आपदा प्रबन्धन : रोजगार का भी एक जरिया (Disaster Management Careers)

डिजास्टर मैनेजमेंट यानी आपदा प्रबन्धन तेजी से विस्तृत होता क्षेत्र है। हाल ही में नेपाल में आए भूकम्प में हजारों लोगों ने अपनी जान गँवाई। हजारों की संख्या में लोग घायल हुए। बड़े पैमाने पर क्षति हुई। भारत सरकार ने राहत पहुँचाने के लिए हर जगह एनडीआरएफ की टीम भेजी। इसमें खासतौर पर पैरामिलिट्री के प्रशिक्षित लोग शामिल थे। इनमें से ज्यादातर ने डिजास्टर मैनेजमेंट से सम्बन्धित कोर्स किया हुआ है

.भारत में मानव संसाधन मन्त्रालय ने दसवीं पंचवर्षीय परियोजना में डिजास्टर मैनेजमेंट को स्कूल और प्रोफेशनल एजुकेशन में शामिल किया था। 2003 में पहली बार केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने आठवीं कक्षा के सोशल साइंस के सिलेबस में इसे जोड़ा। फिर आगे की क्लास में सरकारी और गैर सरकारी हाई एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में भी इसकी पढ़ाई होने लगी।

पिछले कुछ सालों में भूकम्प के अलावा समुद्री तूफान और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों को प्रभावित किया है। पिछले दो दशक के दौरान विश्व के अलग-अलग देशों में प्राकृतिक आपदाओं के चलते लाखों लोगों की मौत हुई है। यूनाइटेड नेशन के अनुसार पिछले 20 वर्षो में करीब 30 लाख लोग नेचुरल डिजास्टर्स के चलते मौत का शिकार हुए हैं, जबकि 80 करोड़ लोग इनसे प्रभावित हुए। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें नई जिन्दगी देना है। आपातकालीन स्थितियों में बिगड़ी हुई जिन्दगी को पटरी पर लाने का काम इन्हीं के जिम्मे होता है। इन्हें आपदा पीड़ितों को तुरन्त बचाने, राहत पहुँचाने और उनकी जरूरतें पूरी करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। साथ ही, इन्हें घायलों का इलाज भी करना होता है।

भारत में वर्ष 2011 में करीब ढाई लाख लोगों के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट, रोजगार का जरिया था और 2020 तक इस क्षेत्र में औसतन 33 फीसदी सालाना की दर से जॉब्स के मौके बढ़ने की सम्भावना जताई जा रही है। इन सभी कारणों से डिजास्टर प्रोफेशनल की माँग पूरी दुनिया में बढ़ी है। इन्हें बेहतर तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट से सम्बन्धित कई पाठयक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें से कई कोर्स में 12वीं के बाद प्रवेश लिया जा सकता है। इस फील्ड में ज्यादातर जॉब गवर्नमेंट सेक्टर में ही हैं। इसलिए यह एक बेहतर करियर ऑप्शन बन सकता है।

प्रमुख कोर्स


सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमबीए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट आदि।

योग्यता


देश के कई मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट डिजास्टर मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट से लेकर पीजी डिप्लोमा लेवल के कोर्स कराते हैं। वहीं कई यूनिवर्सिटी में डिग्री लेवल कोर्स भी हैं। इससे सम्बन्धित अंडर ग्रेजुएट व सर्टिफिकेट कोर्स के लिए छात्र को कम से कम 12वीं पास होना चाहिए। मास्टर और एमबीए सरीखे कोर्स के लिए ग्रेजुएट होना आवश्यक है। कुछ संस्थान पीएचडी भी कराते हैं। उसके लिए मास्टर डिग्री होना आवश्यक है। आमतौर पर इन संस्थानों में एडमिशन की प्रक्रिया नए एकेडमिक सेशन के दौरान मार्च से मई माह में पूरी होती है।

स्किल्स
यह चुनौती और खतरों से भरा हुआ काम है। इसलिए इसमें अतिरिक्त योग्यता और सूझबूझ की आवश्यकता होती है। शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होने के अलावा इसमें प्रोफेशनल्स को किसी भी समय आकस्मिक आपदा के दौरान काम करना पड़ता है। साथ ही कम समय में सही निर्णय लेना होता है।

प्रमुख संस्थान
1. इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली।
2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली।
3. गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली।
4. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुम्बई।
5. इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मद्रास यूनिवर्सिटी, चेन्नई।
6. डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भोपाल।
7. नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, दार्जिलिंग।

सम्भावनाएँ


डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में आमतौर पर सरकारी नौकरियों में, आपातकालीन सेवाओं में, लोकल इंफोर्समेंट, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसी, गैर सरकारी संस्थानों और यूनाइटेड नेशन जैसी अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों में नौकरी मिल सकती है। प्राइवेट सेक्टर में भी आपको जॉब मिल सकती है। रिस्क मैनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी, डॉक्यूमेंटेशन, इंश्योरेंस, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट आदि फील्ड में भी जॉब की सम्भावनाएँ बनी रहती हैं। ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स अपनी कंसल्टेंसी भी स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा टीचिंग और रिसर्च भी उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

सैलरी


इस फील्ड में शुरुआती सैलरी इंडस्ट्री और जॉब लोकेशन के हिसाब से अलग-अलग है। यहाँ मिलने वाली सैलरी इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस संस्थान से जुड़े हैं और काम का अनुभव कितना है। अपने देश में एक फ्रेशर के तौर पर आप 15,000 से 20,000 रुपये महीने आसानी से कमा सकते हैं। अगर आपको यही जॉब विदेशों में मिलती है तो आपकी सैलरी इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकती है। एक्सपीरियंस के साथ ही इस फील्ड में सैलरी लगातार बढ़ती जाती है।

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