और तालाब में भी दिखने लगा है। दिल्ली के खत्म होते जलाशयों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे जैन का मानना है कि जलस्तर में इजाफे का कारण पिछले आठ महीनों में इस इलाके में अवैध बोरवेल और ट्यूबवेल को सील किया जाना है। उन्होंने बताया कि गत जनवरी में जलबोर्ड ने महरौली, संगम विहार और छत्तरपुर इलाके में अवैध बोरवेल और ट्यूबवेल के खिलाफ सीलिंग अभियान चलाया था।
इसमें तकरीबन 50 बोरवेल अैर ट्यूबवेल सील किए गए थे। जमीन में सैकड़ों फुट तक गहराई तक जाने वाले बोरवेल करते समय पानी की झिरें कट जाती हैं और इनसे भारी मात्रा में पानी की अनियंत्रित निकासी के कारण आसपास के जलाशय सूख जाते हैं। इस बीच पुरातत्व विभाग ने भी इन जलाशयों को हराभरा करने में अहम भूमिका निभाई है। कुतुब मीनार के संरक्षक सुमंत डोगरा ने बताया कि बारिश से पहले पुरातत्व विभाग ने सालों बाद इन बावड़ियों से गाद निकाली (डीसिल्टिंग) थी।
डोगरा ने बताया कि अवैध बोरिंग के सील होने और डीसिल्टिंग का असर इन जलाशयों के बढ़े जलस्तर के रूप में दिख रहा है।
गंधक की बावड़ी
गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिस द्वारा 13वीं शताब्दी में निर्मित गंधक की बावड़ी का जलस्तर लगभग तीन मंजिल तक बढ़ गया है। सात मंजिले इस बावड़ी में अंतिम तीन मंजिल तक पानी रहता था। अगस्त से पानी का स्तर बढ़ना शुरू हुआ जो अब छठी मंजिल तक पहुंच गया है।
राजों की बावड़ी
कुतुब पुरातत्व पार्क में स्थित राजों की बावड़ी का निर्माण लोदी वंश के सुल्तान दौलत खान ने सन 1516 में कराया था। गंधक की बावड़ी के पास मौजूद यह बावड़ी पिछले कई सालों से सूखी पड़ी थी। स्थानीय लोगों ने इसमें पहली बार पानी की इतनी मात्रा देखी है कि वाटर पंप से पानी खींच कर निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है। डोगरा ने बताया कि राजों की बावड़ी के आसपास पुरातत्व स्थलों का जीर्णोंद्धार कार्य चल रहा है और इसमें पानी का आपूर्ति इसी बावड़ी से हो रही रही है। उन्होंने बताया कि इससे बावड़ी का पानी रिचार्ज होगा और फिर दोबारा इसकी डीसिल्टिंग कर इसके भूमिगत जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया जा सकेगा।
जहाज महल या शम्सी तालाब
लोदी युगीन जहाज महल का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। इसे शम्सी तालाब भी कहते हैं। निर्माणकार्यों से घिरे इस तालाब में पानी की मात्रा ना के बराबर रहती थी और यह कीचड़ के तालाब में तब्दील हो गया था। पिछले दो महीनों में तालाब का जलस्तर बढ़ने के बाद पुरातत्व विभाग इसे भी अब गाद मुक्त करेगा।
Path Alias
/articles/dailalai-kai-aitaihaasaika-baavadaiyaon-kaa-badhaa-jalasatara
Post By: Shivendra