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जीवन-जनक जल की उपेक्षा क्यों
Posted on 02 Jul, 2015 10:02 AM जल जीवन है, जीवन का जनक और पोषक भी। फिर जल के निहायत जरूरीपन के प्
आपदा प्रबन्धन : रोजगार का भी एक जरिया (Disaster Management Careers)
Posted on 02 Jul, 2015 09:53 AM डिजास्टर मैनेजमेंट यानी आपदा प्रबन्धन तेजी से विस्तृत होता क्षेत्र है। हाल ही में नेपाल में आए भूकम्प में हजारों लोगों ने अपनी जान गँवाई। हजारों की संख्या में लोग घायल हुए। बड़े पैमाने पर क्षति हुई। भारत सरकार ने राहत पहुँचाने के लिए हर जगह एनडीआरएफ की टीम भेजी। इसमें खासतौर पर पैरामिलिट्री के प्रशिक्षित लोग शामिल थे। इनमें से ज्यादातर ने डिजास्टर मैनेजमेंट से सम्बन्धित कोर्स किया हुआ है
अमर उजाला फ़ाउंडेशन : राष्ट्रीय पत्रकारिता फ़ेलोशिप
Posted on 02 Jul, 2015 09:43 AM किसी दैनिक अखबार का फाउंडेशन होने के नाते किया गया यह एक बेहतरीन काम है। अखबारों को रोजमर्रा की खबरों से ऊपर उठकर कभी-कभी किसी समस्या की गहराई तक जाते हुए ऐसे अध्ययन करने चाहिए। अमर उजाला फ़ाउंडेशन ने अपने से जुड़े व न जुड़े कुछ पत्रकारों को ऐसी जिम्मेदारी सौंपकर अच्छा काम किया। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि जिन अध्ययनकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने क्षेत्र में जाकर, अनुभवी लोगों से बात करते हुए, तथ्यों के आधार पर अध्ययन को पूरा किया। अमर उजाला फ़ाउंडेशन हमेशा से सामाजिक मूल्यों से जुड़ी पत्रकारिता के लिये जाना-माना जाता रहा है। प्रतिष्ठान द्वारा गठित अमर उजाला फ़ाउंडेशन ने धुन के पक्के और दृष्टिवान, हिन्दी के युवा पत्रकारों को अपने सरोकारों और पेशेगत कुशलता को तराशने में मदद करने के उद्देश्य से एक मीडिया फेलोशिप कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है। भारत के किसी भी मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकार इसके लिये आवेदन कर सकते हैं।

फ़ाउंडेशन का मानना है कि पत्रकारिता से जुड़े संवेदनशील और प्रतिभाशाली युवाओं को करियर के शुरुआती दौर में लीक से हटकर काम करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि उनमें देश और समाज को गहराई से प्रभावित वाले मुद्दों पर सुलझे नज़रिए से काम करने का उत्साह कम न हो।
क्या गंगा वाकई गंगा है
Posted on 02 Jul, 2015 09:38 AM

गंगा सफाई के सवाल पर एक अहम बात यह भी है कि जिस गंगा की सफाई की बात हम कर रहे हैं वह गंगा है भी कि नहीं। कानपुर और बनारस में तो गंगा है ही नहीं, गंगा के नाम पर चम्बल और बेतवा का पानी गन्दले नाले में तब्दील हो चला है।

. गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में अपने भाषण में उमा भारती ने दो बातें कही थीं। उन्होंने दावा किया था कि सरकार बनते ही ये दोनों काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। पहला, कानपुर के गंगा जल को आचमन के योग्य बनाएँगे और दूसरा यह कि गौ हत्या पर ऐसा कानून बनाया जाएगा कि असली गाय तो दूर कोई कागज पर बनी गाय को काटने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा। लेकिन यहाँ हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।

तो कानपुर से ही बात शुरू करते हैं, इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा जल है ही नहीं। तो फिर आचमन योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर, गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहाँ नाव पतवार से नहीं बाँस से चलती है।

sewage in Ganga
आपदा का मलवा: अधिकारियों के लिए बना मुनाफे का हलवा
Posted on 25 Jun, 2015 03:32 PM आपदा का सबसे बड़ा असर इसी वर्ग को झेलना होता है। जो सिर्फ वोट देकर अ
गंग धार
Posted on 25 Jun, 2015 11:54 AM लांघ वन उपत्यका
त्रिलोक ताप हरण हेतु
हिमाद्रि तुंग कन्दरा
त्याग कर निकल चली
स्वमार्ग को प्रशस्त कर
अतुल उमंग से भरी
विरक्त भाव धार कर
प्रवेग से उमड़ चली

कभी सौम्य पुण्यदा
रौद्र रूप धारती कभी
ब्रह्म के विधान का
दिव्य लेख लिख रही
विवेकहीन मनुज को
प्रचंड प्रदाहिनी बनी
अदम्य शक्ति से भरी
दम्भ भंग कर रही
मौसम भी लेगा सरकार की परीक्षा
Posted on 25 Jun, 2015 10:17 AM फिलहाल इस वर्ष खराब मानसून के अनुमान के चलते देश के कई क्षेत्र अभी
गंगा नदी में ओसीएमएस लगाने में हो रही देरी
Posted on 23 Jun, 2015 12:48 PM गंगा नदी पर प्रदूषणकारी उद्योगों की ओर से प्रवाहित कचरे पर उसी समय निगरानी करने वाली प्रणाली (ओसीएमएस) अभी तक नहीं लगाई गई है। इस प्रणाली को लागू करने में क्यों देरी की जा रही है, यह किसी को समझ में नहीं आ रही है। बहरहाल, केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय ने ओसीएमएस लगाने की समय-सीमा और नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है।
किसे चाहिए प्लास्टिक
Posted on 23 Jun, 2015 12:09 PM व्यवहार में हमने प्लास्टिक को जीवनदायी दवाओं से लेकर खाने पीने की ह
विदिशा के जल सेवकों को विष्णु प्रभाकर समाज सेवा सम्मान
Posted on 23 Jun, 2015 10:43 AM
मनुष्यता की तलाश विष्णु प्रभाकर के साहित्य का मूल तत्व : डॉ गंगेश गुँजन
Vishnu prabhakar samaj sewa award
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