आलोकधन्वा

आलोकधन्वा
पानी
Posted on 08 Oct, 2014 04:34 PM
आदमी तो आदमी
मैं तो पानी के बारे में भी सोचता था
कि पानी को भारत में बसना सिखाऊंगा

सोचता था
पानी होगा आसान
पूरब जैसा
पुआल के टोप जैसा
मोम की रौशनी जैसा

गोधूलि में उस पार तक
मुश्किल से दिखाई देगा
और एक ऐसे देश में भटकाएगा
जिसे अभी नक्शे में आना है

ऊंचाई पर जाकर फूल रही लतर
नदियाँ, भाग-1
Posted on 18 Oct, 2013 03:40 PM
इछामती और मेघना
महानंदा
रावी और झेलम
गंगा, गोदावरी
नर्मदा और घाघरा
नाम लेते हुए भी तकलीफ होती है

उनसे उतनी ही मुलाकात होती है
जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं

और उस समय भी दिमाग
कितना कम पास जा पाता है
दिमाग तो भरा रहता है
लुटेरों के बाजार के शोर से।

1996

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