अलीमुल्लाह हाली

अलीमुल्लाह हाली
ठहरे हुए पानी की सच्चाई
Posted on 07 Oct, 2014 03:49 PM
बहते दरिया की लहरों से हर चेहरा पामाल हुआ
सूरज ने किरणों को खोया चांद की कश्ती डूब गई
रिश्ते टूटे, नक्शे बिगड़े, बेताबी में रंग उड़े
पंख-पखेरू, पेड़ पहाड़ी सब ही उथल-पुथल
साहिल की रेतें आखिर कौन चुराकर भाग गया
नील गगन के आंगन में क्यों लहरों का तूफान उठा
तह के अंदर-अंदर जाने ये कैसा हैजान उठा
पानी ठहरे तो हम देखें क्या-क्या मोती गर्क हुए
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